भोपाल। राजधानी भोपाल की शान कहे जाने वाले वीआईपी रोड पर इन दिनों अंधेरा पसरा पड़ा है। गुजरते वाहनों, सोलर पावर से झिलमिलाती और दूर से टिमटिमाकर यहां तक दिखाई देने वाली लाइट्स ने इसकी लाज बचा रखी है, वरना इस रोड पर हर पल किसी हादसे की अनहोनी को नहीं टाला जा सकता है।

रेत घाट से कर्बला तक आसपास स्थित कुछ भवनों, ब्रिज से आती रोशनी और आते जाते वाहनों की हेड लाइट्स से कुछ राहत जरूर है लेकिन इसके आगे खानूगांव तिराहा और वहां से लालघाटी चौराहा जोड़ तक वीआईपी रोड पूरी तरह अंधेरे में डूबा हुआ है। यहां हर शाम वॉक करने वाले, तफरीह करने आने वाले पर्यटकों और राहगीरों को इस अंधेरे ने संशय और खोफ में डाल रखा है। अंधेरे के कारण जहां इस रोड के किनारे अनैतिक गतिविधियां पसरती जा रही हैं, वहीं यहां बड़े अपराध होने के रास्ते भी आसान हो गए हैं। वीआईपी रोड के अंधेरे के कारण यहां हादसों की संभावनाएं भी बढ़ रही हैं।

वीआईपी आवाजाही वाला रास्ता
वीआईपी रोड से मुख्यमंत्री से लेकर कई मंत्रियों की आवाजाही हर दिन होती है। लेकिन फर्राटे से गुजर जाती इन गाड़ियों में बैठे माननीयों की नजर इस अंधेरे पर नहीं जा पा रही है। अंधेरे के हालात किसी दिन इन वीआईपी के लिए भी दुर्घटना या किसी वारदात का कारण बन सकते हैं।

लाखों रुपए का मेंटेनेंस
नगर निगम द्वारा वीआईपी रोड के सौंदर्यीकरण और रखरखाव पर हर माह लाखों रुपए खर्च करना है। रात के समय इस मार्ग की सुंदरता के लिए भी बड़ी राशि खर्च कर महंगी लाइट्स लगवाई हैं। लेकिन लंबे समय से बंद पड़ी इन लाइट्स के मेंटेनेंस या सुधार की तरफ किसी का ध्यान नहीं है।

स्मार्ट सिटी की जिम्मे आते ही बिगड़ी व्यवस्था
सूत्रों का कहना है कि वीआईपी रोड की व्यवस्था पूर्व में नगर निगम के जिम्मे थी। लेकिन कुछ समय से ये मेंटेनेंस स्मार्ट सिटी के हाथों में पहुंच गया है। बताया जाता है कि स्मार्ट सिटी ने ये काम निजी कंपनी को ठेके पर दे रखा है। ये ठेकेदार अपने खर्च में बचत की मंशा के साथ अक्सर बिजली बंद रखते हैं या खराब होने की स्थिति में इसके सुधार के प्रयासों पर तवज्जो कम देते हैं।

इनका कहना
वीआईपी रोड हमारी पहली प्राथमिकता में शामिल है। किसी दिन कोई तकनीकी कारण से बिजली सप्लाई प्रभावित हो सकती है। लेकिन आमतौर पर यहां बिजली आपूर्ति की समस्या नहीं है।
राजीव अग्निहोत्री,
प्रभारी, स्मार्ट सिटी

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