nuxalनक्सलियों के खिलाफ खड़े हुए संगठन रिवॉल्यूशनरी कम्युनिस्ट सेंटर ने भी अपने पांव पसारना शुरू कर दिया है. पिछले एक दशक से गया जिले का नक्सल प्रभावित क्षेत्र शेरघाटी अनुमंडल में सक्रिय आरसीसी अब मगध प्रमंडल के अन्य क्षेत्रों में भी अपने संगठन को विस्तारित और मजबूत करने में जुट गया है. अपने गठन के शुरूआती दिनों में आरसीसी ने नक्सलियों के खिलाफ आंदोलन खड़ा करने का ऐलान किया था. इस वजह से आरसीसी को आम लोगों के साथ-साथ पुलिस महकमे का भी संरक्षण मिलना शुरू हुआ था. इसका प्रतिफल यह हुआ कि बहुत सारे नक्सली पकड़े गए और कई मुठभेड़ में मारे गए. शुरूआती दिनों में नक्सलियों के पकड़े जाने या मुठभेड़ में मारे जाने के बाद गया जिले में सक्रिय प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा(माओवादी) के साथ-साथ उसके सहयोगी संगठनों में भी खलबली मच गई. माओवादियों ने इस मामले पर गुप्त बैठक कर विचार-विमर्श करने के बाद अपने शीर्ष नेतृत्व को सूचना दी कि नक्सलियों के पकड़े या मारे जाने में आरसीसी प्रमुख विनोद मरांडी तथा उनके सहयोगियों का हाथ है. इसके बाद से ही भाकपा(माओवादी) ने अपने निशाने पर आरसीसी व इसके प्रमुख विनोद मरांडी को ले लिया. इसके बाद से आरसीसी एवं माओवादियों के बीच कई संघर्ष हुए. जिसमें दोनों ओर से लोगों को काफी क्षति उठानी पड़ी. इस दौरान आरसीसी प्रमुख विनोद मरांडी को अपरोक्ष रूप से पुलिस का संरक्षण मिलने की बात कही जाती रही. लेकिन बाद के वर्षों में आरसीसी ने अपनी धाक जमाने तथा लोगों में दहशत पैदा करने के लिए कुछ ऐसी हिंसक घटनाओं को अंजाम दिया, जिससे पुलिस के सामने कानून व्यवस्था कायम रखने में परेशानी उत्पन्न होने लगी. तब पुलिस तथा प्रशासन ने आरसीसी को ही प्रतिबंधित संगठन घोषित कर दिया.

वहीं दूसरी ओर आरसीसी प्रमुख विनोद मरांडी अपने संगठन को मजबूत करने के लिए वह सब काम शुरू कर दिए जो कि प्रतिबंधित नक्सली संगठन भाकपा(माओवादी) की ओर से किए जाते हैं. आरसीसी ने भी अपने प्रभाव क्षेत्र में ठेकेदारों से लेवी वसूलने, विकास कार्यो में हिस्सेदारी तथा सरकारी कर्मियों और पुलिसकर्मियों के खिलाफ अभियान छेड़ दिया. आरसीसी के कार्यकलापों से पुलिस प्रशासन के लोग जब परेशान हो गए तो पुलिस की ओर से भी आरसीसी के खिलाफ कार्रवाई शुरू कर दी गई. जिसमें दर्जनों आरसीसी के हार्डकोर पकड़े गए. लेकिन इसके प्रमुख विनोद मरांडी को नहीं पकड़ा जा सका. विनोद मरांडी गया जिले के गुरारू थाना क्षेत्र के डिहा गांव का निवासी है. विनोद पहले भाकपा (माओवादी) का सब-जोनल कमांडर हुआ करता था. किसी बात को लेकर अपने संगठन में विनोद का विवाद हो गया. जिसके कारण वह अपने एक अन्य सहयोगी विकास यादव के साथ भाकपा(माओवादी) से अलग हो गया. अलग होने के कुछ दिनों बाद ही इन दोनों ने मिलकर रिवॉल्यूशनरी कम्युनिस्ट सेंटर (आरसीसी)का गठन किया और नक्सलियों से मिलते-जुलते एजेंडे पर काम करना शुरू किया. माओवादियों से अलग होने के कारण ही पुलिस ने इसे अपना गुप्तचर बना लिया. इसके कारण माओवादियों ने 6-7 साल पहले विनोद मरांडी के डिहा स्थित घर को डायनामाइट से उड़ा दिया. इस घटना के बाद से आरसीसी तथा भाकपा माओवादियों में वर्चस्व की लड़ाई को लेकर संघर्ष तेज हो गया. लोगों का आरोप यह था कि आरसीसी प्रमुख विनोद को एक जाति विशेष के लोगों का खुला समर्थन प्राप्त है.

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23 फरवरी 2016 को गया शहर के डेल्हा थाना क्षेत्र से उत्तम नामक एक युवक की गिरफ्तारी हुई, जो गया शहर में रहकर आरसीसी की गतिविधियों को संचालित करता था. उसकी निशानदेही पर गया जिले के इमामगंज थाना क्षेत्र से पांच लोगों को गिरफ्तार किया गया, जो आरसीसी के हार्डकोर थे. पिछले महीने गया जिले के शेरघाटी अनुमंडल में आरसीसी की ओर से प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी, मध्यान भोजन प्रभारी, विकास कार्यो में लगे ठेकेदारों तथा अन्य लोगों से खुलेआम लेवी की मांग की जा रही थी. एक तरह से इस संगठन ने पुलिस को खुली चुनौती दे रखी थी. गिरफ्तार किए लोगों में उत्तम कुमार बड़की निवासी करासन इमामगंज, मंटू सिंह पथरा निवासी इमामगंज, राकेश कुमार घोड़ाघा डोभी, बबलू उर्फ अमीत रहमानी निवासी नारायणपुर, इमामगंज के अलावा झारखंड के प्रतापपुर के रहने वाले अशोक महता चन्द्री और जोरी निवासी संदीप पासवान शामिल हैं. इन सभी ने मिलकर अपने आधार क्षेत्र में शिक्षा विभाग और ठेकेदारों को टारगेट कर रखा था. आरसीसी की ओर से शिक्षा विभाग के अधिकारियों को लेवी के लिए धमकी दी जा रही थी.

आरसीसी की योजना में गुरूआ के प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को जान से मारने की योजना बनाई जा चुकी थी. इसके अलावा कई ठेकेदार भी आरसीसी के निशाने पर थे. जिले में संचालित राईस मील, ईंट-भट्टा मालिकों तथा कंस्ट्रक्शन कंपनियों को भी लेवी के लिए निशाने पर रखा गया था. उक्त बातों को बताते हुए आरसीसी के गिरफ्तार सदस्यों ने बताया कि ये लोग कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दे चुके हैं.
आरसीसी अपने पांव पसारकर अपने आधार क्षेत्र का विस्तार मगध प्रमंडल के सभी जिलो में करने के साथ-साथ झारखंड के क्षेत्र में भी अपनी मजबूत उपस्थिति दर्ज कराना चाहता रहा है. लेकिन इसी बीच आधा दर्जन आरसीसी सदस्यों को पकड़े जाने के बाद से आरसीसी कुछ कमजोर हो गया है.

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