गाजियाबाद में पुलिस ने ट्विटर इंडिया और 2 कांग्रेस नेता समेत 9 लोगों के खिलाफ FIR दर्ज की है। FIR मामले को सांप्रदायिक रंग देने के आरोप में दर्ज की गई है। आरोप है कि पुलिस द्वारा मामला पूरी तरह से स्पष्ट किए जाने के बावजूद ट्विटर ने गलत ट्वीट को हटाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया।

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में मुस्मिल बुजुर्ग के दाढ़ी काटने जाने के मामले में पुलिस ने ट्विटर, कई पत्रकारों और कांग्रेस नेताओं के खिलाफ केस दर्ज किया है। सभी पर “सांप्रदायिक भावनाओं को भड़काने” का आरोप है। बुजुर्ग मुस्लिम व्यक्ति ने आरोप लगाया था कि 5 जून को उस पर हमला किया गया था. बुजुर्ग ने एक वीडियो में दावा किया था कि उसकी दाढ़ी काट दी गई थी और उसे “वंदे मातरम” और “जय श्री राम” के नारे लगाने के लिए मजबूर किया गया था।

मामले में पत्रकार राणा अय्यूब, सबा नकवी और मोहम्मद जुबैर के नाम हैं. ऑनलाइन न्यूज़ प्लेटफॉर्म “द वायर” और कांग्रेस नेताओं सलमान निजामी, शमा मोहम्मद और मस्कूर उस्मानी का भी नाम है। उन पर “तथ्यों की पुष्टि किए बिना” और घटना को “सांप्रदायिक रंग देने” के बिना ट्वीट पोस्ट करने का आरोप लगाया गया ह ।

गाजियाबाद के पुलिस अधिकारी इराज राजा ने कहा, “सोशल मीडिया पर हमें एक वीडियो मिला जिसमें यूपी के बुलंदशहर निवासी एक बुजुर्ग व्यक्ति अब्दुल समद पर कुछ लोगों द्वारा हमला किया जा रहा है। जब हमने जांच की, तो हमने पाया कि वह 5 जून को लोनी-सीमा क्षेत्र से आया था। वहां से ताबीज बनाने वाला अब्दुल समद हाजीपुर गांव गया. वह पहले से ही आरोपी को जानता था. लोगों ने उसे बुलाया था।

प्रोटेक्शन हटाने के मायने

  1. केंद्र सरकार की तरफ से सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को धारा 79 के तहत सुरक्षा मुहैया कराई जाती है। ये प्रोटेक्शन ट्विटर को भी मिली हुई थी। इसमें किसी आपराधिक गतिविधि के लिए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल किए जाने पर कंपनी की जिम्मेदारी नहीं होती थी और किसी भी केस में कंपनी को पक्ष नहीं बनाया जा सकता था।
  2. नए IT नियम के तहत सरकार ने कहा था कि सोशल मीडिया कंपनी एक महीने के अंदर मुख्य अनुपालन अधिकारी (CCO) की नियुक्ति करें, जो यूजर्स की शिकायतों को सुलझाए। नियुक्ति न होने पर सरकार ने धारा 79 के तहत प्रोटेक्शन खत्म करने की चेतावनी दी थी। इसके बाद 15 जून को ट्विटर के खिलाफ पहली FIR हुई है।
  3. सरकार के फैसले के बाद ट्विटर अब अकेला ऐसा अमेरिकी प्लेटफॉर्म है, जिससे IT एक्ट की धारा 79 के तहत मिलने वाला यह कानूनी संरक्षण वापस ले लिया गया है, जबकि गूगल, फेसबुक, यूट्यूब, वॉट्सऐप, इंस्टाग्राम जैसे अन्य प्लेटफॉर्म के पास अभी भी यह सुरक्षा है।

कुछ शर्तें मानीं, बाकी पर फैसला नहीं कर पाए

इससे पहले ट्विटर ने मंगलवार को बताया कि उसने इन्फर्मेशन टेक्नोलॉजी मिनिस्ट्री की नई गाइडलाइन के मुताबिक अंतरिम मुख्य शिकायत अधिकारी अपॉइंट कर दिया है। इसकी डिटेल्स ट्विटर जल्द ही केंद्र सरकार के साथ साझा करेगा। ट्विटर ने ये कदम तब उठाया है, जब सरकार ने उसे गाइडलाइन का पालन करने का आखिरी मौका दिया था। सरकार ने अपने नोटिस में ट्विटर से कहा था कि अगर वो गाइडलाइन का पालन करने में नाकाम रहता है तो वह IT एक्ट के तहत जिम्मेदारी से मिलने वाली छूट को खो देगा।

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