जब 29 जनवरी के श्याम के प्रजासत्ताक दिवस के रिट्रीट परेड के कार्यक्रम से अबायड (Abaid with me) इस गीत की धुन को हटाने का फैसला लिया गया ! जो 1950 से शामिल थी ! वैसे 2020 के समय भी हटाने की कोशिश की ! पर अगले साल 2021 कुछ आलोचना के कारण शामिल किया था ! वैसे ही अमर जवान ज्योति को, इंडिया गेट से निकाल कर युद्ध के स्मारक में मिला दिया है ! और सेंट्रल विस्टा के नाम से समस्त लुटेन के परिसर में जो तोडफोड करके संसद भवन परिसर से लेकर प्रधानमंत्री, उपराष्ट्रपति तथा अन्य मंत्रियों के बंगले बनाने की शुरुआत कोरोना के आड में हजारों मजदूरों के स्वास्थ्य की परवाह किए बिना करना ! जो कि कोरोना जैसे महामारी के लिए बजट में पैसा नहीं है कहा जा रहा था ! और हजारों करोड़ रुपये खर्च कर के, सेंट्रल विस्टा जैसे अलिशान योजना में पैसा फुकने की करतुत करने वाली मानसिकता ! यह अमानवीयता का भी जीता जागता स्मारक के रूप में आने वाले समय में जाना जायेगा ! बस आप लोगों को तो अपनी छाप छोडने का बुखार जो चढा हुआ है !
और नेताजी सुभाष चंद्र बोस को लेकर भौंडापन करने की कृति बिल्कुल सरदार पटेल की मूर्ति को लेकर जैसा हायजेक करने के अलावा और कुछ भी नहीं है !
गत दो महीने पहले से ख्रीस्ती धर्म स्थलों पर तथाकथित हिंदुत्ववादी गुंडों को भेजकर कर्नाटक के बेलुर जिला हसन, फिर पंजाब के पठानकोट और राजधानी दिल्ली में आयोजित चर्चो पर हमलो की ही कडी में इस दो सौ साल पहले लिखी गई प्रार्थना (हेन्री फ्रांसीस लीट ने अपने दोस्त के मृत्यु के समय 1820 में लिखी थी ! और फिर खुद ही 1847 में उनकी मृत्यु के समय उसकी धुन बजाने का प्रथम बार प्रयोग किया गया !) फिर युरोपीय देशों में भी वहां के सेना में रिट्रीट परेड में शामिल की गई है !


और भारत के साथ इसका संबंध होने की वजह, महात्मा गाँधी के प्रिय भजनों में, जैसा रघुपति राघव, वैष्णव जन तो की कडी मे इसका भी समावेश किया गया है ! महात्मा गाँधी के 79 साल के जीवन का एक चौथाई समय सबसे पहले इंग्लैंड में शिक्षा के लिए, और दक्षिण अफ्रीका में वर्ण भेदी सरकार के खिलाफ आंदोलन करने में विदेशों में व्यतीत हुआ है ! और इस कारण उनके व्यक्तित्व को वैश्विक पैमाना प्राप्त हुआ !जिसे अंग्रेजी में स्टेट्समन कहा जाता है ! इस लिए यह प्रार्थना अर्थपूर्ण है ! तो उन्होंने अपने अन्य प्रार्थनाओ के साथ इसका भी समावेश किया है ! अब कविता या कलाकारों की कलाकृतियों में जात – धर्म, देश की नजर से देखना शुद्ध विकृत और कुपमंडुप मानसिकता का परिचायक है !

आज की तारीख में गुरुदेव टैगोर के गित दो विदेशी देशों में राष्ट्रगान के रूप में गाये जा रहे हैं ! बंगला देश और श्रीलंका !जो सौ साल पहले इटली और जर्मनी में हुआ था ! और वह आज भारत में गत आठ साल से हूबहू नकल कर के, जीवन के हर क्षेत्र में शुरू किया गया है !गोमांस, ड्रेस कोड, अन्य धार्मिक स्थलों पर हमले तथा उनके उपर खलिस्तानी, पाकिस्तानी, विदेशी एजंट जैसे ऊलजलूल आरोप मढना, और सबसे भयंकर प्रकार माॅबलिंचग ! यह भारत में हजारों सालों से दलितों के साथ, तथा महिलाओं और आदिवासियों के साथ, होने का इतिहास बहुत पुराना है ! लेकिन वर्तमान समय में जब से बीजेपी सत्ता में आई तबसे शेकडो लोगों को जान से मारने का पोग्राम किया जा रहा है ! जिसमें अल्पसंख्यक समुदायों के लोगों को मारने का सिलसिला जारी है ! जैसा हिटलर के स्टॉर्म स्टुपर्स के स्वयंसेवक करते थे !

और भले ही खुद प्रधानमंत्री ने कहा है कि, वह सब गुंडों की करतुत है ! लेकिन गुंडों के उपर कारवाई तो दूर की बात है ! उल्टा उन्हें पुलिस के भेस में भेजा गया ! और जे एन यू, जामिया, अलिगढ तथा एन आर सी के खिलाफ और किसानों के आंदोलनों में संघी गुंडों द्वारा पिछले प्रजासत्ताक दिवस के अवसर पर लाल किले पर झंडा फहराने का प्रयोग और गोली मारो सालों को जैसे आपत्तिजनक नारो के साथ दिल्ली की सड़कों पर प्रदर्शन करने वाले कौन लोग थे !

और जमुनापार के दिल्ली के दंगे करने के लिए कौन जिम्मेदार है ? कोरोना जैसे महामारी में भी अल्पसंख्यक समुदायों को बदनाम करने की करतुत करने वाले कौन लोग थे ?
इस प्रार्थना का अर्थ है कि, हे भगवान तू हमेशा मेरे साथ है ! मेरे जिंदा रहते हुए भी और मृत्यु के बाद भी ! लगभग दो सौ साल हो चुके इसे लिखे ! और विल्यम हेन्री मांक ने इसकी धुन बनाई है ! और भी कई लोगों ने इस पर धुनें बनाई है ! एक तरफ यह धुन किसी के मरणोपरांत बजाई जाती है ! और दुसरी तरफ चार पाच देशो की सेना के रिट्रीट के कार्यक्रम में भी बजाई जाती है ! महात्मा गाँधी की भी वैष्णव जन तो तेने कहीए सातवी शताब्दी के संत नरसी मेहता के जैसे ही प्रिय प्रार्थना है ! और भी महात्मा गाँधी जी के प्रार्थनाओ में शामिल है वैसे ही इसे भी उन्होंने अपने प्रार्थनाओ में शामिल किया है !
जो हमारे प्रजासत्ताक दिवस के रिट्रीट कार्यक्रम में 1950 से शामिल थी ! लेकिन बीजेपी सत्ता में आने के बाद 2020 के रिट्रीट कार्यक्रम से हटा दी थी ! तो उसे लेकर काफी विवाद हुआ था ! तो पिछले साल के कार्यक्रम में शामिल किया था ! लेकिन इस बार पुनः हटाने का निर्णय लिया गया है ! तो फिर से विवाद शुरू हो गया है !


जहाँ तक मेरा विचार है कि बीजेपी यह संघ की राजनीतिक ईकाई है ! और संघ महात्मा गाँधी के कितने खिलाफ है यह बात छुपी नहीं है ! असल में संघ शतप्रतिशत फासिस्ट विचारों पर विश्वास रखने वाला संगठन हैं ! उसे अपने विचारों के अनुसार भारत को इटली और जर्मनी( 90 साल पहले के !) की तरह बनाने की कोशिश, गत सौ साल पहले से कर रहे हैं !

और अब वह आठ साल से, केंद्र और कुछ अन्य राज्यों में भी सत्ता में आने के कारण ! उन्हें अपने हिसाब से इस देश को हिंदुराष्ट्र बनाना है ! और इसीलिये उदार नीतियों के खिलाफ कार्रवाई करने की शुरूआत, वह 2014 में सत्ता में आने के तुरंत बाद जे एन यू, जामिया मिलिया, विश्वभारती शांतिनिकेतन की तथा अन्य सेंट्रल यूनिवर्सिटी, आईआईटी, यूजीसी, योजना आयोग तथा अन्य सभी संशोधन करने के लिए बनाई गई सभी विषयों के संस्थानों में संघ के लोगो को बैठाकर, इतिहास का पुनर्लेखन, समाजशास्त्र के जात और वंश के सिद्धांतों को बदलने से लेकर विज्ञान के क्षेत्र में भी उनके हिसाब से हमारे देश में हजारों साल पहले अग्निबाण से लेकर प्लास्टिक सर्जरी, पुष्पक विमान, और गाय के दूध से लेकर गोबर, मुत्र तक कितना औषधि गुणवत्ता हैं ! से लेकर योग – प्राणायाम, ज्योतिष शास्त्र से लेकर मंत्र और तंत्र को बढ़ावा देने में लगे हुए हैं ! और उसी कड़ी में फलाना इस्लाम धर्म से संबंधित है ! या ख्रीस्ती की प्रार्थना है ! तो उसे हटाने की प्रक्रिया में अबाइड वुइथ मी को हटाने का निर्णय लिया गया है ! जैसे कुछ शहरों के नाम बदलने की कवायद ! इसी मानसिकता के परिचायक है !
दो साल के बाद लोकसभा के चुनाव है ! और उन्हें एहसास हो गया है कि, 2024 के बाद उनकी सरकार नही रहेगी ! तो जो भी कुछ बदलाव करना है ! जल्दी से ही करना है ! तो वह सभी तरह के हथकंडे अपनाकर इस तरह के बदलाव की कोशिश कर रहे हैं !

सबसे पहले यूटूब से चार मिनट के इस गीत को सुनने की कोशिश की ! फिर विभिन्न शब्दकोश खंगालने के बाद पाया ! कि वर्तमान समय में भारत के केंद्र में बैठी हुई सरकार जीसका मातृ संगठन आर एस एस है उसके निंव (Foundation) के सर्वस्वी विपरीत अर्थ इस गीत के है!
क्योंकि इस संगठन की शुरुआत किसी खास कौमो के खिलाफ, नफरत पैदा करके अपने संगठन में शामिल लोगों को तैयार करना है ! और उन्हें गुजरात की बीस साल पहले के दंगों में इस्तेमाल करने मे काम आते हैं ! वो इस तरह के उदारता के संदेश देने वाली किसी भी तरह की सामग्री ! फिर वह साहित्य, कला, शास्त्रों के खिलाफ रहना स्वाभाविक है !
1925 से ही उन्होंने अपने संगठन के स्वयंसेवकों को लेकर जो प्रशिक्षण दिया है ! वह इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की फासिस्ट पार्टी और उसकी ही नकल कर के जर्मनी में हिटलर के नाझीवाद को देखकर खडा कीया है !


मुसोलिनी और हिटलर ने अपने शासन काल में वहां के अल्पसंख्यक समुदायों के खिलाफ क्या कहर बरपा है !यह इतिहास में दर्ज है ! जिसे आज सौ साल होने जा रहा है ! हमारे देश के कुछ बुद्धिजीवियों को लगता है कि ! अब दुनिया में कोई भी हिटलर या मुसोलिनी जैसा बन नही सकता ! यह उनके संघ के अध्ययन के अभाव के कारण यह धारणा है ! या कुछ लोगों को संघ से सहानुभूति होने की वजह से वह जानबूझकर उसे अंडरएस्टिमेट करते हैं !
संघ के फासिस्ट या नाझीवाद के साथ के रिश्तों पर एक इटली की ही बुद्धिवादी महीला Marzia Casolari के In The Shed of the swastika :The Ambiguous Relationship between Indian Nationalism and Nazi Fascism इस किताब में सावरकर और डॉ बी एस मुंजे के साथ हेडगेवार की संघ की स्थापना करने के पहले की चर्चा के दौरान जो महत्वपूर्ण बातोपर बल दिया गया है ! वह इटली में मुसोलिनी के बलिल्ला और Avanguardisti नाम के छ साल से पंद्रह साल के बच्चों को लेकर शुरू किया गया संगठन के जैसा ही ! आर एस एस की निंव रखने के लिए बाकायदा फरवरी – मार्च 1931 में इटली की मिलट्री और शिक्षा संस्थानों के अध्ययन के लिए विशेष रूप से इंग्लैंड की, राऊंड टेबल कान्फ्रेंस के बाद ! इटली की यात्रा पर गए थे ! और उस यात्रा के आखिर में 19 मार्च 1931 के दिन दोपहर के तीन बजे पलाझ्झो व्हेनेझीया इटली की फासिस्ट सरकार के मुख्यालय में बेनिटो मुसोलिनी के साथ मुलाकात की है ! और अपने ही 20 मार्च की डायरी में तफ़सील से दो पन्नों से भी ज्यादा रिपोर्ट लिखा है ! और उसका मुख्य जोर शिक्षा की तुलना में Facist system of indoctrination – Rather than Education – of the Youths. There structure is strikingly similar to that of the RSS. They recruited boys from the age of six, up to 18 :
According to the literature promoted by the RSS and other Hindu fundamentalist organisations and parties, the structure of the RSS was the result of Hedgewar’s vision and work. However Moonje played a crucial role in molding the RSS along Italian (Facist) lines. The deep impression left on Moonje by the vision of the Facist organisation is conformed by his diary : इस तरह उनकी डायरी के तेरह पन्ने नेहरू मुझीयम में मायक्रोफिल्म के रूप में रखे हुए हैं ! और वह साफ – साफ लिखे हैं कि “The Balilla institution and the concept of the whole organisation have appealed to me most, though there is still not discipline and organisation of high order. The whole idea is conceived by Mussolini for the military regeneration of Italy. Italians, by nature, appear ease – loving and non-martial, like Indians generally, They have cultivated, like the Indians, the work of peace and neglected the cultivation of the art of war. Mussolini saw the essential weakness of his country and conceived the idea of the Balilla organisation ! Nothing better could have been conceived for the military organisation of Italy ! The idea of Fascism vividly brings out the conception of unity amongst people ! India and particularly Hindu India need some such institution for the military regeneration of the Hindus : so that the artificial distinetion so much emphasised by the British of martial and non martial classes among the Hindus may disappear. Our institution of the RSS of the Nagpur under Dr. Hedgewar is of this kind, though quite independently conceived. I will spend the rest of my life in developing and extending this Institution of Dr. Hedgewar all throughout the Maharashtra and other provinces ! ” इस तरह के संगठन से तैयार होकर निकले हुए लोग भला कैसे ज्ञानेश्वर के पायदान या सानेगुरुजी के जैसे मानवतावादी कवि की सच्चा धर्म वहीं है जो दुनिया को प्रेम अर्पित करने के लिए कहे ! (खरा तो एकची धर्म जो जगाला प्रेम अर्पावे!) या Abide with me जैसी हेनरी एफ लीट (1793-1847) के दौरान इस दुनिया में रहे कवि की कविता Abide with me : fast falls the eventide;
The darkness deepens ; Lord with me abide :
When other helpers fail, and comforts flee,
Help of the helpless, oh, abide with me !
Swift to its close ebbs out life’s little day ;
Earth’s joy grow dim, its glories pass away ;
Change and decay in all around I see :
O Thou who changeth not, abide with me !
I need Thy presence every passing hour :
What but Thy grace can foil the tempter’s pow’r ?
Who like Thyself my guide and stay can be ?
Through cloud and sunshine, oh, abide with me !
I fear no foe with Thee at hand to bless ;
Ills have no weight, and tears no bitterness ;
Where is death’s sting ? where, grave, the victory ?
I triumph still, if Thou abide with me.
Hold Thou The cross before my closing eyes ;
Shin through the gloom, and point me to the skies.
Heaven’s morning breaks, and arth’s vain shadows flee –
In life, in death, O Lord, abide with me !

अबाइड वुइथ मी ! अब इस कविता में कौन सा ऐसी बात हो सकती है ? जिस कारण अब तक दुसरा प्रसंग है कि इस धुन को हटाने का ?
डॉ सुरेश खैरनार 28 जनवरी 2022, नागपुर

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