चुनाव प्रचार में जहां राष्ट्रीय पार्टियां बहुत आगे हैं, वहीं स्थानीय दल एवं निर्दलीय उम्मीदवार भी उनसे कम नज़र नहीं आ रहे. देर शाम तक प्रचार कार्य चल रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले दिनों एक जनसभा में कहा कि जब झारखंड का गठन हुआ था, उस समय यहां के स़िर्फ तीन ज़िले उग्रवाद की चपेट में थे, लेकिन भाजपा की ग़लत नीतियों के चलते आज प्रदेश के सभी ज़िले उग्रवाद की चपेट में हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा के पास विकास की कोई सोच या नीति नहीं है और वह स़िर्फ कांग्रेस की नीतियों एवं योजनाओं के नाम बदल कर अपने नाम का ढिंढोरा पीट रही है.
manji-mixxxxxxxxxxxxझारखंड विधानसभा चुनाव काफी दिलचस्प मोड़ पर पहुंच चुका है. खनिज एवं अन्य प्राकृतिक संसाधनों से समृद्ध इस सूबे की सत्ता पर कब्जा जमाने के लिए क्षेत्रीय दलों के साथ-साथ राष्ट्रीय दलों के स्टार प्रचारकों का आगमन बदस्तूर जारी है. केंद्र की सत्ता पर काबिज भाजपा और प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के नेता मतदाताओं को रिझाने के लिए कोई कोर-कसर छोड़ना नहीं चाहते. क्षेत्रीय दल झारखंड मुक्ति मोर्चा, झारखंड विकास मोर्चा, राजद, जदयू एवं टीएमसी के नेता धड़ाधड़ चुनावी घोषणाओं की बरसात कर रहे हैं. वे तरह-तरह के वादे कर रहे हैं. चुनाव को लेकर इस बार जनता के साथ-साथ नेताओं का उत्साह भी चरम पर है. नेताओं की गाड़ियां मुहल्लों की गली-कूचे तक जा रही हैं. स्थानीय भाषाओं के माध्यम से अपनी बात मतदाताओं तक पहुंचाई जा रही है. मतदाता भी सबके वादे-नारे ध्यान से सुन रहे हैं और अपना ताना-बाना बुन रहे हैं.
चुनाव प्रचार में जहां राष्ट्रीय पार्टियां बहुत आगे हैं, वहीं स्थानीय दल एवं निर्दलीय उम्मीदवार भी उनसे कम नज़र नहीं आ रहे. देर शाम तक प्रचार कार्य चल रहा है. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने पिछले दिनों एक जनसभा में कहा कि जब झारखंड का गठन हुआ था, उस समय यहां के स़िर्फ तीन ज़िले उग्रवाद की चपेट में थे, लेकिन भाजपा की ग़लत नीतियों के चलते आज प्रदेश के सभी ज़िले उग्रवाद की चपेट में हैं. उन्होंने कहा कि भाजपा के पास विकास की कोई सोच या नीति नहीं है और वह स़िर्फ कांग्रेस की नीतियों एवं योजनाओं के नाम बदल कर अपने नाम का ढिंढोरा पीट रही है.
उन्होंने कहा कि कांग्रेस की सोच रही है कि कोई ग़रीब भूखे पेट न सोए, गेहूं-चावल सस्ता मिले. इसके लिए खाद्य सुरक्षा का क्रांतिकारी क़ानून बनाया गया. प्राकृतिक संसाधनों पर पहला अधिकार स्थानीय लोगों का हो, यह व्यवस्था भी कांग्रेस ने की. सोनिया गांधी ने कहा कि राज्य में कांग्रेस की सरकार बनने पर बिजली, पानी एवं सड़कों पर खास ध्यान दिया जाएगा और बुनियादी सुविधाओं का विकास किया जाएगा. उन्होंने नक्सलियों से हिंसा का रास्ता छोड़ने की अपील करते हुए कहा कि जो लोग भटक गए हैं, वे मुख्य धारा में लौटकर लोकतंत्र और भारत को मजबूत करें.
रांची विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी सुरेंद्र सिंह के समर्थन में पूर्व केंद्रीय मंत्री सलमान खुर्शीद ने हिंदपीढ़ी एवं कर्बला चौक पर सभाएं करके जनता से कांग्रेस के पक्ष में मतदान करने की अपील की. उन्होंने कहा कि रांची के विकास के लिए सुरेंद्र सिंह को वोट दें. सुरेंद्र रांची की जनता के हक़ की लड़ाई लड़ते रहे हैं, इसलिए सोनिया गांधी ने उन्हें टिकट दिया है. उन्होंने मोदी सरकार पर यूपीए द्वारा किए गए कार्यों की वाहवाही लूटने का आरोप लगाया. हटिया विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के प्रत्याशी आलोक दुबे ने कहा कि क्षेत्र में विकास के नए आयाम स्थापित किए जाएंगे. वह जनसंपर्क एवं नुक्कड़ सभा के दौरान लोगों के बीच अपनी बात रख रहे थे. उन्होंने कहा कि भाजपा ने झारखंड गठन के बाद 10 वर्षों तक शासन करके भ्रष्टाचार और अपराध को सींचा. इसी वजह से आज सूबे की यह हालत है. उधर, मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा है कि भाजपा की नज़र झारखंड की खनिज संपदा पर है. वह इसे लूटना चाहती है. सोरेन ने रांची विधानसभा क्षेत्र से झामुमो की प्रत्याशी महुआ माझी के समर्थन में आयोजित सभा को संबोधित करते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी झूठे सपने दिखाकर प्रधानमंत्री बने हैं और अब उसी अंदाज़ में यहां पूर्ण बहुमत की सरकार बनाने का सपना देख रहे हैं. झामुमो मोदी का रथ रोकेगा, क्योंकि भाजपा आदिवासी-मूलवासी को देखना नहीं चाहती. भाजपा से जुड़े आदिवासी नेताओं को काम करने नहीं दिया जाता. प्रधानमंत्री महिलाओं के हितों के बारे में भाषण देते हैं, लेकिन अपनी पत्नी के बारे में नहीं सोचते. भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह पूंजीपतियों के बिचौलिए हैं. हेमंत ने कहा कि मोदी इन दिनों विदेश यात्राएं करके व्यापारियों को मदद पहुंचाने का काम कर रहे हैं.


महुआ की सक्रियता और भाजपा की मुश्किल
झामुमो की प्रत्याशी महुआ माझी ने बंगालियों के बीच लोकप्रिय रांची के वर्तमान भाजपा विधायक सीपी सिंह के लिए परेशानी बढ़ा दी है. अर्से से राजनीति से दूर रहने वाले बंगाली समुदाय के लिए यह चुनाव परीक्षा की घड़ी है. महुआ माझी के चुनाव मैदान में आने के बाद से शहर की बंगाली महिलाएं अचानक सक्रिय हो गई हैं. क़रीब दो दशक पूर्व स्वर्गीय ज्ञानरंजन के दौर में बंगाली समुदाय की महिलाएं राजनीति में सक्रिय हुआ करती थीं. उसके बाद से यह समुदाय स़िर्फ भाजपा को वोट देता आ रहा है. इस बार का चुनावी समीकरण निश्‍चित तौर पर भाजपा के लिए चिंता का विषय बन चुका है. साहित्य जगत से जुड़ी महुआ को झामुमो से टिकट मिलने की वजह से बंगाली समुदाय के साहित्यिक लोग भी इस बार राजनीति में रुचि ले रहे हैं. वर्धवान कंपाउंड, थड़पखना, पीस रोड, लालपुर, कोकर के अलावा डोरंडा, कडरू, ऑफिस पाड़ा एवं हिनू जैसे इलाकों में बंगाली समुदाय की अच्छी-खासी आबादी है. आम तौर पर यह वर्ग मतदान तो करता है, पर राजनीतिक गतिविधियों से खुद को दूर रखता है. कांग्रेस के नेता ज्ञानरंजन के समय ऐसी स्थिति नहीं थी. यहां कांग्रेस महिला सेवादल के एक शिविर में इंदिरा गांधी खुद शामिल हुई थीं. बाद में यह समुदाय राजनीति से दूर हो गया. इस समुदाय का प्रतिनिधित्व करने वाले नेता भी समाज पर कोई असर नहीं छोड़ सके. इस बार महुआ माझी चुनाव मैदान में भाजपा को टक्कर दे रही हैं. महुआ के लिए अच्छी बात यह है कि वह सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा की प्रत्याशी हैं और राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष भी.

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