बैंकिंग सैक्टर को मज़बूत बनाने की दिशा में सरकार ने अहम कदम उठाते हुए बैंक ऑफ बड़ौदा, देना बैंक और विजया बैंक के विलय घोषणा की है. इन तीनों बैंकों को मिलाकर जो बैंक बनेगा, उसका आकार 14.82 लाख करोड़ रुपये का होगा और वह एसबीआई तथा पीएनबी के बाद देश का तीसरा सबसे बड़ा बैंक होगा. इन बैंको के विलय के बाद इसका ज्यादा असर लोगों पर नहीं पड़ेगा.

बाजार विशेषज्ञों का कहना है कि तीनों बैंकों के विलय से ग्राहकों को अब बैंक संबंधित कार्य या एटीएम से पैसे निकालने के लिए दूर नहीं जाना पड़ेगा. विलय के बाद बैंकों की नई शाखाओं का निर्माण किया जाएगा और शाखाओं की संख्या में वृद्धि होगी. इसी के साथ एटीएम की संख्या में वृद्धि होगी. कई नए एटीएम की स्थापना की जाएगी, जिसका ग्राहकों को लाभ मिलेगा.

बता दें कि तीनों बैंक नई तकनीक की तरफ अग्रसर होंगे, जिससे ग्राहकों का फायदा होगा. साथ ही लंबी-लंबी लाइनों से छुटकारा मिलेगा. इस प्रक्रिया से आपके बैंक डिपॉज़िट पर कोई असर नहीं होगा और वह सेफ रहेगा, क्योंकि पहले भी कई बैंक मर्ज़ हुए हैं. बता दें कि कोटक महिंद्रा बैंक में आइएनजी वैश्य बैंक का विलय किया जा चुका है. उस समय भी ग्राहकों का पैसा सेफ रहा था.

इन राज्यों को होगा ज़्यादा फायदा

 

विलय से बना बैंक, बैंक ऑफ बड़ौदा के नाम से ही संचालित होगा. हालांकि अंतिम फैसला विलय प्रक्रिया पूरी होने के बाद ही होगा. अभी तक गुजरात, महाराष्ट्र व उत्तर भारत के कुछ राज्यों में प्रमुखता से काम कर रहे बीओबी को इस विलय से सबसे ज्यादा फायदा होगा. उसे तमिलनाडु, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और केरल जैसे अपेक्षाकृत संपन्न राज्यों में एक विशाल बैकिंग नेटवर्क हासिल होगा.

 

कर्मचारियों पर असर             

आखिर में ये सवाल उठता है कि इस विलय से इन बैंकों के कर्मचारियों पर क्या असर होगा. इस पर वित्त मंत्री अरूण जेटली ने कहा कि सरकार द्वारा विलय की घोषणा के मद्देनजर इन तीनों बैंकों के कर्मचारियों को अपने करियर को लेकर चिंतित होने की जरूरत नहीं है. किसी भी कर्मचारी को ऐसी दशाओं का सामना नहीं करना पड़ेगा, जो उनके लिए प्रतिकूल ना हो.

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