अमर सिंह जिस उद्देश्य से राजनीतिक मंच पर उतारे गए हैं, उस उद्देश्य की तरफ बढ़ने का काम उन्होंने बाकायदा शुरू कर दिया है. दूसरी तरफ आजम खान भी जो कर रहे हैं, उसका फायदा भाजपा को ही मिलना है. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि साम्प्रदायिक कटाक्ष, कटोक्तियां और कीचड़ अभी और उछाले जाएंगे ताकि चुनाव आते-आते धार्मिक उन्माद गहराए और वोट में तब्दील हो. आज के अखिलेशी-दौर में उपेक्षित सपा के एक पुराने वरिष्ठ नेता ने कहा, ‘आप पता तो करिए, आजम की भी भाजपा से अंदरूनी मिलीभगत है. जिस तरह असदुद्दीन ओवैसी भाजपा को फायदा पहुंचाता है, उसी तरह आजम भी भाजपा को फायदा पहुंचाता है.’

सपा के इन वरिष्ठ नेता के तर्क एकबारगी खारिज नहीं किए जा सकते. आजम जिस तरह के बयान जारी करते हैं, उससे घृणा का माहौल सृजित होता है. यह घृणा निश्चित तौर पर जनता के राजनीतिक निर्णयों पर भी असर डालती है. आजम के पूर्व के बयानों पर हम बाद में चर्चा करेंगे. आजम के हाल के बयानों ने जिस तरह सरगर्मी फैलाई और अमर सिंह को उग्र धार्मिक तेवर अख्तियार करने का मौका दिया, उस पर निगाह डालते चलना प्रासंगिक है.

पिछले दिनों एक समाचार चैनल को दिए साक्षात्कार में आजम खान ने अमर सिंह प्रसंग पर कहा था, ‘जब ये लोग काटे जाएंगे और इनकी बेटियां तेजाब में गलाई जाएंगी, तब देश में दंगा होना बंद हो जाएगा.’ आजम खान ने इसके साथ ही कई और तल्ख टिप्पणियां की थीं. आजम के इस बयान के बाद राज्यसभा सदस्य अमर सिंह ने आपा खो दिया. आजम खान के बयान पर पहले अमर सिंह की एक नाराजगी भरी वीडियो-क्लिपिंग सोशल मीडिया पर वायरल हुई और उसके बाद अमर सिंह सीधे मैदान में उतर आए.

लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस की और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिल कर औपचारिक रूप से अपनी शिकायत भी दर्ज कराई. आजम के बयान पर अमर सिंह की प्रतिक्रिया और आजम की प्रति-प्रतिक्रिया अभी प्रदेश की राजनीति पर छाई हुई है. सारी बहसें इन्हीं बयानों के इर्द-गिर्द खुर्द-बुर्द हो रही हैं. लेकिन कोई यह बात नहीं कर रहा कि एक खास न्यूज चैनल ने खास समय पर आजम को खास सवालों पर क्यों कुरेदा? एक ‘अचर्चित’ समाचार चैनल पर आजम के साक्षात्कार को ‘हाइप’ देने का प्रायोजन किन लोगों और किन तत्वों की तरफ से हुआ? कुछ ही दिन पहले अमर सिंह से भी इस चैनल ने इंटरव्यू किया था.

बहरहाल, अमर सिंह ने प्रदेश की राजनीति गरमा दी है. वे आजम-प्रकरण को लेकर प्रदेशभर में घूमेंगे और हवा बनाएंगे. मुनादी उन्होंने लखनऊ से की और अपनी मुहिम की शुरुआत आजम के गढ़ रामपुर से की. वीडियो क्लिपिंग वायरल होने के बाद लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए अमर सिंह ने कहा कि आजम उनकी हत्या कराना चाहते हैं. अमर ने सीधे-सीधे कहा कि अंतरराष्ट्रीय आतंकी और अपराधी सरगना दाऊद इब्राहीम से आजम खान के सम्बन्ध हैं.

अमर सिंह ने भावुकता का माहौल बनाते हुए कहा, ‘मैं किसी दल की तरफ से नहीं आया बल्कि दो बेटियों के बाप की हैसियत से आया हूं. आजम खान ऐसा शख्स है जो मुलायम सिंह का जन्मदिन मनाने के बाद सार्वजनिक रूप से कहता है कि अबू सलेम और दाऊद इब्राहीम उसके आदर्श हैं और जलसे के लिए उन लोगों ने पैसा दिया. आजम खान मुझे और मेरी पत्नी को कटवाने और बेटियों पर तेजाब डलवाने की बात करता है. मुझे डर लगता है कि कहीं हमारी बेटियों पर वह तेजाब न फेंकवा दे. मेरी हत्या कर दीजिए, बकरीद बीते ज्यादा दिन नहीं हुआ है. मेरी कुर्बानी ले लीजिए लेकिन मेरी मासूम बच्चियों को छोड़ दीजिए. मैं आपकी बेटी-बेटे, पत्नी और परिवार के स्वस्थ और प्रसन्न रहने की दुआ करता हूं.’

अमर ने कहा, ‘मैं आपके रामपुर आ रहा हूं. मुझे कटवा दीजिए, बकरीद के दिन बकरी काटी होगी. हिंदू जिसे पवित्र मानते हैं, आपके समर्थकों ने संभवतः उसे भी काटा होगा. आपके खून की प्यास नहीं बुझी है. मैं रामपुर में पीडब्लूडी के गेस्ट हाउस में रहूंगा, मुझे कटवा देना. यह मत समझना कि मैं बहादुर हूं, मैं लड़ रहा हूं. मैं तो एक डरा हुआ बाप हूं. आप प्रदेश के नामी-गिरामी भारी बेताज शहंशाह हैं. मुलायम सिंह के सियासी दत्तक पुत्र हैं और देश का गृहमंत्री, प्रदेश सरकार और देश की सरकार भी आज तक आपका कुछ बिगाड़ नहीं पाई है.’

अमर सिंह ने आजम खान के विवादास्पद जौहर अली विश्वविद्यालय का मसला भी उठाया और कहा कि वे विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति राज्यपाल राम नाईक से मिल कर कानून में संशोधन की अपील करेंगे. अमर ने न्यूज चैनल में दिखाए गए आजम खान के विवादास्पद इंटरव्यू की सीडी भी पत्रकारों के बीच वितरित कराई. अमर सिंह ने कहा कि इस सीडी के जरिए जनता को यह पता चलना चाहिए कि इस तरह की आपराधिक और असंसदीय भाषा से राजनीति नहीं होती है. ऐसा कहते हुए अमर सिंह का अपना दर्द भी छलका, ‘विरोध करना है विरोध करिए. किया तो विरोध. एक बार पिता ने और एक बार पुत्र ने समाजवादी पार्टी से निष्कासित कर दिया. अब तो मेरी हत्या ही बाकी है, हत्या भी करा दो.’

अमर सिंह ने आजम पर प्रहार करते हुए मुलायम सिंह और अखिलेश पर भी निशाना साधा. अमर सिंह ने कहा, ‘मुलायम सिंह तुम्हारी भी पत्नी है, तुम्हारी भी पुत्रवधु है और अखिलेश यादव तुम्हारी भी बेटी है, अगर उसे कहा जाएगा कि तेजाब से जलाया जाएगा तो तुम लोग क्या करोगे? शर्म करो, अगर यही धर्मनिरपेक्षता है तो इसके बजाए मैं साम्प्रदायिक होना ज्यादा पसंद करूंगा. मैं मुसलमानों का विरोधी नहीं हूं. अब्दुल हमीद, अब्दुल कलाम, अशफाक उल्ला खां जैसे मुसलमानों का मैं समर्थक हूं. लेकिन वह मुसलमान जो खिलजी की तरह पद्मावती की इज्जत लूटने आता है, जो नादिरशाह, अब्दाली की तरह बच्चों पर तेजाब फेंकने, महिलाओं की इज्जत लूटने आता है, उन मुसलमानों का समर्थक मैं नहीं हो सकता. इसके लिए साम्प्रदायिकता का टीका और तमगा अपने माथे पर लेने के लिए मैं तैयार हूं.’

अमर सिंह ने इटावा में विष्णु का मंदिर बनाने की बात कहने वाले अखिलेश यादव पर भी तीखा प्रहार किया. कहा, ‘तीन उपचुनाव क्या जीत गए, हिंदुओं की बेटियों को तेजाब से जलाने का लाइसेंस मिल गया! सपा की सरकार आई थी तो हिंदू लड़कियां बेइज्जत हुई थीं. सपा की सरकार चली गई तो धमकी की प्रक्रिया सिर्फ तीन उपचुनाव से शुरू हो गई. विष्णु का मंदिर बनाएंगे? कौन हैं विष्णु? क्या राम विष्णु के अवतार नहीं हैं?’

परिवारवाद के मसले पर अमर सिंह ने आजम खान को कठघरे में रखते हुए कहा, ‘आजम खान तुमने कहा कि मैं अवसरवादी हूं. हां, मैं अवसरवादी हूं क्योंकि मैंने अपनी पत्नी को राज्यसभा नहीं भेजा. मैं अवसरवादी हूं क्योंकि मेरी कोई औलाद विधायक नहीं है. मैं अवसरवादी हूं क्योंकि मैंने करोड़ों-अरबों-खरबों का घोटाला करके बाप के नाम पर विश्वविद्यालय नहीं बनाया, जिसका मैं आजन्म कुलाधिपति बन बैठा. पिछले दरवाजे से तुम वजीर बने, वजारत किए.

तुम्हारी बेगम राज्यसभा में है, तुम्हारी औलाद विधानसभा में है, मेरे परिवार का कोई व्यक्ति क्या, दूर का सम्बन्धी भी नहीं है.’

अपने आक्रोश की अभिव्यक्ति के साथ ही अमर सिंह ने राजनीति भी पिरोई. समाजवादी पार्टी को नसीहत देने के बहाने अमर ने कहा, ‘लोहिया के नाम पर नमाजवादी पार्टी के लोगों से मैं कहना चाहता हूं, लोहिया को पढ़ो. लोहिया ने धारा-370 के विरोध में भारतीय जनसंघ का साथ दिया था. सदन में लोहिया का भाषण है, एक झंडा, एक संविधान और एक देश. लोहिया के प्रचार में अटल बिहारी वाजपेयी गए थे, पंडित दीनदयाल उपाध्याय गए थे. दोनों की बैठक हुई थी.

भारत और पाकिस्तान का महासंघ बनाने की वकालत लोहिया ने की थी. अखंड भारत की बात दीनदयाल ने की थी. दोनों राजनेता गैर कांग्रेसवाद की बात करते थे. आज भाजपा से इतना परहेज हो गया है. जब चंद्रशेखर जी के कहने से मैंने नानाजी देशमुख की मदद की थी, तब तो मुलायम सिंह ने भी उसमें सहयोग किया था. उस वक्त मुलायम ने कहा था कि वे अपने घर का नाम राम-कुटीर रखेंगे. तब मैंने कहा था कि सियाराम-कुटीर रखिए. लोहिया जी भी सियाराम की बात करते थे.’

राज्यसभा चुनाव में 12 वोटों के खारिज होने और एक वोट के नाकारा होने से जीत दर्ज कर ‘ज़ी’ न्यूज़ के मुखिया सुभाष चंद्रा के शीर्ष सदन का सदस्य होने के प्रकरण से ही अमर सिंह भाजपाई सियासत के रंगमंच पर लॉन्च हो गए थे. सुभाष चंद्रा की जीत की रणनीति बुनकर अमर सिंह ने भाजपा में भी अपने हुनर का लोहा मनवा लिया. इसके बाद भाजपा में अमर सिंह की पैठ आड़ी-तिरछी न होकर सीधी हो गई. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनकी मुलाकातें होने लगीं. अरुण जेटली से अमर सिंह की पुरानी दोस्ती रही है.

इतनी प्रगाढ़ कि अमर सिंह की किडनी के प्रत्यारोपण के वक्त जेटली सिंगापुर तक गए थे. पिछले दिनों लखनऊ में आयोजित स्मार्ट सिटी महोत्सव और इन्वेस्टमेंट-समिट के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमर सिंह की खास प्रशंसा करके यह संकेत दे दिया था कि आने वाले दिनों में यूपी की राजनीति में अमर सिंह का विशेष रोल होगा. अमर सिंह का विशेष रोल दिखने लगा है. यह अभी और परवान चढ़ेगा. लखनऊ कार्यक्रम में मोदी ने कहा था, ‘हम वो नहीं हैं जो उद्योगपतियों के साथ खड़े रहने से डरते हों. देश में ऐसे भी नेता हैं जो उद्योगपतियों के साथ फोटो खिंचवाने से डरते हैं, लेकिन बंद कमरों में उनके सामने दंडवत हो जाते हैं.

अमर सिंह के पास तो सबकी हिस्ट्री है, वो सब निकाल देंगे. वह एक-एक करके सबका इतिहास खोल देंगे.’ मोदी की बातें लोगों ने बड़े ध्यान से सुनीं और उसके निहितार्थ समझने की कोशिश की. कार्यक्रम में मौजूद अमर सिंह को देख कर भी मोदी की प्रशंसा के निहित-अर्थ समझ में आ रहे थे. अमर सिंह भगवा रंग का कुर्ता पहने पहली कतार में आसीन थे. उन्हें भाजपाई हस्तियों की कतार में अग्रणी श्रृंखला में देख कर कई लोग हैरत में भी दिखे थे. बहरहाल, आने वाले चुनावी वर्ष में अमर सिंह की भूमिका क्या होगी, उसका एक अध्याय आजम प्रकरण के बहाने खुला है. चुनाव के पहले की जोड़-तोड़ और चुनाव के बाद की खींचतान, सबमें अमर सिंह माहिर हैं.

अहम रोल के लिए शिवपाल तैयार

इसी भूमिका के निर्वहन में अमर सिंह ने खास तौर पर सपा नेता शिवपाल सिंह यादव का नाम लिया. अमर सिंह ने कहा कि भाजपा में शिवपाल के शामिल होने के लिए उनकी भाजपा के एक शीर्ष नेता से बात हो गई थी, लेकिन शिवपाल वहां नहीं पहुंचे. अमर सिंह की यह बोली कोई अनजाने में थोड़े ही निकली! अमर सिंह के इस बयान ने दोधारी असर किया. एक तरफ अखिलेशवादी समाजवादी पार्टी में खलबली मची तो दूसरी तरफ समाजवादी पार्टी में भारतीय जनता पार्टी के संभावित बड़े और प्रभावकारी सेंध की संभावना की मुनादी हो गई. मुलायम अब सार्वजनिक रूप से फिर से यह कहने लगे हैं कि उनका अपमान हो रहा है.

शिवपाल और उनके समर्थकों की पार्टी में उपेक्षा की पीड़ा फिर से सतह पर उभरने लगी है. यह बेमतलब थोड़े ही है. शिवपाल यादव ने भाजपा में शामिल होने की बातों को भले ही नकार दिया हो, लेकिन आने वाले लोकसभा चुनाव में अपने ‘अहम रोल’ को लेकर वे कहां इन्कार कर रहे हैं. यूपी में भाजपा की सहयोगी पार्टी सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी (सुभासपा) के नेता और योगी सरकार में मंत्री ओमप्रकाश राजभर ने शिवपाल यादव को चुनाव लड़ने का आमंत्रण देकर शिवपाल की चुनावी-भूमिका की तरफ साफ-साफ इशारा कर दिया है.

समाजवादी सेकुलर मोर्चा उतरा मैदान में

फिलहाल समाजवादी पार्टी में शिवपाल के समर्थक फिर से सक्रिय होने लगे हैं. शिवपाल का समाजवादी सेकुलर मोर्चा अब घोषित तौर पर राजनीतिक मंच पर आ चुका है और बड़ी तेज गति से सक्रिय हो गया है. सेकुलर मोर्चे में क्षेत्रीय दलों को भी शामिल करने की जद्दोजहद चल रही है. दूसरी तरफ शिवपाल फैंस एसोसिएशन के नाम पर भी बड़ी संख्या में शिवपाल समर्थक गोलबंद हो रहे हैं. इस संगठन ने प्रदेशभर में अपनी सांगठनिक मौजूदगी पुख्ता कर ली है. अमर सिंह ने भी शिवपाल की प्रशंसा करते हुए कहा कि शिवपाल यादव देश की राजनीति के लिए मुलायम सिंह यादव की अच्छी देन साबित हो रहे हैं.

समाजवादी सेकुलर मोर्चा और शिवपाल फैंस एसोसिएशन अखिलेश खेमे में काफी बेचैनी पैदा कर रहा है. अभी हाल ही में लोहिया ट्रस्ट की बैठक में मुलायम और शिवपाल की गुफ्तगू भी अखिलेश खेमे को काफी परेशान कर रही है. बैठक में मुलायम और शिवपाल ने मिल कर ट्रस्ट के कामकाज की समीक्षा की और लोकसभा चुनाव की रणनीतियों को लेकर भी चर्चा की. शिवपाल ने मीडिया से स्पष्ट कहा, ‘मैंने समाजवादी सेकुलर मोर्चे का गठन किया है. मोर्चा प्रदेश में काम कर रहा है.

समाजवादी पार्टी में जिन लोगों को उपेक्षित रखा गया था, जो बिना किसी जिम्मेदारी और काम के इधर-उधर घूम रहे थे, जिनका कहीं भी सम्मान नहीं था, हमने उन्हें इकट्‌ठा करके उन्हें काम पर लगाया है, उन्हें जिम्मेदारी सौंपी है. वे कार्यकर्ता अब प्रदेश में विभिन्न स्थानों पर जा रहे हैं, जिलों-जिलों में जा रहे हैं, लोगों से सम्पर्क साध रहे हैं. समाजवादी सेकुलर मोर्चे के साथ हम सभी छोटे दलों को इकट्‌ठा करने और उन्हें साथ जोड़ने की कवायद कर रहे हैं. जितने भी लोग उपेक्षित हैं, सबको इकट्‌ठा करेंगे और मजबूत संगठन बना कर आएंगे सामने.

भगवती सिंह जैसे वरिष्ठ नेता भी जब यह कहें कि पार्टी में उनका सम्मान नहीं रहा, तो हमारा प्राथमिक दायित्व है कि ऐसे वरिष्ठ नेताओं का हम सम्मान करें. हम तो उन्हें भी कहेंगे कि वे वरिष्ठ नेताओं का सम्मान रखें. वरिष्ठ नेताओं का सम्मान नहीं किया, इसीलिए तो समाजवादी पार्टी इतनी कमजोर हुई है.’ शिवपाल ने यह भी कहा कि समाजवादी सेकुलर मोर्चा और उसके साथ इकट्‌ठा हुए दल एक साथ मिल कर यह तय करेंगे कि लोकसभा चुनाव में हमारी भूमिका क्या होगी. राजनीति की नब्ज पर हाथ रखने वाले विशेषज्ञों का यह भी आकलन है कि शिवपाल का समाजवादी सेकुलर मोर्चा प्रदेश के छोटे-मोटे दल को एकजुट कर लोकसभा चुनाव के पहले भाजपा के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल हो सकता है.

नाईक और योगी से मिल कर रोया दुखड़ा

आजम खान के धमकी भरे बयान को लेकर राज्यसभा सांसद अमर सिंह ने बुधवार 30 अगस्त को उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात की. राजभवन में राज्यपाल से अमर की मुलाकात एक घंटे से अधिक चली. अमर सिंह ने पूरा प्रकरण राज्यपाल के समक्ष रखा और उनसे संवैधानिक हस्तक्षेप की मांग की. अमर सिंह ने मीडिया से कहा कि उन्होंने एक पिता की हैसियत से अपनी पीड़ा राज्यपाल के समक्ष व्यक्त की है. अमर सिंह ने कहा, ‘मैं नहीं जानता कि आजम खान की ताकत इतनी बढ़ गई है कि वह बच्चों पर तेजाब डालने की बात करे.

अगर हम निर्भया कांड को देखें तो वह कोई हिंदू मुसलमान को देखकर नहीं किया गया. हिंदुस्तान का मतलब सिर्फ हिंदू नहीं है, एक दर्शन है. हिंदुस्तान में कई ऐसे मुसलमान हैं, जो ‘भारत माता की जय’ कहते हैं. जो व्यक्ति जम्मू-कश्मीर को भारत का हिस्सा नहीं माने और जो मुजफ्फरनगर कांड जैसे दंगे कराए, वह हिंदुस्तानी नहीं हो सकता.’ आजम की धमकी प्रकरण में मुलायम सिंह यादव की चुप्पी पर अमर सिंह ने कहा, ‘मुलायम सिंह चुप रहे इसीलिए तो मुझे बेजार होना पड़ा. आज मुझे मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के पास जाना पड़ रहा है.’ राज्यपाल से मिलने के बाद अमर सिंह मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से उनके आवास पर मिले.

वीडियो में बहादुर बने थे, प्रेस कॉन्फ्रेंस में निरीह

आजम खान के बयान पर अमर सिंह की प्रतिक्रिया का जो वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, उसमें अमर सिंह जबरदस्त क्रोध में नथुने फड़काते और क्षत्रियत्व का हवाला देते नजर आते हैं. जबकि लखनऊ में प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमर सिंह दो बेटियों के निरीह पिता होने का उपक्रम करते दिखे. प्रेस कॉन्फ्रेंस में अमर सिंह ने कहा कि वे अपनी दो बेटियों के पिता के रूप में आए हैं. वे खुद अपनी कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं, आजम खान उनकी बेटियों को बख्श दें. अमर सिंह ने बड़े कातर भाव से यह भी कहा कि उनकी पत्नी और बेटियां बाहर निकलने से डरती हैं, रोती हैं. दूसरी तरफ प्रेस कॉन्फ्रेंस के दो दिन पहले जारी वीडियो में अमर सिंह दहाड़ते नजर आते हैं. आजम खान को संस्कृति का राक्षस, तैमूर लंग,

अलाउद्दीन खिलजी और ऐसी तमाम आतताई संज्ञायें देते नजर आते हैं. अमर सिंह गुस्से में उफनते दिखते हैं और क्षत्रियत्व की सौगंध खाते हुए मुकाबले की चुनौती देते हैं. इस गुस्से में वे अखिलेश के इटावा में विष्णु मंदिर बनाने की घोषणा को भी समेटते हैं और कहते हैं कि कैसे उन्होंने मुलायम-अखिलेश परिवार की बहू-बेटियों की इज्जत बचाई. इसी क्रम में अमर सिंह अखिलेश को समाजवादी पार्टी का नहीं बल्कि नमाजवादी पार्टी का अध्यक्ष बताते हैं और आखिर में कहते हैं, ‘तुम्हारी हर चुनौती का सामना करने के लिए मैं वीरता से तैयार हूं.’ वही अमर सिंह प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईद में कुर्बानी का बकरा बनने तक की विनम्रता दिखाते हैं.

अब तो घर-तोड़ू अंकल नहीं, फिर एक क्यों नहीं हो जाते!

अमर सिंह ने मुलायम परिवार में हुई टूट-फूट का मसला उठाते हुए कहा कि परिवार में फूट के लिए उन्हें ही दोषी ठहराया जाता था. अमर सिंह ने कहा, ‘अब तो घर-फोड़ू अंकल नहीं हैं, अब क्यों नहीं कर लेते परिवार में एकता!’ ऐसा कहते हुए अमर सिंह ने विधानसभा चुनाव के पहले मुलायम सिंह यादव की पत्नी साधना गुप्ता यादव के उस बयान का हवाला दिया, जिसमें श्रीमती साधना ने कहा था कि उनका अपमान हुआ है. ऐसा कहते हुए अमर सिंह ने फिर अखिलेश यादव पर प्रहार किया और कहा, ‘अखिलेश प्रतीक को अपना भाई नहीं मानता,  साधना जी को मां नहीं मानता, फिर यह भी कहता है कि विष्णु का मंदिर बनाएंगे.

विष्णु मर्यादा के प्रतीक ईश्वर हैं. राम विष्णु के ही अवतार हैं. अखिलेश में लेश मात्र भी मर्यादा नहीं है. अखिलेश ने कहा था कि चार महीने बाद मुलायम सिंह को पद दे देंगे, क्या दे दिया? अखिलेश ने कहा था कि बाहरी व्यक्ति की वजह से परिवार में झगड़ा है. इसपर मैंने अखिलेश के पिता को पैक करके रैप करके दे दिया. अब मैं बात भी नहीं करता मुलायम सिंह से. अब तो अंकल नहीं हैं, अब तो एक हो जाओ! अब किसके सिर पर ठीकरा फोड़ोगे? दूसरों के सिर पर ठीकरा फोड़ने की परम्परा रही है समाजवादी पार्टी उर्फ नमाजवादी पार्टी में.’

यह जनता का ध्यान भटकाने का हथकंडा है : अखिलेश

अमर सिंह के आरोपों पर अखिलेश ने राजनीतिक प्रतिक्रिया दी. अखिलेश ने कहा कि भाजपा लोगों का ध्यान भटकाने के लिए ऐसा कर रही है. वह अहम मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना चाहती है. अखिलेश ने कहा कि मुद्दे से जनता का ध्यान भटकाने का हुनर सिर्फ भाजपा के पास है. गरीबी, बेरोजगारी और सरकारी वायदों पर कोई बात नहीं हो रही है. देश का युवा परिवर्तन चाहता है, यूपी की जनता बदलाव चाहती है, किसान से लेकर व्यापारी तक परेशान हैं, आखिर इन मुद्दों से देश का ध्यान कब तक भटकाया जाएगा? समाजवादी-पार्टी को नमाजवादी-पार्टी कहने के अमर सिंह के वक्तव्य पर अखिलेश ने कहा, ‘हमारे प्रोडक्ट भाजपा वाले प्रोडक्ट नहीं हैं.’ अखिलेश ने यह भी कहा कि देश 2019 में नया प्रधानमंत्री चाहता है. सोशल मीडिया पर आजम-अमर के वीडियो वायरल होने के मसले पर अखिलेश ने कहा कि डिजिटल दुनिया में कुछ सोच-समझ कर फैलाया जा रहा है. इसमें कुछ लोगों को ज्यादा जानकारी भी है और दिलचस्पी भी. भाजपा से बड़ा झूठ कोई बोल नहीं सकता.

अब मेरा कोई सम्मान नहीं करता : मुलायम

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता भगवती सिंह के जन्मदिवस पर लखनऊ के गांधी सभागार में आयोजित सभा में मुलायम सिंह यादव ने साफ-साफ कहा कि अब उनका कोई सम्मान नहीं करता. मुलायम ने भावुक होते हुए कहा, ‘अब शायद मेरे मरने के बाद ही लोग मेरा सम्मान करेंगे.’ मुलायम सिंह ने कहा, ‘ऐसा वक्त आ गया है जब मेरा कोई सम्मान नहीं करता है, शायद मेरे मरने के बाद लोग मेरा सम्मान करेंगे.

राम मनोहर लोहिया के साथ भी ऐसा ही हुआ था. एक वक्त ऐसा आ गया था, जब वो भी कहा करते थे कि इस देश में जिंदा रहते कोई सम्मान नहीं करता है.’ सपा के वरिष्ठ नेता भगवती सिंह ने भी खुद की उपेक्षा और असम्मान का मसला उठाया और कहा कि पार्टी की इस नव-संस्कृति से वे बहुत दुखी हैं. मुलायम ने भगवती सिंह के योगदानों को रेखांकित करते हुए कहा कि समाजवादी पार्टी के गठन में भगवती सिंह की महत्वपूर्ण भूमिका रही है. उन्होंने संगठन को मजबूत करने के लिए बहुत काम किया है. उन जैसे नेताओं की कोशिशों के चलते ही पार्टी इस मुकाम तक पहुंच पाई है.

मुलायम के बयान पर शिवपाल ने कहा कि वे अपने बड़े भाई मुलायम सिंह यादव का हमेशा सम्मान करते हैं और करते रहेंगे. शिवपाल बोले कि आज जो लोग बड़े हुए हैं, वे नेताजी की वजह से हुए हैं. शिवपाल ने कहा, ‘मैं हमेशा नेता जी के साथ था और रहूंगा.’ शिवपाल का यह बयान अखिलेश के लिए कटाक्ष भी था और संदेश भी.

आजम के ‘अनमोल’ वचन…

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान के बोल पार्टी के लोग भी ‘अनमोल’ ही मानते हैं. पार्टी के कुछ वरिष्ठों का कहना है कि भाजपा के एक वरिष्ठ नेता से आजम खान का ‘पैक्ट’ है. आजम साम्प्रदायिक द्वेष के बोल बोलते रहेंगे और भाजपा को फायदा पहुंचाते रहेंगे. दूसरी तरफ कुछ सपाई यह भी मानते हैं कि आजम खान के बयानों से सपा को मुसलमानों को अपने पक्ष में गोलबंद करने में मदद मिलती है. इन परस्पर राजनीतिक धारणाओं के बरक्स आजम के कुछ उन बयानों पर एक बार फिर नजर डालते चलें जो जब निकले तब विवाद ही उछले.

* ‘अमर सिंह उद्योगपति हैं या दल्ले? किसी का राज़ खोलने, बाथरूम में कितनी सीटें लगी हैं, बेडरूम में कितनी चादरें बदली गईं, यह बताने का काम तो दल्लों का होता है. बादशाह को इस स्तर के लोगों से दूर ही रहना चाहिए.’

* ‘बात कुछ समझ में नहीं आती? ये आरएसएस वाले ब्याह क्यों नहीं करते. क्या बात है. कोई कमजोरी होती है तब ही आरएसएस में जाते हैं या कोई और इंतजाम है इनका.’

* ‘योगी जी पहले शादी करें और साबित करें कि वे मर्द हैं.’

* ‘ताजमहल भगवान शिव का मंदिर है, ऐसा मुझे योगी जी ने बताया है. तो शिव जी का मंदिर बने. ताजमहल को तोड़ने के लिए पहला हथौड़ा योगी को मारना होगा, दूसरा मैं मारूंगा.’

* ‘बुलंदशहर गैंगरेप राजनीतिक साजिश है. यह किसी राजनीतिक दल की कारगुजारी है. सत्ता की लोभी पार्टियां किसी भी हद तक जा सकती हैं.’ (इस बयान पर आजम को अदालत में माफी मांगनी पड़ी)

* ‘भारतीय सेना जम्मू-कश्मीर में लोगों से बुरा बर्ताव कर रही है. इसपर पूरे हिंदुस्तान को शर्मिंदा होना चाहिए और सोचना चाहिए कि हम दुनिया को क्या मुंह दिखाएंगे?’

* ‘दहशतगर्द फौजियों के प्राइवेट पार्ट्स काटकर ले गए. उन्हें हाथ से शिकायत नहीं थी. सिर से नहीं थी. पैर से नहीं थी. जिस्म के जिस हिस्से से उन्हें शिकायत थी, वे उसे काटकर ले गए. यह कितनी शर्मिंदगी वाली बात है.’

* ‘मैं फासीवादी ताकतों के लिए आइटम गर्ल बन गया हूं. भाजपा के लिए मैं नफरत का एजेंडा हूं. मेरे खिलाफ नफरत फैलाकर भाजपा को वोट मिलते हैं.’

* ‘गुलाम नबी आजाद कश्मीरी हैं, वे भारतीय नहीं हैं. जम्मू-कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं है, वह विवादास्पद हिस्सा है. लिहाजा, गुलाम नबी इस देश के नेता नहीं हैं.’

* ‘मैंने भारत मां को डायन कहा. मैं आज भी अपने बयान पर कायम हूं कि जो मां अपने बच्चों के खून की प्यासी है, वो मां नहीं हो सकती. कुछ नेताओं ने भारत, गंगा और राम को अपना बना लिया है.’

* ‘भारत सरकार ने बुलेट ट्रेन के लिए जापान से डील की है. असल में जापान का एक शख्स पूरे देश के कपड़े उतार कर ले गया. यह डील जापान को सुंदर बनाने के लिए हुई है.’

* ‘भाजपा मुस्लिमों पर हमले रोकने में नाकाम रही है. मुसलमानों को न तो गाय रखनी चाहिए और न दूध का कारोबार करना चाहिए.’

* ‘मैं नाचने-गाने वालों के मुंह नहीं लगता.’ (फिल्म अभिनेत्री जया प्रदा पर टिप्पणी)

* ‘कश्मीर में पत्थरबाज ने देश के सैनिक के गाल पर थप्पड़ नहीं मारा है, यह थप्पड़ भारत माता के गाल पर मारा है. लेकिन राष्ट्रवाद का ढोंग करने वाला 56 इंची सीने वाले बादशाह को केवल चुनाव जीतने की ज्यादा चिंता है, इसलिए वह रोड-शो में ही मस्त है.’

* ‘दादरी हत्याकांड के बाद गौ-भक्त किसी भी होटल के मीनू में बीफ का दाम न लिखने दें. यदि ऐसा होता है तो सभी फाइव स्टार होटल को बाबरी मस्जिद की तरह तोड़ दिया जाए.’

* ‘करगिल जंग में फतह दिलाने वाले सेना के जवान हिंदू नहीं मुस्लिम थे.’

* ‘कुत्ते के पिल्ले के बड़े भाई, हमें तुम्हारा गम नहीं चाहिए.’ (कार के नीचे कुत्ते का पिल्ला भी आ जाता है, तो दुख होता है. मोदी के इस बयान पर आज़म ने उपरोक्त असंसदीय टिप्पणी की थी)

* ‘अमित शाह गुंडा नंबर वन है. 302 का अपराधी यूपी में दशहत फैलाने आया है. ऐसे अपराधी को क्या भारत रत्न दिलवा दूं?’

* ‘गरीब घरों की महिलाएं यार के साथ नहीं जा सकतीं, इसलिए ज्यादा बच्चे पैदा करती हैं.’

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