स्व. अर्जुन सिंह की पुण्यतिथि पर सद्भावना की ली शपथ

भोपाल। गंदी सियासत के नतीजे समाज में हालात ऐसे बना दिए गए हैं कि इंसान-इंसान को नुकसान पहुंचाने पर आमादा है। आपसी भाईचारा और ताल्लुकात का दौर कहीं पीछे छूटा दिखाई देने लगा है। सियासी लोगों ने अपने फायदे के लिए आम आदमी को अपना हथियार बनाया और आपस में नफरतें पैदा कर दी हैं। एक स्वच्छ समाज के लिए जरूरी है कि इन हालात से बाहर आया जाए। इसी को लेकर अब एक नए सिरे से कोशिश शुरू की जा रही है। गांव-गांव, मुहल्ले-मुहल्ले और घरों-घर जाकर अब साम्प्रदायिक ताकतों के काले उजागर किए जाएंगे। लोगों को आपसी सौहाद्र के फायदों से वाकिफ कराया जाएगा।

पूर्व राज्यपाल डॉ. अजीज कुरैशी ने यह बात कही। वे गुरूवार को पूर्व मुख्यमंत्री स्व. अर्जुनसिंह की 10वीं पुण्यतिथि पर आयोजित सद्भावना कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। बद्र-ए-जिया ट्रस्ट द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में शहर के कई गणमान्य नागरिक मौजूद थे। इस मौके पर डॉ. कुरैशी ने स्व. अर्जुन सिंह को सद्भावना की जीती जागती मिसाल करार देते हुए कहा कि उन्होंने इंसान को इंसान से जोडऩे और हर धर्म, जाति, मजहब, वर्ग को सम्मान देने के प्रयासों को आगे बढ़ाया है। इस मौके पर पूर्व महापौर दीपचंद यादव, वरिष्ठ पत्रकार लज्जाशंकर हरदेनिया, रिटायरर्ड आईपीएस एमडब्ल्यू अंसारी, हैदरयार खान, कुतुब उद्दीन शेख आदि ने भी अपने विचार रखे। मप्र कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता मुनव्वर कौसर ने अर्जुन सिंह के विभिन्न राजनीतिक ओहदों और उनपर निभाई गई भूमिका पर अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि प्रदेश के मुख्यमंत्री से लेकर पराए प्रदेश के राज्यपाल और केन्द्रीय मंत्री रहने तक स्व. अर्जुन सिंह ने कई भूमिकाओं पर खुद को साबित किया है। मुश्किल हालातों में बेहतर परिणाम लाना उनकी खासियतों का हिस्सा रही है। कौसर ने कहा कि आज के बदले हालात में स्व. अर्जुन सिंह द्वारा स्थापित सद्भावना मूल्यों को जिंदा करने की जरूरत है। कार्यक्रम के दौरान स्व. सिंह को पुष्पांजलि भी अर्पित की गई।

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वेद-पुराण में भी एक खुदा को मानने की ताकीद

उप्र सरकार द्वारा यूपीएसी और अन्य प्रतिस्पर्धी परीक्षाओं के दौरान उर्दू और फारसी भाषाओं पर पाबंदी लगाने के फैसले पर डॉ. अजीज कुरैशी ने तल्ख टिप्पणी की है। उन्होंने यूपी सरकार को उर्दू जुबान को सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाने का गुनाहगार बताया। उन्होंने कहा कि जिस प्रदेश की भाषा कभी उर्दू हुआ करती थी, वहां अपने हिन्दुत्व के एजेंडे को लागू करने के लिए योगी सरकार मनमर्जी के फैसले ले रही है। उन्होंने कहा कि गुलामी का दौर भी ऐसा नहीं था, जैसे हालात उप्र में भाजपा सरकान ने बना दिए हैं। उन्होंने कहा कि अंग्रेजों ने बनाए नियमों में भी उर्दू के लिए स्थान रखा गया था। डॉ. कुरैशी ने कहा कि मुस्लिमों के कल्चर को खत्म कर इस्लाम को मिटाने की कोशिश की जा रही है। मदरसों के साथ भेदभाव और कुरआन तथा इस्लामी तालीम पर पाबंदी लगाने की बात पर वे बोले कि वेद और पुराण में भी एक खुदा को मानने की ताकीद की गई है। रामायण और गीता के अनेक उर्दू संस्करण तैयार किए गए हैं। ऐसे में किसी धार्मिक तालीम पर पाबंदी लगाया जाना कहां तक उचित कहा जा सकता है।

खान आशु

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