new-pic-of-mulayam-singhhhhसमाजवादी पार्टी के अंदरूनी झगड़े, फूट, रूठ और मान-मनौव्वल की कहानी तकरीबन पांच साल से चल रही है. यह कलह-प्रसंग इतना चल गया है कि नुक्कड़ चौराहों से लेकर सपा के कार्यकर्ता तक गुनगुनाने लगे हैं, तोता मैना की कहानी तो पुरानी, पुरानी हो गई. समाजवादी पार्टी में तोता मैना की पुरानी कहानी अब पूर्णाहुति की तरफ है. विधानसभा चुनाव में कुछ मिलना तो है नहीं, फिर क्यों नहीं एक दूसरे के सिर पर पहले ही आरोप-प्रत्यारोप के ठीकरे फोड़ लिए जाएं! हालांकि कुछ समाजवादी यह भी कहते हैं कि अंदरूनी कलह की सार्वजनिक निंदा मुलायम सिंह बहुत सोच-समझ कर रहे हैं. मुलायम सियासत के दोनों दरवाजे खुला रखना चाहते हैं. एक तरफ मुस्लिम परस्ती तो दूसरी तरफ अखिलेश की व्यक्तिगत छवि का निर्माण (पर्सनल-इमेज-बिल्डिंग). सियासी प्रहसन में दोनों साथ-साथ चलता रहे. शिवपाल अपने साथ अपमान की बातें कर रहे हैं, इस्तीफे की धमकी दे रहे हैं, कुछ मंत्रियों के भ्रष्टाचार और आपराधिक कृत्यों के बारे में बोल रहे हैं, लेकिन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव को अच्छा-अच्छा बता रहे हैं. मुलायम सिंह भी अपने भाई के पक्ष में मुख्यमंत्री को हड़का रहे हैं, शिवपाल के खिलाफ साजिश करने वालों को देख लेने और निकाल बाहर करने की धमकियां दे रहे हैं, सरकार के कुछ मंत्रियों के खिलाफ कठोर निंदा प्रस्ताव पारित कर रहे हैं, लेकिन बेटे अखिलेश के खिलाफ कुछ नहीं बोल रहे, बल्कि अखिलेश को अच्छा-अच्छा बता रहे हैं. मुलायम समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं. वे किसी भी नेता के खिलाफ सीधी कार्रवाई के लिए सक्षम हैं और अधिकृत हैं, लेकिन वे ऐसा नहीं कर रहे. वे ऐसा क्यों नहीं कर रहे?

सपा के एक उपेक्षित नेता ने कहा, सब गोलमाल है, भई सब गोलमाल है. इस ‘गोलमाल’ का सबसे केंद्रीभूत तत्व है मुस्लिम समुदाय में यह संदेश भेजना कि उनके लिए पार्टी विभाजित हो सकती है, उनके लिए मुलायम अपने बेटे को भी आड़े हाथों ले सकते हैं, उनके लिए पार्टी कुर्बान हो सकती है. कुख्यात माफिया सरगना मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का उत्तर प्रदेश में राजनीतिक प्रभाव उतना भले ही नहीं हो, लेकिन मुख्तार भाईजान का धार्मिक-सामाजिक-आपराधिक प्रभाव कितना गहरा है, यह उत्तर प्रदेश के लोग और खास तौर पर पूर्वी उत्तर प्रदेश के लोग अच्छी तरह जानते हैं. कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय की जिद मुलायम के मुस्लिम-प्रेम की सनद है, जिसे मशाल की तरह लेकर शिवपाल आगे-आगे चल रहे हैं. इसके बरक्स समाज के दूसरे समुदायों में अपनी सैद्धांतिक छवि खड़ी करने की अखिलेश की जद्दोजहद भी साफ-साफ देखी जा सकती है. इस ‘गोलमाल’ का आर्थिक पक्ष भी है, जिसकी छटपटाहट शिवपाल की बोली से समझी जा सकती है. कमाई अखिलेश की हो रही है और अखिलेश के चहेते मंत्रियों की हो रही है. दूसरे खेमे के मंत्री वृष्टि-छाया क्षेत्र में पड़ गए हैं. कमाई में नौकरशाही के कुछ खास सत्ता-पोषित चेहरे धन्नासेठों के रूप में तब्दील होते जा रहे हैं. कुछ नौकरशाहों की कुछ चल नहीं पा रही है. यहां तक कि शिवपाल की पसंद के मुख्य सचिव दीपक सिंघल तक मुख्यमंत्री सचिवालय के सेंसर का शिकार हैं. सत्ता के गलियारे में तो यह भी चर्चा है कि दीपक सिंघल को मुख्य सचिव की कुर्सी से जल्दी ही खिसकाए जाने की तैयारी है. अब आप जब खबर के विस्तार में जाएंगे तो समाजवादी पार्टी के नेताओं की बोली और बयानों के निहितार्थ आपकी समझ में साफ-साफ आएंगे.

समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता, पार्टी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष, मुलायम सिंह यादव के भाई, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के चाचा और उत्तर प्रदेश सरकार के काबीना मंत्री शिवपाल यादव ने पिछले दिनों मैनपुरी की एक सार्वजनिक सभा में सार्वजनिक तौर पर कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता और अफसर जुआ और नकली शराब का धंधा कर रहे हैं. अधिकारी हमारी सुनते नहीं हैं. पार्टी के लोग जमीनों पर कब्जे और अवैध धंधों में जुटे हैं. नेता थाने की दलाली करते हैं, प्रदेश में कानून व्यवस्था नाम की चीज नहीं है. हालात नहीं सुधरे तो मैं इस्तीफा दे दूंगा. शिवपाल ने कहा कि थानों, तहसीलों में जनता के काम नहीं हो रहे, जमीनों पर कब्जा करने वाले, नम्बर दो का काम करने वाले पदाधिकारियों के कारण समाजवादी पार्टी बदनाम हो रही है. हमारे कुछ कार्यकर्ताओं, पदाधिकारियों के गलत कार्यों के कारण और भूमि पर जबरन अवैध कब्जा करने और जनता का उत्पीड़न के कारण आमजन के चेहरे पर मुस्कान नहीं है. थानों और तहसीलों में जनता की बात नहीं सुनी जाती, बार-बार निर्देशों के बाद भी कुछ अधिकारियों की कार्य प्रणाली में सुधार नहीं हो रहा है. ऐसे में इस्तीफे के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. शिवपाल बोले कि निर्माण कार्यों में मानकों की अनदेखी की जा रही है, एस्टिमेट में 10 प्रतिशत का मुनाफा ठेकेदार का होता है फिर भी इंजीनियर 20 प्रतिशत तक एस्टिमेट बढ़ाकर बनाते हैं, पर इसके बाद भी मानक के अनुसार काम नहीं हो रहा. यह कहते-कहते शिवपाल यह भी बोल गए, मेरा मन कहीं से चुनाव लड़ने का नहीं है. मैं 2017 के चुनाव में पार्टी को मजबूत करने के लिए केवल प्रचार करना चाहता हूं. मैंने कहीं से भी टिकट की मांग नहीं की है और न करूंगा. उन्होंने कहा कि यह अजीबोगरीब स्थिति है कि सपा के ही दबंग लोग कमजोर लोगों का दमन कर रहे हैं, जमीन पर कब्जे जारी हैं. थानों-तहसीलों में दलालों का बोलबाला है. अगर यह नहीं रुक पाया, तो वे इस्तीफा देकर विपक्ष में बैठेंगे.

शिवपाल के इस बयान की खबर मिलते ही सपा प्रमुख मुलायम ने उन्हें बुलावा भेजा और विस्तार से बात की. अगले दिन स्वतंत्रता दिवस के मौके पर पार्टी मुख्यालय में आयोजित झंडोत्तोलन समारोह के बाद मुलायम ने अपने भाषण में यह मुद्दा उठा दिया और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव की मौजूदगी में सरकार के मंत्रियों और नौकरशाहों पर बिफर पड़े. मुलायम ने जैसे ही कहा कि शिवपाल के खिलाफ साजिश हो रही है, पूरी सभा सकते में आ गई. मुलायम ने कहा कि शिवपाल काम कर रहे हैं और लोग उन्हें रोक रहे हैं. उन्होंने कहा कि शिवपाल पहले भी दो बार इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं. मुलायम खम ठोक कर बोले कि अगर शिवपाल गए तो पार्टी बिखर जाएगी. मुलायम ने कहा, अगर शिवपाल चले गए और मैं खड़ा हो गया तो आधे लोग उधर चले जाएंगे और आधे मेरे साथ. मुलायम सिंह यादव जब पार्टी दफ्तर में आयोजित सभा में नाराजगी जता रहे थे, वहां मौजूद मुख्यमंत्री अखिलेश यादव मुस्कुरा रहे थे. मुलायम रौ में थे, उसी बीच निजी सचिव अरविंद यादव ने मुलायम को पर्ची देकर यह याद दिलाया कि मीडिया वाले भी वहां मौजूद हैं. इस पर मुलायम ने कहा, यह सच्चाई है. इसे मीडिया को जानना चाहिए. इसके लिए मैं फिर अलग से मीडिया को थोड़े ही बुलाऊंगा. पार्टी में जो हो रहा है, उसे मीडिया को जानना ही चाहिए. मुलायम ने कहा कि अगर शिवपाल ने इस्तीफा दिया तो सरकार हिल जाएगी. मुलायम ने नोट गिनने का इशारा करते हुए कहा, अखिलेश के मंत्री सिर्फ पैसा गिनते हैं. ऐसे मंत्री पार्टी पर बोझ हैं. कई मंत्री भ्रष्टाचार में लिप्त हैं. अगर ऐसे लोग नहीं सुधरे तो मैं उन सबको पार्टी से निकाल दूंगा. मैं मुख्यमंत्री से कई बार ऐसे लोगों के बारे में बता चुका हूं, लेकिन वह कोई कार्रवाई नहीं करते, मेरी बात ही नहीं मानते.

मुलायम ने कहा कि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकांश मंत्री तो बंगले में ही बैठे रहते हैं. उन्हें एसी की आदत लग गई है. वे राज्य में कहीं दौरा नहीं कर रहे. शिवपाल का पार्टी में अपमान हो रहा है. उनके इस्तीफे की पेशकश गलत नहीं है. शिवपाल ने इस्तीफा दे दिया तो पार्टी की ऐसी-तैसी हो जाएगी. अखिलेश की मौजूदगी में नेताजी ने कहा, मुख्यमंत्री और उनके मंत्री सावधान रहें, जनता सरकार बनाना और मिटाना जान गई है. मैं सब जानता हूं कि शिवपाल के खिलाफ कौन-कौन षड्यंत्र कर रहा है. इसका संदेश अच्छा नहीं जा रहा. शिवपाल का अपमान हो रहा है, वो गलत इस्तीफा नहीं दे रहे हैं. मुलायम ने पार्टी के सिमटते जाने के लिए भी अखिलेश को लपेटे में लिया और कहा कि सपा राष्ट्रीय पार्टी से छोटे स्तर पर आ गई. मध्य प्रदेश में अखिलेश को खुद जाना चाहिए था लेकिन मंत्री को भेज दिया. नतीजा, मध्य प्रदेश में भी सपा खत्म हो गई, अब केवल यूपी में बची है. उल्लेखनीय है कि मुलायम पहले भी सार्वजनिक तौर पर यह कह चुके हैं कि पार्टी के नेता जमीन कब्जाने और पैसा कमाने में जुटे हुए हैं. ऐसा करने वालों को वे धंधा करने और पार्टी छोड़ देने की सलाह दे चुके हैं.

बहरहाल, इस कलह-प्रहसन के बीच माफिया सरगना विधायक मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल के समाजवादी पार्टी में विलय की चर्चा एक बार फिर तेज हो गई है. शिवपाल यादव ने सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव से इस बारे में फिर बात की है. कौमी एकता दल का विलय सपा प्रमुख के लिए प्रतिष्ठा का विषय है. कौमी एकता दल के सपा में विलय का ऐलान शिवपाल ने मुलायम के कहने पर ही किया था. बाद में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव प्रो. रामगोपाल यादव की सलाह पर इसे रद्द कर दिया था. इससे मुलायम और शिवपाल दोनों की काफी किरकिरी हुई थी. कौमी एकता दल का पार्टी में विलय करा कर समाजवादी पार्टी 15 छोटे-छोटे दलों को मिला कर बन रहे मुस्लिम फ्रंट को छोटा करने की कोशिश में थी, लेकिन उस पर अखिलेश ने पानी फेर दिया. कौमी एकता दल का पूर्वी उत्तर प्रदेश के तकरीबन 20 जिलों में खासा असर है. विलय का मसला ढाक के तीन पात होने के कारण ही अंदरूनी विवाद सतह पर आ गया है. हालांकि अखिलेश को जहर तबसे लगा था जब पार्टी विरोधी गतिविधियों के कारण शिवपाल के कहने पर मुलायम ने अखिलेश के करीबी युवा नेताओं आनंद भदौरिया और सुनील साजन को पार्टी से निकाल दिया था. लेकिन इसके बाद अखिलेश रूठ गए थे और सैफई महोत्सव का उद्घाटन तक छोड़ दिया था. फिर मान-मनौव्वल चला और दोनों निष्कासित नेता न केवल पार्टी में वापस आए बल्कि अखिलेश ने दोनों को विधान परिषद सदस्य तक बनवा दिया.

शिवपाल बनाएंगे नई पार्टी!

राजनीति के गलियारे में चर्चा है कि नाराज शिवपाल सिंह यादव अपनी अलग पार्टी बनाएंगे और जदयू के साथ महागठबंधन में शरीक होंगे. मुलायम सिंह यादव अपने भाई का साथ देंगे. अखिलेश और रामगोपाल के कारण ही समाजवादी पार्टी महागठबंधन में शामिल होने के बाद अलग हो गई थी और उसे उसका खामियाजा उठाना पड़ा था.

कैबिनेट बैठक में नहीं गए शिवपाल

उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ काबीना मंत्री शिवपाल सिंह यादव बुधवार 17 अगस्त को हुई मंत्रिमंडल की बैठक में शामिल नहीं हुए. जबकि यह बैठक अनिवार्य थी और उसमें मंत्रियों की वेतन बढ़ोत्तरी का मसला विचारार्थ रखा गया था. कहा गया कि शिवपाल सिंह यादव मुरादाबाद में कन्या विद्याधन बांटने में व्यस्त रहने की वजह से बैठक में नहीं आए. जबकि कई और मंत्रियों को अन्य जिलों में कन्या विद्याधन बांटने जाना था लेकिन वह मंत्रिमंडल की बैठक में शरीक होने के बाद गए. शिवपाल का बैठक में नहीं आना चाचा-भतीजा मतभेद का ही परिणाम बताया जा रहा है. मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इस मसले पर पूछे गए सवाल पर चुप्पी साधे रखी. पार्टी में चर्चा है कि मुलायम की हरी झंडी के बावजूद अखिलेश यादव कौमी एकता दल के सपा में विलय का विरोध कर रहे हैं, जो नेतृत्व में तनाव बढ़ा रहा है.

सपा उम्मीदवार ने कहा कोई नहीं देगा वोट

कानपुर देहात की सिकंदरा विधानसभा सीट से समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी महेन्द्र कटियार ने टिकट वापस करते हुए पार्टी छोड़ दी है. पार्टी छोड़ने के बाद कटियार ने कहा कि समाजवादी पार्टी के दिग्गज लोगों में खुद ही काफी उथल-पुथल है. सिकंदरा विधानसभा क्षेत्र का जो मतदाता है, वह सपा से नाराज है. अब वह समाजवादी पार्टी को वोट नहीं देगा, लिहाजा वे सपा के टिकट से चुनाव नही लड़ेंगे. सपा के साढ़े चार साल के कार्यकाल से क्षेत्र का कोई भी व्यक्ति संतुष्ट  नहीं  है. क्षेत्र की जनता इस बार समाजवादी पार्टी को वोट नहीं देगी, इस वजह से उन्होंने पार्टी छोड़ने का फैसला किया है.

बयानबाजियां

  • पार्टी में जो भी साजिश कर रहा है, उसे नेताजी सजा दें. चाहे मैं ही क्यों न होऊं. सरकार बनने के फौरन बाद नेताजी ने इसे लेकर चेताया था, उसी वक्त कार्रवाई हो जानी चाहिए थी. मुलायम सिंह हम सबके नेता हैं, वह जो निर्णय लेंगे, वही सर्वमान्य होगा. – आजम खान, कैबिनेट मंत्री
  • मुलायम सिंह के बयान से साफ है कि सरकार में एक नहीं बल्कि कई मुख्यमंत्री काम कर रहे हैं. इसके अलावा जिस तरह से उन्होंने ठेकेदार विधायकों के बारे में कहा, वह मुलायम की बेचारगी वाली स्थिति की तरफ भी इशारा करता है.                   – वीरेंद्र मदान, कांग्रेस
  • यह सैफई परिवार का नया ड्रामा है. शिवपाल या अखिलेश इस्तीफा दें या न दें, जनता उन्हें विदा कर देगी. मुलायम का बयान सरकार की असफलता से ध्यान बांटने की कोशिश है. अगर अखिलेश गलत हैं तो मुलायम सिंह उन्हें पद से हटाएं. अगर वाकई शिवपाल के खिलाफ पार्टी में साजिश हो रही है तो वह बयानबाजी करने के बजाय इस्तीफा दें.                   – केशव प्रसाद मौर्य, उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष
  • सरकार बनी है, तब से ही यह सब चल रहा है. शिवपाल ने तब इस्तीफा क्यों नहीं दे दिया था?              – राम अचल राजभर, बसपा
  • शिवपाल को इस्तीफे के बजाय कैबिनेट की कलेक्टिव रिस्पॉन्सिबिलिटी के आधार पर भतीजे से इस्तीफा लेना चाहिए.            -डॉ. संजय सिंह, कांग्रेस
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