akhilesh-suspend-sspगोरखपुर के कैंट थानान्तर्गत इंदिरानगर गोपालपुर मोहल्ले में 13 जून की आधी रात लोग गोलियों की तड़तड़ाहट से उठ बैठते हैं. गोलीबारी में दो लोग बुरी तरह जख्मी हो जाते हैं. घटना से चूंकि सत्ता के नशे में चूर सपाई जुड़े थे, तो पुलिस तत्परता दिखाते हुए अभियुक्तों को गिरफ्तार कर कैंट थाने ले आती है. सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष गोपाल यादव के पुत्र गौरव यादव जो खुद भी सपा के पदाधिकारी हैं, थाने में ही विरोधियों से भिड़ जाते हैं.

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पुलिस गौरव को समझाती है तो दारोगाओं की वर्दी उतरवा लेने की धमकियां थाने में ही उछाली जाती हैं. इससे भी मन नहीं भरता तो पुलिस वालों को मां-बहन की गालियां दी जाती हैं. तब तक कैंट के क्षेत्राधिकारी भी मौके पर पहुंच जाते हैं. पुलिस गौरव के साथ सख्ती से पेश आती है, इस पर सपाई नारे लगाते हैं, मामला मुख्यमंत्री अखिलेश यादव तक पहुंचता है और यादव-रहनुमा मुख्यमंत्री गोरखपुर के एसएसपी अनंतदेव और कैन्ट थाने की तीन चौकियों के प्रभारियों को निलंबित करने का फरमान जारी कर देते हैं. संयोग यह है कि 14 जून को मुख्यमंत्री गोरखपुर में ही मौजूद हैं, वहां जनता के हित की तमाम सियासी तकरीरें पढ़ते हैं और वहीं पर एक कर्मठ एसएसपी के निलंबन की जन-विरोधी पटकथा लिख देते हैं. छह महीने पहले ही गगहां थाने के बासूडीहा में दलितों और ठाकुरों के बीच हुए बवाल पर जब तत्कालीन एसएसपी प्रदीप यादव ने महिलाओं और बुजुर्गों पर कहर बरपाया था, तब वह मुख्यमंत्री को नहीं दिखा था.

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यहां तक कि इस समय सपा के ही विधान परिषद सदस्य देवेन्द्र प्रताप सिंह की एसएसपी के खिलाफ शिकायत नहीं सुनी गई थी और विवश होकर सपा नेता को धरना पर बैठना पड़ा था. सपा के जातिवादी उन्माद में पगे होने का आरोप लगा कर देवेन्द्र प्रताप सिंह को सपा छोड़ देनी पड़ी. बाद में प्रदीप यादव का तबादला हुआ और लव कुमार गोरखपुर के एसएसपी बनाए गए. लेकिन सपा सरकार को लव कुमार की कार्यशैली भी अच्छी नहीं लगी, क्योंकि लव कुमार को असामाजिक तत्वों से चिढ़ थी और सपा सरकार को ऐसे तत्वों से लव है. लिहाजा, लव कुमार को चार महीने में ही गोरखपुर से रुख्सत कर दिया गया. फिर अनंतदेव की पोस्टिंग हुई. स्पेशल टास्क फोर्स में रहते हुए अनंतदेव कई उल्लेखनीय टास्क पूरा करने का रिकार्ड कायम कर चुके हैं. लेकिन सपाइयों ने इन्हें भी निपटा दिया.

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उल्लेखनीय है कि 13 जून की आधी रात को कैंट थाने के इंदिरा नगर गोपलापुर निवासी रामनयन यादव और चन्द्रजीत यादव के बीच जमीन पर कब्जे को लेकर अंधाधुंध गोलियां चलीं. इसमें रामनयन व चन्द्रजीत घायल हो गए. पुलिस ने इस मामले में सपा के जिला सचिव गौरव यादव समेत दोनोें पक्षों के चार लोगों को हिरासत में ले लिया. दोनों ही पक्ष थाने में ही मारपीट करने लगे. पुलिस ने दोनों पक्षों के साथ सख्ती की तो सपाइयों ने बवाल मचाया. इसमें सपा के मौजूदा जिलाध्यक्ष मोहसिन खान ने एसएसपी के खिलाफ कुछ अधिक ही विरोध दिखाया, जबकि एसएसपी मौके पर मौजूद भी नहीं थे. आखिरकार एसएसपी और पुलिस अधिकारियों को मुख्यमंत्री से निलंबित करवा कर ही सपाई शांत हुए. मुख्यमंत्री के इस रवैये की चारों तरफ जबरदस्त निंदा हो रही है.

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निलंबित होने वाले अधिकारियों में एसएसपी अनंतदेव के अलावा मोहद्दीपुर चौकी इंचार्ज नरेंद्र प्रताप राय, बेतियाहाता चौकी इंचार्ज दिनेश तिवारी, जटेपुर चौकी इंचार्ज मृत्युंजय सिंह और सिपाही योगेश सिंह शामिल हैं. गोरखपुर के एसएसपी को इस तरह अमर्यादित तौर-तरीके से निलंबित किए जाने के मसले पर गोरखपुर के सांसद और गोरक्षधाम पीठ के महंत योगी आदित्यनाथ ने कहा कि प्रदेश में कानून व्यवस्था की जगह अपराध का बोलबाला है. मुख्यमंत्री की भी यही प्राथमिकता है. मथुरा और कैराना इसका जीता-जागता उदाहरण है. प्रदेश में आए दिन दुष्कर्म, लूट और हत्या की खबरें अलग-अलग इलाकों से आती रहती हैं. प्रदेश में सड़क पर चल रहे व्यक्ति की हत्या कब हो जाए यह किसी को नहीं पता. अनंतदेव जैसे आईपीएस अधिकारी का निलंबन कर मुख्यमंत्री अखिलेश यादव क्या संदेश देना चाहते हैं, यह तो वही जानें, लेकिन आम जनता का यही कहना है कि मुख्यमंत्री के लिए जातिवाद और असामाजिक तत्वों को संरक्षण देना ही प्राथमिकता पर है.

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