अन्ना की रसोई भी आम लोगों की रसोई की तरह ही है. दरवाज़े के किनारे से झांकने पर सीधी नज़र आती है एक लिस्ट जो सेल्फ से ज़रा ऊपर गोंद से चिपकी हुई है, जिस पर पूरे दिन का मेन्यू लिखा है. वैसे इसे प़ढकर कोई भी आसानी से अन्ना के खाने की आदत से वाक़ि़फ हो सकता है, पर उत्सुकता कहती है कि थोड़ा और तलाशें. नज़र फिरती है तो दिखती है सब्ज़ियों की टोकरी, एक सेल्फ पर गैस चूल्हा और उसके आसपास मंडराता एक छोटे से क़द का अधेड़ उम्र का व्यक्ति. वह कभी उफनते दूध में चम्मच फिराता है, तो कभी सेल्फ से लगे बेसिन में बर्तन खंगालता है. पीछे मुड़कर रसोई के दरवाज़े पर किसी को खड़ा पाकर कहता है, आपको चाय-पानी कुछ चाहिए, जवाब मिला, नहीं. इस पर वह उसी तन्मयता में वापस लौट गया. यह हैं नेपाली ब्राह्मण कृष्णा प्रसाद खनाल, जो पिछले कुछ समय से अन्ना के रसोईये हैं. वह स़िर्फ अन्ना को खाना पकाकर ही नहीं खिलाते, बल्कि अन्ना के विचारों से इत्ते़फाक़ भी रखते हैं. हर रोज अन्ना और उनके साथियों से मिलने 10 से 100 लोग आते हैं. उन सबके चाय-पानी-नाश्ते का भी ख्याल कृष्णा जी रखते हैं. न उम्र उन्हें थकाती है और न उन्हें किसी से कोई शिकायत होती है. वह कहते हैं, इस तरह वह अन्ना के साथ रहकर उनके आंदोलन को अपना योगदान भी दे रहे हैं. उन्हें फर्क़ ही नहीं पड़ता कि उनके काम को कोई महत्व दे रहा है या नहीं. इस निस्वार्थ सेवा में अन्ना के विचारों का प्रभाव सा़फ नज़र आता है. कृष्णा जी स़फाई का पूरा ध्यान रखते हुए गिलास में दूध निकालते हैं.

अन्ना को फ्रूट सलाद पसंद हैं, जिसमें पपीता, सेब, अनार, केला, संतरा, गाजर, शिमला मिर्च और दूसरे ऐसे लगभग सभी फल-सब्ज़ियां होती हैं, जिन्हें कच्चा खाया जा सके. वह फलों पर काली मिर्च पाउडर और सेंधा नमक डालकर लेते हैं. अन्ना आयोडाइज्ड नमक नहीं खाते हैं. इस सादे सलाद में कभी चटपटा स्वाद लाने के लिए अन्ना पतंजलि का अनारदाना चूर्ण डालते हैं. कृष्णा जी रात को भिगोयी हुई चना दाल, छिलके वाली मसूर दाल, देसी चना, मेथी दाना और मूंग मिलाकर स्प्राउट मिक्स तैयार करते हैं और उसे भी ट्रे में रख देते हैं. आमतौर पर अन्ना इसमें सेंधा नमक डालकर लेना पसंद करते हैं.

फिर मुड़कर दाहिनी तऱफ बनी रसोई के स्टोर रूम में पड़े एक बड़े बोरे से थोड़ा सा आटा निकालते हैं, और पलटकर पूछते हैं आप रोटी लोगे? जवाब मिला, नहीं. वह कहते हैं यह अन्ना के सुबह के नाश्ते का इंतज़ाम है. सुबह के नाश्ते में अन्ना को गरमा-गरम रोटी और सादी सब्ज़ी पसंद है. अन्ना की रोटी में केवल गेहूं का स्वाद नहीं होता, बल्कि कई तरह के अनाज की ताक़त होती है. जिस आटे की रोटी अन्ना के लिए बनाई जाती है उसमें जौ, राई, तिल, गेहूं, चना और दूसरे अनाजों का मिश्रण होता है. इससे हर तरह की पौष्टिकता शरीर को मिलती है. यह मिश्रित आटा अन्ना के एक अनुयायी जो हरियाणा से संबंध रखते हैं, भेजते हैं. जयहिंद छात्र मोर्चा के प्रधान नवीन जयहिंद को अन्ना से विशेष लगाव है, इसलिए उन्होंने अन्ना के लिए इस विशेष आटे का प्रबंध करने का बीड़ा उठाया है. नवीन अन्ना के साथ 1995 से जुड़े हैं. इसके साथ अन्ना को सब्ज़ी पसंद है. वह कोई भी उबली सब्ज़ी घी-तेल-मसाले का छौंक लगाए बिना केवल नमक और काली मिर्च मिलाकर लेना पसंद करते हैं. अन्ना चाय-कॉ़फी से परहेज़ करते हैं और इसकी जगह वह एक प्याला दूध लेना पसंद करते हैं. इसके अलावा वह किसी एक फल का जूस और नारियल पानी लेते हैं. कुछ दिन के नियमित अंतराल पर अन्ना जौ का जूस लेते हैं. इसके लिए उनके रसोईये रात को जौ भिगोकर रख देते हैं और फिर सुबह उठकर अन्ना उस पानी को पीते हैं. अन्ना का सुबह का नाश्ता का़फी पौष्टिक और हल्का होता है. सुबह का नाश्ता तक़रीबन नौ बजे हो जाता है और दोपहर का खाना लगभग एक बजे होता है. इस बीच अन्ना हल्की-फुल्की चीज़ें लेते रहते हैं. अन्ना को सबसे ज़्यादा पसंद अनार का जूस है. सब्ज़ियों के सूप में उन्हें सभी हरी सब्ज़ियों का स्वाद पसंद है.

रामलीला मैदान में अनशन के दौरान संसद में अन्ना पर निशाना साधते हुए लालू यादव ने कहा था कि अन्ना जी से पूछना चाहिए कि 74 साल की उम्र में वह 12 दिन तक कैसे टिके हुए हैं, और 12 दिनों के लगातार अनशन के बावजूद 74 साल के अन्ना टनाटन बोल रहे हैं, और अन्ना यह भी कहते हैं कि अब भी वह 3 किलोमीटर की दौ़ड लगा सकते हैं. लालू यादव ने कहा कि यह हम राजनीति करने वाले लोगों को सीखना चाहिए और डॉक्टरों को रिसर्च करनी चाहिए तथा किताब भी लिखनी चाहिए कि अन्ना जी के लंबे अनशन का राज़ क्या है? कौन सा तत्व उनके अंदर है, कौन सी चीज़ हम लोग भी पान करें, ताकि हम लोग भी कभी ज़रूरत प़डने पर ऐसा कर सकें. यह लेख खास तौर पर लालू यादव के लिए है, वैसे उनके अलावा देश के और भी लोग हैं, जो अन्ना को पसंद करते हैं और जानना चाहते हैं कि आ़खिर अन्ना किन खास चीज़ों का सेवन करते हैं जिससे अनशन के बावजूद वह डटे रहे.

अन्ना को फ्रूट सलाद पसंद है, जिसमें पपीता, सेब, अनार, केला, संतरा, गाजर, शिमला मिर्च और दूसरे ऐसे लगभग सभी फल-सब्ज़ियां होती हैं, जिन्हें कच्चा खाया जा सके. वह फलों पर काली मिर्च पाउडर और सेंधा नमक डालकर लेते हैं. अन्ना आयोडाइज्ड नमक नहीं खाते हैं. इस सादे सलाद में कभी चटपटा स्वाद लाने के लिए अन्ना पतंजलि का अनारदाना चूर्ण डालते हैं. कृष्णा जी रात को भिगोयी हुई चना दाल, छिलके वाली मसूर दाल, देसी चना, मेथी दाना और मूंग मिलाकर स्प्राउट मिक्स तैयार करते हैं और उसे भी ट्रे में रख देते हैं. आमतौर पर अन्ना इसमें सेंधा नमक डालकर लेना पसंद करते हैं. फलों से भरी यह ट्रे अन्ना की टेबल पर पूरे दिन रहती है. अन्ना दिन भर फलों का जूस या सब्ज़ियों का सूप लेना पसंद करते हैं. अन्ना के लिए सूप तैयार करना बहुत आसान है. इसके लिए सभी सब्ज़ियों को उबाल कर उन्हें मिक्सर में पीस लेना होता है और फिर छननी से छानकर बस प्याले में डालते हैं. इसमें भी केवल सेंधा नमक और काली मिर्च डालकर अन्ना को परोसा जाता है. अच्छी बात यह है कि अन्ना को जो भी परोसा जाए चाहे वह जूस हो या सूप सब ताज़ा होता है. इसका श्रेय निश्चित तौर पर अन्ना के रसोईये को ही जाता है. जिस प्यार से वह अन्ना का खाना तैयार करते हैं, उनकी यह मेहनत तारी़फ के क़ाबिल है. पूरे दिन अन्ना से मिलने वालों का तांता लगा रहता है और साथ ही उनके दोपहर के खाने का इंतज़ाम करना होता है. एक तऱफ आने वाले लोगों को चाय नाश्ता देना और दूसरी तऱफ समय पर अन्ना को खाना खिलाना. दोपहर के खाने में अन्ना दाल, चावल, केला और दही मुख्य तौर पर लेना पसंद करते हैं. कृष्णा जी याद करते हैं, एक बार जब अनजाने में उन्होंने अन्ना को दोपहर के खाने में अरहर की दाल परोस दी थी, तो अन्ना ने उस दिन चावल दही के साथ ही खा लिए थे. साथ में थोड़ी सब्ज़ी ही ली थी और दाल हल्के से सरका दी थी. उन्होंने कहा कि अरहर की दाल वह नहीं खाते हैं. तब से कृष्णा जी ने रसोई में चिपके मेन्यू में नीचे एक नोट लिख दिया-अरहर की दाल नहीं बनानी है. अब यह हिदायत आने वाले सभी रसोइयों के लिए एक सूचना हो जाएगी. इसके अलावा उन्हें सारी दालें पसंद हैं. दोपहर के खाने में उन्हें दही लेना बहुत पसंद है. लेकिन दही में वह चीनी नहीं लेते हैं, कभी-कभी इच्छा होने पर सेंधा नमक ले लेते हैं. दरअसल अन्ना किसी भी चीज़ में सीधा चीनी नहीं लेते हैं. इसके साथ अन्ना वेजीटेबल सूप लेते हैं. इसके बाद अन्ना वापस अपने कामकाज में जुट जाते हैं. कृष्णा जी एक बार फिर अन्ना के पास की टेबल को जाकर चेक करते हैं, देखते हैं कि उनकी टेबल पर पड़ी फलों की टोकरी खाली तो नहीं हो गई है. अगर वह खाली हो जाए तो फिर से उसे भर देते हैं, क्योंकि शाम को नाश्ता-चाय करने की उनकी आदत नहीं है. इसके बजाय वह फ्रूट, जूस, सूप और सलाद ही लेना पसंद करते हैं. रसोई में एक किनारे पर बिस्किट के पैकेट पर नज़र पड़ने पर, कृष्णा जी से पूछा गया कि अन्ना ये बिस्किट कब खाते हैं. जवाब मिला, कभी-कभी खा लेते हैं, शाम में स्नैक्स के तौर पर. पूछने पर कि कौन सा बिस्किट उन्हें पसंद हैं, जवाब मिलता है, अन्ना इतने ऩखरे नहीं करते हैं, जो भी दे दिया जाए वह चुपचाप खा लेते हैं. बिस्किट में तो वह कोई भी सादा बिस्किट खा लेते हैं. वह फिर रसोई के दूसरे कामों में व्यस्त हो जाते हैं. दोपहर के खाने के बाद अन्ना दिन ढलने पर रात का खाना ही खाते हैं, जिसकी तैयारी में ज़्यादा समय नहीं लगता है. रात के खाने में उन्हें रोटी, सब्ज़ी ही पसंद है. साथ में सलाद ज़रूर होना चाहिए. मिश्रित आटे की रोटी और सब्ज़ी के साथ कृष्णा जी अन्ना के लिए अपना प्यार भी परोसते जाते हैं और अपने लिए सम्मान को स्वीकार करते हुए अन्ना बिना किसी शिकायत के सबकुछ ग्रहण करते जाते हैं. रोटी की जगह कभी-कभी अन्ना दाल चावल लेना पसंद करते हैं. साथ में कोई सब्ज़ी चल जाती है. खा
ना समाप्त होने के बाद अन्ना उठते हैं और कमरे में ही थोड़ी देर टहलते हैं. तब तक कृष्णा जी अन्ना के लिए दूध तैयार कर देते हैं, अन्ना बिस्तर तक जाते हैं और कृष्णा जी उनकी टेबल पर दूध रख देते हैं. अन्ना सोने से पहले दूध लेते हैं, जिसे देना कृष्णा जी कभी नहीं भूलते हैं. कृष्णा जी के दिनभर का काम तब खत्म होता है, जब वह अन्ना के लिए उनके बिस्तर के पास की टेबल पर एक मग पानी रख देते हैं, जिसे अन्ना सुबह उठते ही पीते हैं और उनका नया दिन शुरू होता है.

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