बाबुओं का राजनीतिक कनेक्शन
जम्मू-कश्मीर के अधिकारियों के लिए एलओसी के अलावा भी कई मुद्दे हैं, जिनके बारे में उन्हें सोचना होता है. जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इक़बाल खांडेय को राज्य का नया मुख्य सचिव बनाने पर अपनी सहमति दे दी है. एक बार यह निश्‍चित हो जाए तो 1978 बैच के आईएएस अधिकारी इकबाल खांडेय पांचवें मुख्य सचिव होंगे, जो इसी राज्य के निवासी हैं. इससे पहले राज्य के चार अधिकारियों विजय बाकया, शेख गुलाम रसूल, नसीरुल्ला एवं नूर मोहम्मद को मुख्य सचिव बनाया जा चुका है. कुछ दिनों पहले उमर अब्दुल्ला ने अपनी कैबिनेट में फेरबदल किया था, जिसके बाद कुछ नेता उनसे रूठे हुए हैं. सूत्रों का कहना है कि खांडेय को मुख्य सचिव बनाने के लिए उमर अब्दुल्ला की सहमति से वहां के कुछ अधिकारी खुश नहीं हैं. हालांकि खांडेय एक वरिष्ठ अधिकारी हैं, लेकिन कम से कम दो अधिकारी और हैं, जिन्हें राज्य का मुख्य सचिव बनाया जा सकता है. अनिल गोस्वामी और पंकज जैन दो ऐसे अधिकारी हैं, जो मुख्य सचिव बनने की योग्यता रखते हैं और अभी दोनों ही केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर हैं. खांडेय को मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला का काफी क़रीबी माना जाता है. अभी उमर को राज्य में ऐसे ही अधिकारियों की ज़रूरत है, जो अगले साल राज्य में होने वाले चुनाव में उनके काम आ सकें. इस कारण ऐसा कहा जा रहा है कि मुख्यमंत्री का क़रीबी होना इक़बाल खांडेय को मुख्य सचिव बनने की दौड़ में सबसे आगे रख सकता है.
वित्तमंत्री की नई टीम
ऐसा कम ही होता है कि कोई वित्त मंत्री बजट पेश करने से कुछ समय पहले अपनी टीम में परिवर्तन करे, लेकिन वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने ऐसा किया है. वित्तीय सेवा सचिव डी के मित्तल को एक महीने का सेवा विस्तार नहीं मिल रहा है और वह जनवरी के अंत में सेवानिवृत्त होने वाले हैं. डी के मित्तल केवल वित्तीय सेवा के सचिव नहीं हैं, बल्कि निवेश विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी उन्हीं के पास है. डी के मित्तल की जगह रवि माथुर या राजीव टकरू को लाया जा सकता है. सबसे बड़ी बात यह है कि दोनों ही बाबुओं के पास वित्त मंत्रालय में काम करने का पूर्व अनुभव नहीं है. अब देखना यह है कि क्या चिदंबरम बजट से पहले कोई और झटका देने वाला समाचार देते हैं.
 
बाबू को गुस्सा क्यों आया 
ऐसा अक्सर होता है, जब किसी नेता की शिकायत पर बाबुओं पर कार्रवाई की जाती है, लेकिन ऐसा कम होता है कि बाबू उस कार्रवाई का विरोध करें. महाराष्ट्र के एक वरिष्ठ अधिकारी ने विरोध करने की ठान ली है, क्योंकि एनसीपी के एक नेता की शिकायत पर मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण ने उन्हें पद से हटा दिया है. वरिष्ठ आईएएस अधिकारी आनंद कुलकर्णी, जो पहले उत्पाद विभाग के प्रमुख और अतिरिक्त मुख्य सचिव के पद पर रह चुके हैं, ने राजनीतिक हस्तक्षेप के कारण ख़ुद को पद से हटाए जाने का विरोध किया है. स्वाभाविक है, इससे मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण की छवि को धक्का लगा है, क्योंकि कुलकर्णी के विरोध की चर्चा राज्य के बाबुओं के बीच हो रही है. राज्य के प्रधान सचिव सुमित मलिक ने भी आनंद कुलकर्णी का साथ देना शुरू कर दिया है. राज्य के बाबू एक वरिष्ठ अधिकारी के साथ किए गए इस तरह के व्यवहार से काफी दु:खी हैं. सूत्रों का कहना है कि राज्य आईएएस अधिकारी संघ इस समस्या के शीघ्र समाधान के लिए मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चह्वाण से मिलने की योजना बना रहा है. अब देखना यह है कि इसका नतीजा क्या निकलता है.

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