महान क्रांतिकारी भगत सिंह ने कहा था ,

प्रत्येक मनुष्य जो विकास के लिए खड़ा है ,रूढ़िगत विश्वासों के हर पहलू की आलोचना तथा उन पर अविश्वास करना होगा और उनको चुनौती देनी होगी ।प्रत्येक प्रचलित मत की हर बात को हर कोने से तर्क की कसौटी पर कसना होगा ।

यह घनघोर संकट का समय ,जबकि कोरोना के संकट के कारण जनता दुर्दशा से ग्रस्त है ।अकाल मौतें हो रही हैं ।बच्चे अनाथ हो रहे हैं ।लाखों घर परिवार बर्बाद हो रहे हैं ।

महंगाई बढ़ती जा रही है ।नौकरियां छीनी जा रही हैं ।अर्थ व्यवस्था खस्ता हाल है ।अस्पतालों में जनता को लूटा जा रहा है ।चिकित्सा के क्षेत्र में भ्रष्टाचार और काला बाजारी का आतंक है ।जनता पर कई तरह के संकटों की चरम स्थितियां व्याप्त हैं ।

लेकिन यह घनघोर संकट का समय सदियों से व्याप्त उन अंध विश्वासों को तर्क की कसौटी पर कसने का समय भी है ,जिन अंध विश्वासों पर जीवन का अधिकांश समय ,ऊर्जा और संसाधन खर्च किए ।वे सब जनता के जीवन पर संकट आने पर भी किसी काम नहीं आए ।

इन अंध विश्वासों ने जनता के प्रतिरोध और जन संघर्ष को कमजोर ही किया है । इसलिए इनके औचित्य पर साहस के साथ विचार करना भी बेहद जरूरी है । यदि अंध विश्वासों को तर्क की कसौटी पर कसने का साहस अर्जित हो सका तो यह इस घनघोर संकट के समय में भी बहुत बड़ी उपलब्धि होगी ।

शैलेन्द्र शैली

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