ramdev-copyबाबा रामदेव का इन दिनों एकमात्र लक्ष्य है अगले दो-तीन वर्षों में हर्बल उत्पाद व उपभोक्ता वस्तुओं की कारोबारी कंपनी पतंजलि के मुनाफे को 50 हजार करोड़ रुपए तक पहुंचाना. बाबा इस कंपनी के ब्रांड एंबेसडर हैं और उनके करीबी सहयोगी बालकृष्ण इस कंपनी का संचालन करते हैं. पतंजलि उत्पादों के प्रचार के लिए योग गुरु अपने राजनीतिक संपर्कों का इस्तेमाल करने में माहिर हैं. यही कारण है कि कुछ ही वर्षों में यह कंपनी देश व विदेश की नामी-गिरामी कंपनियों को टक्कर देने लगी.

भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने हाल में भाजपा शासित राज्यों से केंद्र के गरीब समर्थक एजेंडे को आगे बढ़ाने के लिए कहा था. भाजपा शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने इस सबक का मतलब यह निकाला कि पतंजलि के स्वदेशी उत्पाद को बढ़ावा देना ही उनका गरीब समर्थक कार्यक्रम है. तब से पतंजलि के उत्पादों के प्रचार की ऐसी होड़ लगी कि असम, मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा से लेकर छत्तीसगढ़ तक सभी भाजपा के मुख्यमंत्रियों का यह एकसूत्रीय अभियान बन गया.

मुनाफे के इस धंधे में भाजपा शासित राज्य बाबा रामदेव के प्रोजेक्ट को प्राथमिकता देने में जुटे हैं. पतंजलि ट्रस्ट को सस्ती दरों पर या मुफ्त में जमीन मुहैया कराई जा रही है, करों में छूट दी जा रही है और सबकुछ स्वदेशी के नाम पर. पतंजलि के उत्पादों में वृद्धि को बाबा रामदेव ‘आर्थिक स्वाधीनता अभियान’ का नाम देते हैं. वे अक्सर अपने उत्पादों का प्रचार करने के लिए देशभक्ति व स्वदेशी का सहारा लेते हैं. विज्ञापन में पतंजलि लोगों से अपील करती है कि आप हमारे उत्पादों का उपयोग करें, जैसे करोड़ों देशभक्त कर रहे हैं. लेकिन सवाल ये है कि क्या स्वदेशी का मतलब केवल पतंजलि के प्रॉडक्ट ही हैं? क्या पतंजलि के उत्पादों का उपयोग नहीं करने वाले लोग देशभक्त नहीं हैं? या हमें अपनी देशभक्ति साबित करने के लिए पतंजलि के उत्पादों का उपयोग करना होगा. इतना ही नहीं, बाबा रामदेव चाहते हैं कि दूसरी प्रतिद्वंद्वी कंपनियों की चुनौतियों से निपटने के लिए उनके प्रॉडक्ट को हर राज्य में सरकारी प्रोत्साहन मिले. यही कारण है कि बाबा सरकार द्वारा विदेशी कंपनियों को प्रोत्साहन देने की नीतियों के कारण ‘मेक इन इंडिया’ की कई बार सार्वजनिक रूप से खिल्ली भी उड़ा चुके हैं.

असम में चिरांग जिले में पतंजलि ट्रस्ट को सरकार ने 3800 हेक्टेयर जमीन आवंटित क्या की, क्षेत्र में विरोध-प्रदर्शन शुरू हो गए. कृषक मुक्ति संग्राम समिति (केएमएसएस) से जुड़े अखिल गोगोई कहते हैं कि ट्रस्ट को जमीन देने के पीछे आरएसएस का छिपा राजनैतिक एजेंडा है. असम में भाजपा की सहयोगी पार्टी बोडोलैंड पीपुल्स फ्रंट(बीपीएफ) ने पतंजलि ट्रस्ट को फायदा पहुंचाने के लिए जमीन का आवंटन किया है. दरअसल चिरांग जिले की जो जमीन पतंजलि ट्रस्ट को आवंटित की गई है, वह छोटे किसानों की है, जो बेहद उपजाऊ  है. बोडोलैंड टेरिटोरियल काउंसिल (बीटीसी) के मुख्य कार्यकारी अधिकारी हगरामा मोहिलरी ने यह जमीन मुफ्त में पतंजलि ट्रस्ट को सौंप दी है.

योगगुरु बाबा रामदेव के करीबी सहयोगी व पतंजलि ट्रस्ट के प्रमुख आचार्य बालकृष्ण ने जून 2016 में असम के मुख्यमंत्री सर्बानंद सोनोवाल से मुलाकात की थी. उन्होंने मुख्यमंत्री से चिरांग जिले में कृषि व औषधीय पौधों व जड़ी-बूटियों की खेती को बढ़ावा देने के लिए एक प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए जमीन की मांग की थी. वे कहते हैं कि असम के चिरांग जिले में गरीब आदिवासियों के जीवन में समृद्धि लाने के लिए हम यहां प्रोजेक्ट लगाने जा रहे हैं. गरीब किसान जड़ी-बूटी उगाएंगे और हम इसे मिनीमम सपोर्ट प्राइस पर खरीद लेंगे. इससे यहां के आदिवासी समाज के लोगों को घर में ही रोजगार उपलब्ध होगा और उन्हें अन्य राज्यों में कमाने के लिए नहीं जाना होगा. लेकिन देखना है कि जिस तरह पतंजलि अपने मुनाफे को चौगुना करने में जुटी है, क्या उसी रफ्तार से पतंजलि से जुड़े किसानों का?भी भला होगा?

केएमएसएस के अलावा उग्रवादी संगठन यूनाइटेड लिबरेशन फ्रंट ऑफ असम (उल्फा) भी राज्य में पतंजलि ट्रस्ट के विस्तारवादी कदम का विरोध कर रही है. उल्फा चेयरमैन अभिजीत असोम का कहना है कि चिरांग जिले की 3800 हेक्टेयर जमीन भारतीय संविधान के अंतर्गत सिक्सथ शेड्युल्ड एरिया में आती है, जो किसी अन्य को हस्तांतरित नहीं की जा सकती है. उल्फा प्रमुख का कहना है कि 3800 हेक्टेयर में से केवल 400 हेक्टेयर निर्जन है, बाकि जमीन पर लोग बसे हैं. इससे पूर्व 2011 में असम की कांग्रेस सरकार ने पतंजलि को जमीन का आवंटन रद्द कर दिया था.

आसाम के अलावा महाराष्ट्र में भी कंपनी अपने पैर पसारने की तैयारी में है. फरवरी 2016 में महाराष्ट्र सरकार और आचार्य बालकृष्ण ने एक एमओयू पर साइन किया, जिसके तहत ऑरेंज प्रोसेसिंग प्लांट लगाने के लिए नागपुर में कटोल में 200 एकड़ जमीन और आयुर्वेदिक उत्पादों के लिए एसईजेड में 450 एकड़ जमीन रियायती दरों पर आवंटित की जानी है. पतंजलि इस प्रोजेक्ट पर 2000 करोड़ रुपए निवेश करेगी. केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने बाबा रामदेव से नक्सल प्रभावित क्षेत्र गढ़चिरौली और विदर्भ क्षेत्र में पाए जाने वाले औषधीय पौधों व जड़ी-बूटियों पर अनुसंधान कार्य का निवेदन किया है, ताकि यहां के गरीब आदिवासियों का जीवन-स्तर ऊंचा उठ सके. वहीं विपक्ष का आरोप है कि महाराष्ट्र सरकार ने एक कंपनी को फायदा पहुंचाने के लिए सस्ती दरों पर जमीन का आवंटन कर रही है. एनसीपी के प्रवक्ता नवाब मलिक ने बताया कि अगर सरकार की मंशा जंगली उत्पादों को बढ़ावा देने की होती, तो उसे अखबारों में विज्ञापन या टेंडर निकालना चाहिए था. स्वदेशी या मेक इन इंडिया के नाम पर सिर्फ पतंजलि को बढ़ावा देकर सरकार अन्य छोटी स्वदेशी कंपनियों के साथ भेदभावपूर्ण रवैया अपना रही है. कांग्रेस के नेता विलास मुत्तेवार कहते हैं, सबका साथ, सबका विकास नहीं. बीजेपी का साथ, रामदेव बाबा का विकास हो रहा है. सरकार और पूरा प्रशासनिक अमला रामदेव बाबा के प्रोजेक्ट को सफल बनाने में जुटी है. हर भाजपा शासित राज्यों में औने-पौने दामों पर बाबा को जमीन का आवंटन किया जा रहा है.

अब जींस भी स्वदेशी

बाबा रामदेव से पूछा गया कि जींस तो विदेशियों का पहनावा है, फिर आप इसका देशीकरण कैसे करेंगे, इस पर वे कहते हैं कि अब हम जींस का भी स्वदेशीकरण करने जा रहे हैं, जैसा कि हमने नूडल्स का किया है. यानी हर फायदे के धंधे पर बाबा की पैनी नजर है. वे कहते हैं कि हमें चीजों का भारतीयकरण करना है. युवाओं में जींस की अच्छी मांग है. इसीलिए पतंजलि ने विदेशी ब्रांड्स से टक्कर लेने के लिए स्वदेशी जींस लाने की तैयारी की है.

 राशन दुकानों पर पतंजलि

मध्यप्रदेश सरकार पतंजलि के उत्पादों को राशन की दुकानों पर बेचने के लिए जगह उपलब्ध कराने जा रही है. अब इससे बाबा के उत्पादों का प्रचार-प्रसार होगा या राशन दुकानों का कायाकल्प, कहना मुश्किल है. हालांकि मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान का कहना है कि पतंजलि के उत्पादों की मार्केट में डिमांड है. इस कंपनी के उत्पादों की लोकप्रियता को भुनाकर राशन दुकानों का कायाकल्प किया जा सकता है. वहीं सहकारिता राज्य मंत्री विश्‍वास सारंग कहते हैं, हम राशन दुकानों का बहुपयोगी इस्तेमाल कर उनको अत्याधुनिक बनाना चाहते हैं. पतंजलि के उत्पाद बेचने से उन्हें फायदा होगा. लेकिन सवाल तो ये है कि सिर्फ पतंजलि के उत्पाद की बिक्री को ही लेकर सरकार परेशान क्यों है? गौरतलब है कि मध्यप्रदेश में 16,500 राशन की दुकानें हैं. इसके अलावा हजारों सहकारी समितियां हैं. वहीं मध्यप्रदेश सरकार बाबा के फुड प्रोसेसिंग प्रोजेक्ट को जमीन के लिए छूट के साथ-साथ सीएसटी और वैट में?भी राहत देने जा रही है. इसके लिए सरकार को निवेश पॉलिसी में छूट के दायरे को भी बढ़ाना पड़ा. यानी अब पतंजलि अगर 500 करोड़ का निवेश करती है, तो उसे 1000 करोड़ रुपए के वैट और सीएसटी में छूट मिलेगी.

बोल बाबा, कितने करोड़

फोर्ब्स पत्रिका के अनुसार, पतंजलि आयुर्वेद के सह संस्थापक आचार्य बालकृष्ण 16 हजार करोड़ की संपत्ति के मालिक हैं और सबसे अमीर भारतीयों में 48 वें स्थान पर हैं. वहीं चीन की एक पत्रिका हुरुन का दावा है कि आचार्य बालकृष्ण 25,600 करोड़ रुपए की संपत्ति के मालिक हैं. पत्रिका ने बालकृष्ण को सबसे अमीर भारतीयों में 25वें स्थान पर रखा है. पतंजलि की कारोबार वृद्धि दर 153 फीसद रही है. पतंजलि आयुर्वेद में बालकृष्ण की 97 फीसदी हिस्सेदारी है. पांच साल पहले एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा था कि उनके पास अपना बैंक अकाउंट भी नहीं है. फिर बालकृष्ण कैसे सबसे अमीर भारतीयों में शुमार हो गए?

सीआईएसएफ देगी सुरक्षा

योगगुरु के हरिद्वार स्थित फुड पार्क की सुरक्षा में सीआईएसएफ के सशस्त्र कमांडो तैनात किए गए हैं. यह सुरक्षा देश में अभी तक इन्फोसिस जैसी कुछ बड़ी कंपनियों को ही हासिल है. सीआईएसएफ के महानिदेशक सुरेंद्र सिंह ने जानकारी दी थी कि बल को इस संबंध में केंद्र से निर्देश मिला है. 35 सशस्त्र जवानों को इकाई पर तैनात किया जाएगा. हालांकि इस तैनाती का पूरा खर्चा पतंजलि वहन करेगी. हाल में फुड पार्क पर छिटपुट विरोध को देखते हुए अस्थायी तौर पर जवानों की तैनाती की गई थी.

डीआरडीओ का मिला साथ

देश के प्रमुख रक्षा अनुसंधान संगठन डीआरडीओ ने खाद्य पदार्थों के निर्माण और बिक्री के लिए पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के साथ करार किया है. इन खाद्य उत्पादों और हर्बल प्रोडक्ट्स को डीआरडीओ की प्रयोगशाला में विकसित किया गया है. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि सीबकथोर्न एक अनोखा उत्पाद है, जिसके निर्माण और बिक्री के लिए पतंजलि का सहयोग लिया जा रहा है. इसके अलावा डीआरडीओ में विकसित किए गए कई अन्य स्वास्थ्यप्रद उत्पादों के लिए भी पतंजलि ट्रस्ट की मदद ली जाएगी.

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