एक तरफ़ जहाँ हम ये ख़बरें सुन और देख रहे हैं कि यूक्रेन से इतने भारतीय छात्रियों को भारत सरकार वापस लाने में कामयाब रही जिनके लिए हम बहुत ख़ुश हैं, पर उन बाक़ी बचे हुए बच्चों का क्या जो अभी भी वहाँ पर मदद की उम्मीद लगाए बैठे हैं और उनके साथ सिर्फ़ बदसलूकी की जा रही हैं। 

आज यूक्रेन और रूस के युद्ध का छटा दिन है और कुछ 20,000 छात्र जो यूक्रेन में पढ़ाई कर रहे थे में से सिर्फ़ तक़रीबन 1500 छात्रों को ही भारत सरकार अभी तक Operation Ganga के तहत वापस लाने में कामयाब हो पायी है।

तमाम सोशल मीडिया ऐसी ना जाने कितनी ही सच से वाक़िफ़ कराती विडीओज़ से भरा पड़ा है जिन्हें देखने के बाद आपके अंदर से भी यही आवाज़ आएगी की आख़िर भारत सरकार इस मामले को और अच्छी तरह क्यूँ नही संभाल रही? और क्यूँ भारत की मीडिया सिर्फ़ उन टुकड़ों पर रोशनी डाल रहा है जो भारत सरकार की कामयाबी दिखा रहें है पर उसके पीछे अंधेरे में से आ रही मदद की गुहार लगती चीख़ों को नज़रअंदाज़ कर आगे बढ़ चला आता है। जहाँ एक तरफ़ यूक्रेन में फँसे बच्चे पूरे सोशल मीडिया पर चिल्ला चिल्ला कर सरकार की लापरवाही और उनके ऊपर होते ज़ुल्म या परेशानियों को बता रहे हैं, वही दूसरी तरफ़ हमारी मीडिया इस तरह से बर्ताव कर रही है जिसकी एक विडीओ भी सामने आयी है। 

आप नीचे एक विडीओ देख सकते हैं जो यूक्रेन-पोलेंड बॉर्डर की है, जहाँ किस तरह एक लड़की को वहाँ के सैनिक द्वारा मारा-पीटा जा रहा है। 

एक और विडीओ जहाँ ये लड़की ये बोलती नज़र आ रही है कि भारत सरकार तो बोल देती है कि आप बॉर्डर पहुँच जाओ पर असली मुद्दा तो वही है कि बॉर्डर पहुँचे कैसे?  800 कि.मी. दूर बॉर्डर बच्चे कैसे जाएँ इसका कोई इंतेजाम भारत सरकार की तरफ़ से नही है।

एक और विडीओ जिसमें जब एक रिपोर्टर ने एक छात्रा से पूछा कि आप इतनी दूर से पैदल आ रही है? कोई गाड़ी नही मिली आपको? तो उसने अपनी नाराज़गी ये बोलकर ज़ाहिर की कि इंडीयन ऐंबेसी अपना काम इतनी अच्छी तरह जो कर रही है।

साथ ही आज ही यूक्रेन में इंडीयन ऐंबेसी ने अपने ट्विटर हैंडल पर पोस्ट किया कि सभी भारतियों को ये हिदायत दी जाती है कि आज ही जितना जल्दी हो सके kyiv को छोड़ दे जैसे भी मुमकिन हो।

जिस तरह ये ट्वीट लोगों को आज ही यूक्रेन छोड़ने की हिदायत दे रहा है, क्या उससे ये अंदाज़ा नही लगाया जा सकता कि जल्द ही युद्ध बड़े पैमाने पर छिदने वाला है और अगर ऐसा होता है तो भारत सरकार किस एक दिन में किस तरह वहाँ पर फँसे बच्चों को वापस लाने में कामयाब हो पाएगी?

और अगर बच्चे किसी तरह बॉर्डर पहुँच भी जाते हैं तो या तो उनके साथ वहाँ बदसलूकी होती है या वहाँ पर भारत को कोई प्रतिनिधि ही मौजूद नही होता, ऐसे में वो लोग किससे मदद की उम्मीद रखें?

रूस के तक़रीबन 65 कि.मी. युद्ध के हथियारों से लैस क़ाफ़िला पहले ही kyiv के बॉर्डर पर पहुँच चुका है और इसे देखकर तो यही लग रहा है कि जल्द ही कुछ बहुत बड़ी घटना घटने वाली है। 

यूक्रेन-बेलारूस के बॉर्डर पर सोमवार को हुई यूक्रेन-रूस के बीच शांति-वार्ता का भी कोई ठोस निष्कर्ष नही निकल पाया था और उसके बाद आज सुबह ही फिर से रूस ने kharkiv (यूक्रेन) में हवाई हमला किया है। 

वैसे भारतीय वायु सेना को भी अब इस Operation Ganga में शामिल होने के आदेश मिल चुके है। ख़बरों की माने तो भारतीय वायु सेना अपने C-17 जहाज़ का उपयोग इस मिशन में करेगी। 

हम तो बस यही उम्मीद और दुआ कर सकते हैं कि सभी फँसे हुए बच्चे जल्द से जल्द अपने घर सही सलामत पहुँच जाएँ और यूक्रेन-रूस के बीच बढ़ते इस तनाव पर जल्द ही बिना किसी बड़ी घटना जो चीज़ों को दोनो देश के लिए और भी जटिल कर दे, पर पूर्ण विराम लगे। 

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