यह एक बहुत बड़ा सवाल है कि आख़िर वरुण गांधी हैं कहां. उत्तर प्रदेश का चुनाव समाप्त होने जा रहा है और वरुण गांधी का कहीं अता-पता नहीं है. इसकी छानबीन करने के लिए हमें पांच मुख्य पात्रों के आसपास के लोगों से बहुत सोच-समझकर और सावधानी के साथ बात करनी पड़ी.
इनमें पहली श्रीमती मेनका गांधी, जो वरुण गांधी की मां हैं, दूसरे अमित शाह जी, तीसरे दस जनपथ से रिश्ता रखने वाले लोग, चौथे खुद वरुण गांधी के मित्र और पांचवां जो सबसे महत्वपूर्ण पात्र है, वो हैं इस देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी.
इन सबसे बातचीत करने के बाद जो कहानी निकलकर सामने आई, वो इतनी रोमांचक है कि अगर सूत्रों से मिली हुई सूचनाओं को एकत्रित कर दिया जाए, तो रोमांच और बढ़ जाता है. आइए, आपके सामने पूरी कहानी रखने की कोशिश करते हैं.
जब वरुण गांधी भारतीय जनता पार्टी के महामंत्री थे, उस समय आज के प्रधानमंत्री गुजरात के मुख्यमंत्री थे. उस दौरान गुजरात के मुख्यमंत्री से भाजपा के सांसद वरुण गांधी की कई मुलाकातें हुईं. एक बार गुजरात के मुख्यमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी, वरुण गांधी से मिलने उनके घर आए. चूंकि वरुण गांधी महामंत्री थे, इसलिए संगठनात्मक मसलों पर बातचीत के लिए दोनों की मुलाक़ात हुई. नरेन्द्र मोदी बातचीत की शुरुआत कर ही रहे थे कि वरुण गांधी का सेवक उनके लिए चाय लेकर आया.
चाय उसने मुख्यमंत्री जी के सामने टेबल पर रख दी. टेबल पर चाय रखते हुए प्लेट में छलक गई. सेवक शायद बिहार का था. बिना यह अहसास किए कि उसने कितनी बड़ी ग़लती कर दी है, वह वापस जाने लगा. अचानक चुटकी की आवाज़ आई और मुख्यमंत्री जी ने उस सेवक को बुलाया. उससे कहा कि ये चाय तुमने छलका दी है, इसे फौरन ले जाओ और बदलकर ले आओ, छलकनी नहीं चाहिए.
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