bjp kashmir political parties

नई दिल्ली: कश्मीर के राजनीतिक एवं सामाजिक क्षेत्रों में इन दिनों भारत के संविधान की धारा-35 (ए) पर विवाद छिड़ा हुआ है. जुलाई के महीने में अटॉर्नी जनरल ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था, ‘भारत सरकार चाहती है कि इस धारा पर बहस होनी चाहिए.’ बस इसी एक वाक्य ने कश्मीर में सनसनी फैला दी. सरकार से आशा थी कि वो इस धारा की रक्षा के लिए खड़ी होगी. लेकिन जब सरकार ही इसको समाप्त करने या न करने के विषय पर बहस छेड़ना चाहती है, तो इसका लाभ निश्‍चय ही उनको भी होगा, जिन्होंने न्यायालय में अर्जी दाखिल कर के 35(ए) को समाप्त करने की मांग की है.

भाजपा पार्टी स्तर पर खुलेआम 35(ए) को समाप्त करने की मंशा व्यक्त कर चुकी है. यही कारण है कि कश्मीर में इन दिनों एक आम धारणा है कि केंद्र सरकार इस धारा को समाप्त करने की तैयारियां कर रही है. केंद्र सरकार के इस कथित मंसूबे पर जम्मू और कश्मीर में भाजपा को छोड़कर तमाम राजनीतिक पार्टियां और उनके नेतागण बेचैन नजर आ रहे हैं. यहां तक कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने पिछले दिनों दिल्ली में एक समारोह के दौरान कहा कि अगर 35(ए) के साथ कोई छेड़छाड़ की गई, तो कश्मीर में राष्ट्रीय झंडा तिरंगा को थामने वाला कोई नहीं मिलेगा.

राज्य की मुख्यमंत्री सच्चे मन के साथ जम्मू और कश्मीर को भारत का अटूट अंग मानती हैं और उन्होंने अपना सहयोग देकर भाजपा जैसी पार्टी को राज्य में सत्ता के गलियारे तक पहुंचाया है. उनके मुंह से निकले इन शब्दों को सुनकर मामले की नजाकत को समझा जा सकता है. तीन बार राज्य के मुख्यमंत्री रह चुके फारूख अब्दुल्ला ने अपने एक ताजा बयान में नई दिल्ली को सावधान किया कि अगर 35(ए) को समाप्त किया गया, तो कश्मीर में वो होगा, जो आज तक कभी नहीं हुआ है. उनका संकेत एक बहुत बड़ी बगावत की शंका की ओर था. भाजपा को छोड़कर राज्य की मुख्यधारा की तमाम राजनीतिक पार्टियां धारा 35(ए) की रक्षा के लिए एकजुट नजर आ रही हैं.

अलगाववादी संगठनों ने भी इसके साथ किसी प्रकार की छेड़छाड़ की स्थिति में ‘भयानक परिणाम’ आने की धमकी दी है. जम्मू और कश्मीर में माकपा के सचिव मोहम्मद युसूफ तारेगामी, पिपुल्स डेमोक्रेटिक फ्रंट के चेयरमैन हकीम मोहम्मद यासिम और डेमोक्रेटिक पार्टी नेशनलिस्ट के नेता गुलाम हसन मीर ने 9 अगस्त को मुख्यमंत्री से मुलाकात की. इन सभी ने मुख्यमंत्री को सलाह दिया कि राज्य की विपक्षी पार्टियों के नेतागण एवं बुद्धिजीवियों के एक प्रतिनिधिमंडल को तुरंत नई दिल्ली भेजा जाय, ताकि वे प्रधानमंत्री से मुलाकात कर उन्हें 35(ए) को समाप्त करने की किसी भी कोशिश के संभावित परिणाम के प्रति आगाह कर सकें.

इससे एक दिन पहले मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने स्वयं फारूख अब्दुल्ला के घर जाकर उनसे इस समस्या पर बात की थी. साफ जाहिर है कि भाजपा को छोड़कर शेष तमाम राजनीतिक पार्टियां एवं नेतागण 35(ए) की रक्षा के लिए एकमत हैं. 35(ए) को वास्तव में जम्मू-कश्मीर राज्य को विशेष दर्जा देने वाली धारा-370 के आधार पर संविधान में शामिल किया गया है. 35(ए) संविधान की वो धारा है, जिसके अंतर्गत जम्मू और कश्मीर के स्टेट सब्जेक्ट कानून को सुरक्षा प्राप्त है.

Adv from Sponsors

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here