एक काॅमेडियन अपने निजी दुख दर्द को अलग रखकर पूरी दुनिया को हंसाता है और दुनिया भी हंसी के नशे में डूबती-सी लगती है। लेकिन अगर काॅमेडियन खुद ही नशेड़ी बन जाए तो बाकी दुनिया को क्या करना चाहिए? यह अहम सवाल बाॅलीवुड की स्टार काॅमेडियन भारती सिंह और उनके पति की ड्रग्स मामले में गिरफ्तारी के बाद कोर्ट द्वारा उन्हे 4 दिसंबर तक न्यायिक हिरासत में भेजने के बाद उठ रहा है। भारती और उनके पति को एनसीबी ( नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो) ने गांजा सेवन करने के आरोप में ‍गिरफ़्तार किया है।

एनसीबी के मुताबिक भारती के घर से गांजा मिला है और उन्होंने यह बात कबूली है कि वो गांजे का सेवन करती हैं। लिहाजा इस दंपती के खिलाफ नार्कोटिक ड्रग्स एंड साइकोट्रोपिक सब्स्टैंस (एनडीपीएस) के तहत मामला दर्ज किया गया है। भारती सिंह की ड्रग्स मामले में गिरफ्तारी के बाद देश में स्टैंड-अप काॅमेडी के दौर में उभर कर आए तमाम काॅमेडियनों में खलबली मच गई है और वो भी शक के दायरे में आ गए हैं। इनमें से कुछ ने सफाई भी दी है। लेकिन जनता में संदेश यही है कि बाॅलीवुड तो ड्रग्स की चपेट में था ही, लोगों को हंसी बांटने वाले काॅमेडियन भी नशे की दुनिया से दूर नहीं है।

दरअसा यह पूरा मामला ‘जाते थे जापान पहुंच गए चीन’ जैसा है। कहां तो इस साल जून में ‍अभिनेता सुशांतसिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के बाद उन्हें न्याय दिलाने के लिए सोशल मीडिया में लंबा अभियान चला। रिया चक्रवर्ती की गिरफ्तारी हुई। मुंबई पुलिस को घेरा गया। कंगना और शिवसेना में तू तू-मैं मैं हुई। बीएमसी ने उनका ऑफिस ढहा दिया। पूरा प्रकरण सीबीआई को जांच के लिए सौंपा गया। उसी दौरान इस काॅलम में आंशका व्यक्त की गई थी कि यह पूरा मामला बिहार चुनाव को ध्यान में रखकर उछाला गया है।

10 नवंबर के बाद इसका कोई नामलेवा नहीं रहेगा। वही होता दिख रहा है। बिहार में भाजपा का मकसद पूरा हो गया। वह सत्ता में लौट आई है। सीबीआई ने भी इस मामले में अब तक क्या जांच की, किसी को नहीं पता। सुशांत के परिजन भी परिदृश्य से गायब हैं। लेकिन सुशांत की मौत की जांच के चक्कर में बाॅलीवुड का दूसरा चेहरा जरूर दुनिया के सामने आ गया।

सीबीआई की जगह नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो (एनसीबी) के हाथ लाॅटरी लग गई। खुलासा हुआ कि एक्टर तो क्या काॅमेडियन भी ड्रग्स के शिकार हैं। बताया जाता है कि भारती और उनके पति हर्ष लिंबाचिया ने स्वीकार किया है कि वो गांजे का नशा करते हैं। इसके बाद जाने-माने स्टैंड-अप काॅमेडियन राजू श्रीवास्तव ने कहा कि इस केस से पूरी काॅमेडी इंडस्ट्री पर दाग लग गया है। भारती को यह सब करने की क्या जरूरत थी? काॅमेडियन सुनील पाल ने कहा कि यकीन नहीं हो रहा कि काम का नशा करने वाली लड़की कभी ऐसा सी ग्रेड नशा भी करेगी। एक अन्य काॅमेडियन परितोष ने कहा की ‍भारती की खबर सामने आने के बाद मेरे घर वाले मुझ पर भी शक करने लगे हैं।

भारती सिंह का केस इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि वो एक बहुत गरीब परिवार से आकर देश की पहली फीमेल स्टैंड-अप काॅमेडी स्टार बनी । 36 वर्षीय भारती नेपाली पिता और पंजाबी मां की संतान है। उनके पिता बचपन में ही गुजर गए थे। मां ने बड़ी मुश्किल से अपनी तीन संतानों को पाला। भारती सिंह काॅमेडी लाॅफ्‍टर चैलेंज से उभर कर आई। उन्होंने अपने मोटापे को भी अपनी ताकत बना लिया। वही जीवटता से संघर्ष करने वाली भारती आज खुद नशे की शिकार है, यह खुलासा भी बहुतों को निराश करने वाला है।

यह सवाल यह है कि आखिर कोई काॅमेडियन नशा क्यों करता है, बल्कि यूं कहें कि उसे ऐसा करने की क्या जरूरत है? क्योंकि फिल्म या मंच पर तो काॅमेडी पूरे होशो-हवास में करनी होती है। हर कलाकार या अभिनेता काॅमेडी नहीं कर सकता। लोगो को हंसाने के लिए आपकी सही डायलाॅग‍ डिलीवरी और टाइमिंग की जरूरत होती है। तभी अभिनय के साथ पंच उठते हैं। लोग जीभर के हंसते हैं। वैसे भी किसी को हंसाना रूलाने से ज्यादा कठिन है। हंसी के इन ठहाकों में काॅमेडियन की निजी जिंदगी के दर्द डीजे के शोर में शहनाई के सुर की तरह दब जाते हैं। लेकिन काॅमेडियन इस बात का कभी बुरा नहीं मानता। वह हमेशा यही चाहता है कि वो जैसे ही खड़ा हो, लोग मुस्कुराने लगें।

फिल्मों की ही बात करें तो इस देश में जितने भी मशहूर काॅमेडियन हुए हैं, उनमें अधिकांश कोई नशा नहीं करते थे। काॅमेडियन केश्टो मुखर्जी को अक्सर शराबी का रोल मिलता था। लेकिन असल जिंदगी में केश्टो ने शराब को छुआ भी नहीं। यही हाल कई फिल्मों में नशेड़ी बनने वाले जानी वाॅकर का भी था। वो सिर्फ चाय के शौकीन थे। ड्रग्स लेने का तो सवाल ही नहीं था। लेकिन परदे पर शराबी की ऐसी एक्टिंग करते थे कि शराबी भी शर्मा जाए। तो फिर भारती को लोगों को हंसाने के लिए खुद ड्रग्स लेने की क्या जरूरत पड़ी होगी? क्या वह सिर्फ मजे के लिए यह सब करती होगी या इसके पीछे कोई विवशता या हताशा है? इसकी संभावना कम इसलिए लगती है कि बाॅलीवुड में उनका कॅरियर अच्‍छा चल रहा है।

वैसे जानकारों का कहना है कि काॅमेडियनों में भी स्टैंड-अप काॅमेडी करने वाले कई काॅमेडियन ड्रग्स के लती पाए गए हैं। यह स्थिति विदेशो में भी है। मशहूर अमेरिकी काॅमेडियन हैरिस विटल्स की चार साल पहले मात्र 30 वर्ष की उम्र में मौत हो गई, क्योंकि वो ड्रग्स के आदी थे। यह पाया गया है कि काॅमेडियनों में भी स्टैंड-अप काॅमेडी करने वाले ड्रग्स की चपेट में जल्द आते हैं। जानकारों के अनुसार चूंकि स्टैंड-अप काॅमेडियन पर अकेले ही लोगों को हंसाते रहने का दबाव रहता है, इसलिए कई बार वो इस तनाव को कम करने के ‍लिए भी ड्रग्स का सहारा लेते हैं।

यहां तक कि नशे और नशेडि़यों का सार्वजनिक रूप से मजाक उड़ाते हुए वो खुद भी इसका शिकार होने लगते हैं। भारती मामले में भी ऐसा ही कुछ लगता है। उनका एक पुराना ट्वीट भी वायरल हो रहा है, जिसमें वो लोगों से कह रही हैं कि ‘प्लीज ड्रग्स लेना बंद करें। यह आपकी सेहत के लिए हानिकारक है।‘ वही भारती अब मान रही हैं कि वो गांजे का सेवन करती हैं।

गांजा रखने के आरोप में भारती को 6 माल की-जेल या 10 हजार रू. का जुर्माना या दोनो सजाएं हो सकती हैं। क्योंकि एक निश्चित मात्रा से ज्यादा गांजा रखना कानूनन अपराध है। वैसे गांजा और भांग भारतीयों के परंपरागत नशों में गिने जाते हैं। कई लोग तो इसे ‘शिव का प्रसाद’ तक बताते हैं। नशेडि़यों की दुनिया में गांजे को वीड कहा जाता है। गांजे की मांग को देखते हुए पिछले दिनों इसे देश में वैध नशा घोषित करने की मांग भी उठी थी। कहा गया था कि इससे रोजगार बढ़ेगा। यूं गांजा और भांग एक ही परिवार के हैं। के‍नाबिनस के नर पौधे से गांजा बनता है तो मादा पौधे से भांग। भांग एक गहरी तरंग पैदा करती है तो गांजा फेंफड़ों पर विपरीत असर डालता है।

बावजूद इसके साधु संतों की दुनिया में गांजा एक लो‍कप्रिय नशा है, जो चिलम में भरकर पिया जाता है। कहते हैं कि गांजा उसे पीने वाले को दूसरी दुनिया में ले जाता है। लेकिन उस दूसरी दुनिया में हंसी होती है या नहीं, हमे नहीं पता। लेकिन हमे इतना तो पता है कि हंसने और हंसाना भी एक ऐसा पवित्र नशा है, जिसके सेवन के बाद किसी और नशे की जरूरत शायद ही रह जाती है। ये ऐसा नशा है, जो जिंदगी की गाड़ी फिर पटरी पर ले आता है। लेकिन क्या महिला काॅमेडियन भारती सिंह इस रहस्य को अभी तक नहीं समझ पाई है?

वरिष्ठ संपादक

अजय बोकिल

‘सुबह सवेरे’

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