मोदी जी सरदार पटेल और नेताजी बोस की तारीफ करते हैं. इसलिए नहीं करते हैं कि आप उनके प्रशंसक हैं. आपको लगता है पटेल की स्टैच्यू बना दिया तो नेहरू बौना हो गए. या बोस की तारीफ की तो नेहरू छोटा हो गए, ऐसा नहीं है. पटेल ने जो काम किया वो तो करिए. पटेल ने कहा, ब्रिटिश का प्रशासन का जो सिस्टम है वही रहेगा. एग्जाम पास करके जब 50-60 लोग आएंगे, तब उन्हें काडर सेलेक्ट करना पड़ेगा. यह नहीं होगा कि जो जिस स्टेट का है, वो वहां रहेगा. बिहार का आदमी केरल में पोस्ट होता है, केरल का आदमी बंगाल में पोस्ट होता है. पहला कानून है कि वहां की भाषा सीखनी पड़ती है. यह थी नेशनल इंटीग्रेशन की भावना. मोदी जी का बस चले तो गुजराती को नेशनल लैंग्वेज बना देें. नेहरू को बौना दिखाने वाले लोग बौने हैं.


donoसरदार पटेल ने सीबीआई को दिल्ली स्पेशल पुलिस स्टेबलिशमेंट एक्ट के तहत सरकारी मुलाजिमों के भ्रष्टाचार पर नजर रखने के लिए बनाया था, आज सरकार ने उसे सुपर पुलिस बना दिया है. कोई मर्डर हो गया और सॉल्व नहीं हो सकता है, तो सीबीआई को दे दो. अब तो यह हो रहा है कि हर चीज सीबीआई को दे दो.

सीबीआई आज एक बहुत बड़ा तंत्र बन गया है. पहले यह गृह मंत्री को रिपोर्ट करता था, अब सीधा प्रधानमंत्री को रिपोर्ट करता है. आज सीबीआई, आईबी, रॉ आदि सारे तंत्र बहुत शक्तिशाली हैं और इनका भय सरकार किसी को भी दिखा सकती है. विनीत नारायण केस में सुप्रीम कोर्ट ने हिदायत दी थी कि सीबीआई का जो डायरेक्टर होगा, उसे प्रधानमंत्री नियुक्त नहीं करेगा, बल्कि तीन सदस्यीय कमेटी करेगी. प्रधानमंत्री, नेता विपक्ष और सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस और सीबीआई निदेशक का कार्यकाल फिक्स्ड होगा.

आलोक वर्मा दिल्ली के पुलिस कमिश्नर थे. उन्हें दो साल पहले सीबीआई निदेशक नियुक्त किया गया. एक राकेश अस्थाना साहब हैं, गुजरात काडर के, जिन्होंने गोधरा कांड की इन्क्वायरी करके अमित शाह और नरेंद्र मोदी के गले से फंदा हटवाया और कहा कि इनकी कोई गलती नहीं है.

बहुत बड़ा अहसान है उनका शाह-मोदी पर. उन्हें मोदी जी ने सीबीआई में नंबर दो के पद पर नियुक्त कर दिया. उसी वक्त आलोक वर्मा ने शिकायत की थी कि इनके खिलाफ कई इन्क्वायरी पेंडिंग हैं, एफआईआर पेंडिंग हैं, इन्हें सीबीआई में नियुक्त न किया जाए. सीबीआई में, नंबर वन आलोक वर्मा, नंबर दो राकेश अस्थाना, नंबर थ्री अरुण कुमार शर्मा थे. चर्चा यह है कि अमित शाह जितने लोगों को धमकी देते थे, वो अरुण कुमार शर्मा के जरिए देते थे.

सीबीआई का हमेशा से दुरुपयोग हुआ है. ऐसी बात नहीं है कि इसे नरेंद्र मोदी ने शुरू किया. इंदिरा गांधी के जमाने में भी दुरुपयोग होता था. लेकिन दुरुपयोग इस पराकाष्ठा पर पहुंच जाएगा, सीबीआई के डायरेक्टर ने भी कभी इसकी कल्पना नहीं की होगी. ऐसी खबर थी कि आलोक वर्मा राफेल डील की जांच करने वाले थे. इसलिए रातोंरात उन्हें छुट्‌टी पर भेजकर मामले को निपटाने की कोशिश मोदी-शाह के द्वारा की गई. सुप्रीम कोर्ट में मामला गया.

सुप्रीम कोर्ट ने सीवीसी को दो हफ्ते में जांच पूरी कर रिपोर्ट सौंपने का आदेश दिया. जांच की निगरानी सुप्रीम कोर्ट के रिटायर जज एके पटनायक करेंगे. इस तरह एक अंकुश लग गया सरकार पर और सीवीसी पर भी. सरकार ने सीबीआई का कार्यवाहक निदेशक नागेश्वर राव को बना दिया. उनका रिकॉर्ड भी खराब है. सुप्रीम कोर्ट ने कह दिया है कि ये केवल रोज का काम देख सकते हैं कोई पॉलिसी डिसीजन नहीं ले सकते हैं. कोर्ट ने इनके भी हाथ-पांव बांध दिए हैं. मैं समझता हूं, यह स्थिति देश के प्रशासन के लिए बहुत दुःखद है. इससे दुःखद स्थिति कभी नहीं हुई देश में.

2014 में कांग्रेस को 44 सीटें मिली थीं. नेता विपक्ष का दर्जा पाने के लिए 50 सीटें चाहिए. भाजपा वालों ने छोटी सोच दिखाते हुए मल्लिकार्जुन खड़गे को लीडर अपोजिशन का दर्जा नहीं दिया. जवाहरलाल नेहरू होते, इंदिरा गांधी होतीं तो बिना बहस के विपक्ष को ऐसी स्थिति में भी लीडर अपोजिशन का दर्जा दे देते. भाजपा ने इस तरह का हल्कापन पहले दिन से ही दिखाना शुरू कर दिया था. पहले दिन से ही संकेत दिया कि हम छोटे आदमी हैं, हम हल्के आदमी हैं.

इस देश पर राज करने लायक नहीं हैं. भाजपा वालों को हर जगह संघ के लोग चाहिए. अब ऐसे जज कहां मिल पाएंगे. संघ वाले इतना पढ़ते नहीं हैं कि वे जज बन जाएं. जज तो उसी को बनाना है, कॉलेजियम जिसके नाम की सिफारिश करेगा. आज भाजपा वाले तो इंदिरा गांधी से भी आगे निकल गए हैं. इंदिरा गांधी ने आपातकाल लगाया. अखबार में लिखना वर्जित था, सेंशरशिप था. लेकिन आज तो अघोषित इमरजेंसी है.

अमित शाह सबको डरा-धमका कर काम करवाते हैं. हां, कुछ उद्योगपतियों जिन्हें कुछ समस्या है, उनके लिए कुछ पॉजिटिव काम भी करते हैं. 100 करोड़ रुपए दे दो, तो काम कर देते हैं. ये जो नई तरह की प्रणाली साढ़े चार साल में इजाद की गई है, उसका स्टडी करना जरूरी है. मैं एकैडमिक आदमी नहीं हूं, मैं जो ऑब्जर्व कर रहा हूं, वह बोल रहा हूं.

भाजपा वाले नेहरू को कुछ भी बोलें, नेहरू को इंदिरा गांधी को अपनी सीमाओं का ज्ञान था. वो जानते थे कि हम क्या कर सकते हैं, क्या नहीं कर सकते हैं. मोदी जी ने बिना किसी से सलाह लिए, बिना किसी से बात किए नोटबंदी कर दिया. 8 नवंबर 2016 को. दो साल हो गए. उसका परिणाम क्या हुआ? अब तो लोग मखौल उड़ाएंगे ही.

तब भी मेरे जैसे लोगों ने कहा था कि नोट बदल देने से अर्थव्यवस्था में कोई फर्क पड़ जाए, ये हमारी समझ में नहीं आता. इंदिरा गांधी ने तो इमरजेंसी के बाद माफी मांगी थी देश से. मोदी जी में इतनी भी ताकत नहीं है. इसके बाद, इन्होंने जेटली को कहा कि जल्दी से जीएसटी लागू करो. जल्दी-जल्दी में इसका क्रियान्वयन हुआ, 1 जुलाई 2017 से. एक तो करेला पहले से ही था, ऊपर से नीम चढ़ा. इन दोनों उपायों से अभी तक आर्थिक स्थिति सुधरी नहीं है, उल्टे चरमरा रही है.

किसी भी छोटे व्यापारी, छोटे उद्योग वालों या मध्यम उद्योग वालों से पूछिए, वो नाखुश हैं. प्रोफेशनल्स नाखुश हैं, मजदूर नाखुश हैं, किसान त्रस्त हैं. तो फिर खुश कौन है? मैं कहता हूं कि देश का आत्मविश्वास डोल गया है. कोई ऐसा तबका नहीं है, जो विश्वास के साथ कह सके कि भारत ठीक चल रहा है.

पेट्रोल के मूल्य भले थोड़े-बहुत अन्तरराष्ट्रीय बाजार में बढ़े हों, लेकिन हमारे यहां इस पर टैक्स इतना है कि पेट्रोल की कीमत आसमान छू रही है. फिर भी ये लोग जनता को राहत देने की कोई बात नहीं कर रहे हैं. उल्टे तर्क देते हैं कि जिसके पास कार खरीदने का पैसा है, उसके पास पेट्रोल का भी पैसा है. वे भूल रहे हैं कि लोग तो कार ईएमआई पर खरीदते हैं, क्या वे पेट्रोल भी ईएमआई पर लेते हैं? आज मोदी जी के पास कोई इकोनॉमिक एडवाइजर तक नहीं है. अर्थनीति कौन बना रहा है, इसका कोई जवाब नहीं दे पाएगा.

आज मोदी जी की सरकार अमीर परस्त और अमेरिका परस्त है. अडानी और अंबानी जो करे वो सही, अमेरिका जो बोले वो सही. फिर भी देश हित की एक बात नहीं करते हैं. बुलेट ट्रेन से किसे फायदा है? किसी को फायदा नहीं है. यह केवल मोदी जी का इगो है. एक आदमी के अहंकार के लिए देश चल रहा है.

अमित शाह अपने दोस्तों से कहते हैं कि जब तक साहब नाराज नहीं हैं, मैं हूं साथ में. चुनाव आ रहा है, मालूम पड़ेगा. अगर साढ़े चार साल में जनता खुश है, तो आप फिर जीत जाएंगे. लेकिन जो नया प्रधानमंत्री बनेगा, चाहे वो मोदी खुद हों, चाहे भाजपा का हो, चाहे दूसरा हो, आपने उसकी कठिनाइयां बढ़ा दी है. दलदल इतना होगा कि उसमें से निकलना मुश्किल होगा. एक भी संस्था आपकी ठीक नहीं है.

मोदी जी सरदार पटेल और नेताजी बोस की तारीफ करते हैं. इसलिए नहीं करते हैं कि आप उनके प्रशंसक हैं. आपको लगता है पटेल की स्टैच्यू बना दिया तो नेहरू बौना हो गए. या बोस की तारीफ की तो नेहरू छोटा हो गए, ऐसा नहीं है. पटेल ने जो काम किया वो तो करिए. पटेल ने कहा, ब्रिटिश का प्रशासन का जो सिस्टम है वही रहेगा.

एग्जाम पास करके जब 50-60 लोग आएंगे, तब उन्हें काडर सेलेक्ट करना पड़ेगा. यह नहीं होगा कि जो जिस स्टेट का है, वो वहां रहेगा. बिहार का आदमी केरल में पोस्ट होता है, केरल का आदमी बंगाल में पोस्ट होता है. पहला कानून है कि वहां की भाषा सीखनी पड़ती है. यह थी नेशनल इंटीग्रेशन की भावना. मोदी जी का बस चले तो गुजराती को नेशनल लैंग्वेज बना देें. नेहरू को बौना दिखाने वाले लोग बौने हैं.

इस देश में 85 प्रतिशत हिन्दू हैं. देश में क्यों आग लगा रहे हैं? मुसलमान के खिलाफ बोलना थोड़ा कम जरूर किया है. मोहन भागवत ने कह दिया कि बिना मुसलमान के हिन्दू कुछ नहीं हैं. अब भाजपा वाले कन्फ्यूज हैं. आपको समझ में नहीं आ रहा है कि क्यों बोला उन्होंने. लेकिन सोचिए. यह चार हजार साल पुराना देश है.

70 साल से लोकतंत्र चल रहा है, संविधान चल रहा है. आप 14वें नंबर के प्रधानमंत्री हैं. आपके आगे भी प्रधानमंत्री आते रहेंगे. आप अपनी सीमा में रहिए, संयम रखिए. अभी स्थिति बहुत खराब है. रुपया कमजोर हो रहा है, पेट्रोल के दाम बढ़ते जा रहे हैं. इस स्थिति को संभालना बहुत आसान नहीं है. प्रधानमंत्री जी, कुछ सोचिए, कुछ करिए.

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