-अब साध्वी ने की नजरें तिरछी
-पहले भी अपनों ने किया है परेशान
-शिव की अदा, जो आया आड़े, पहुंचा हाशिये पर

भोपाल। राजनीति के समंदर में अपनों द्वारा घोले गए विष से ओतप्रोत होते रहे शिवराज सिंह चौहान एक फिर अपनों के निशाने पर हैं। चौथी बार मुख्यमंत्री बनने तक के सफर के दौरान पार्टी के ही आधा दर्जन से ज्यादा दिग्गजों की आंखों की किरकिरी बन चुके शिवराज इस बार सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर को खटक गए हैं। शिव के प्रदेश की राजधानी में खड़ी होकर वे उनके ही खिलाफ लामबंदी करने में जुटी हुई हैं। हालांकि उन्हें दम देने वाले शायद यह बताना भूल गए कि अब तक शिवराज के रास्ते की बाधा बने लोगों के हिस्से सियासी हाशिया ही आया है।

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को निशाने पर लेने के लिए प्रज्ञा सिंह ठाकुर ने पार्टी से उपेक्षित और विधायकी से दरकिनार हुए सभी सीनियर नेताओं को एक साथ जोड़ने का काम शुरू कर दिया है। इसके साथ वह उनके साथ बैठकें कर रही हैं और उनकी समस्याओं पर चर्चा कर रही हैं। हाल ही में भोपाल शहर के पांच विधानसभाओं के 30 लोगों के साथ उन्होंने अपने निवास स्थान पर बैठक आयोजित की। जिसमें भगत रघुवंशी, विष्णु राठौर, दीपक मेहता, विनय तिवारी जैसे कई दिग्गज शामिल हुए थे। जहां उनकी समस्याओं के कारण पर विस्तृत चर्चा हुई और पार्टी से दरकिनार किए इन नेताओं ने अपना पक्ष सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर के सामने रखा। सूत्रों के मुताबिक बीजेपी नेता अपने-अपने क्षेत्र के विधायक और पूर्व मेयर के हस्तक्षेप की वजह से पार्टी से दरकिनार हो रहे हैं वहीं उन्हें उपेक्षित होना पड़ रहा है। जिसके बाद सीनियर नेताओं की इस तरह उपेक्षा से सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर काफी नाखुश है। जानकारी के मुताबिक सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर भोपाल के डेढ़ सौ लोगों की सूची तैयार करवा रही हंै। जो विधायकों की उपेक्षा महसूस कर रहे हैं और इन उपेक्षित लोगों के साथ भी वह जल्द बैठक आयोजित करेंगी। गौरतलब है कि पिछले दिनों किसान सम्मेलन के कार्यक्रम में उन्हें उचित सम्मान नहीं दिया गया। जहां उनकी कुर्सी मंच पर पीछे की जगह रखी गई थी। इस अपमान की वजह से प्रज्ञा सिंह ठाकुर कार्यक्रम के बीच वहां से बाहर आ गई थीं। चर्चा है कि उन्होंने इस मामले की शिकायत उच्च स्तरीय राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से भी की थी।

विश्रोई ने भी उठाया विरोध का स्वर
कभी मुख्यमंत्री शिवराज के खास लोागों में शामिल रहे पूर्व मंत्री और विधायक अजय विश्रोई भी अब शिवराज के खिलाफ खड़े दिखाई दे रहे हैं। एक दिन पहले हुए मंत्रिमंडल विस्तार को लेकर उन्होंने नाराजगी जाहिर की है। उन्होंने ट्वीटर पर अपना दर्द बयां किया है। उन्होंने लिखा है कि महाकौशल अब उड़ नहीं सकता, सिर्फ फडफड़ा सकता है। उन्होंने महाकौशल के विधायकों की उपेक्षा पर एतराज जताया है और कहा है कि ग्वालियर, चंबल, मालवा क्षेत्र का हर दूसरा विधायक मंत्री है। सागर, शहडोल का हर तीसरा विधायक मंत्री है। गौरतलब है कि शिवराज के पहले मुख्यमंत्रित्व काल में मंत्री रहे अजय विश्रोई के चुनाव हारने के बाद उन्हें लगातार टिकट से दूर ही रखा गया। चुनाव, उपचुनाव, राज्यसभा, लोकसभा हर मौके पर विश्रोई ने अपनी दावेदारी पेश की है। पिछले चुनाव में जीत हासिल करने के बाद उन्हें उम्मीद थी कि शिवराज मंत्रिमंडल में उन्हेंं जगह दी जाएगी, लेकिन अपनी उपेक्षा के चलते वे नाराज लोगों की टीम में शामिल दिखाई देने लगे हैं।

विरोधियों को मिला नया दर
भाजपा में हुए कांग्रेसी घालमेल के बाद अब विघ्रसंतोषी भाजपाईयों को नया ठिकाना मिल गया है। शिवराज से नाराज लोगों के लिए आसान दर राज्यसभा सांसद ज्योतिरादित्य का बन गया है। बताया जाता है कि पिछली भाजपा सरकार में वित्त मंत्री रहे जयंत मलैया से लेकर कई वरिष्ठ भाजपाईयों ने अपनी आस्थाएं सिंधिया की तरफ बढ़ा ली हैं। जबकि पदों से लेकर महत्व तक की उम्मीद रखने वालों को भी अपना बेहतर भविष्य सिंधिया के साथ ही दिखाई दे रहा है।
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शिव-राज कायम
उमा भारती की सरकार के सरकने और स्व बाबूलाल गौर के पद से नीचे सरकने के बाद पैराशूट से शिवराज सिंह चौहान का प्रदेश में आगमन हुआ। उसी दौर से उनके विरोधियों में सुगबुगाहट शुरू हो गई थी। एक के बाद एक मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल और प्रदेश में गहरी होती पैंठ के चलते उन लोगों को शिवराज की मौजूदगी खटकने लगी, जो अपनी दावेदारी बड़े नेता के रूप में करना चाहते थे। प्रभात झा, नरेन्द्र सिंह तोमर, कैलाश विजयवर्गीय, उमाभारती जैसे कई लोगों को शिवराज की कूटनीति ने दिल्ली की गलियों में गुमनाम कर दिया है। इसके बाद भी उनके साथ रहते, उनके ही खिलाफ काम करने वालों को भी उन्होंने एक दायरे तक सिमट दिया है। इनमें गोपाल भार्गव, नरोत्तम मिश्रा, लाल सिंह आर्य, भूपेन्द्र सिंह जैसे कई नेता शामिल हैं।

   खान अशु

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