सोंगल को लेकर अण्णा दुराई ने जवाहरलाल नेहरू को लिखे हुए अंग्रेजी खत का शमसुल इस्लाम ने हिंदी अनुवाद किया है ! जिसे मैंने अपने फेसबुक से नरेंद्र मोदीजी ने जब दक्षिण के शेकडो ब्राम्हणो को सेंट्रल विस्टा के उद्घाटन समारोह में आमंत्रित कर के सोंगल को दोबारा अलाहाबाद के मुजिएम से निकाल कर उनके सामने साष्टांग दंडवत किया ! और शतप्रतिशत नरेंद्र मोदी का जवाहरलाल नेहरू के खिलाफ बिमारी के स्तर पर द्वेषपूर्ण रवैए का एक कारण, और संघ की तथाकथित सामंतवाद तथा पुराणपंथि सोच का मिलाजुला मामले की वजह से नई संसद के अध्यक्ष के आसन के साथ सोंगल को रखने की मानसिकता दर्शाती है ! एक तरफ देश को दुनिया के सभी देशों का विश्वगुरु बनाने की धुन में यह सब गडबडझाला करते हुए सोंगल जैसे सामंती प्रतिक की प्रतिस्थापना करना, और दुसरी तरफ भारत गणतांत्रिक ( Republic ) देश कहना विरोधाभास है ! या जनतंत्र के प्रति सही-सही सोच समझ का अभाव या अप्रतिष्ठा की भावना की वजह से यह कर्मकाण्ड किया गया है !


और इसी सोंगल के सामंती लक्षणों को देखते हुए और अण्णा दुराई ने जवाहरलाल नेहरू को लिखे पत्र के कारण या जवाहरलाल नेहरू की अपनी प्रगतिशील सोच की वजह से सोंगल को अलाहाबाद के मुजिएम में भेज दिया गया था ! जिसे दोबारा प्रतिस्थापित करने के पिछे गत नौ सालों से संसद की गरिमा खत्म करने की कृती में और एक सोंगल जैसे राजाओं के जमाने के सामंती प्रतिक को जनतंत्र का अपमान करने की कृती है ! वैसे भी नरेंद्र मोदीजी को संसद या जनतंत्र सिर्फ सत्ता के पायदान पर चढने की एक सिढि के अलावा रत्तीभर का आदर या सम्मान नही है ! यह उनके सत्ता में आने के बाद नौ सालों की संसदीय कार्यवाही देखने के बाद साफ हो गया है ! विरोधी नेताओं की सदस्यता खत्म करने से लेकर संसद में मनमाने ढंग से बिलों को पास कराने की कृतियों को देखते हुए लगता है कि हमारे देश की संसद की गरिमा का स्तर कितना गिर गया है !
या कभी-कभी लगता है “कि भारतीय जनता पार्टी संसदीय प्रणाली को खत्म करने पर तूली हुई है ! क्योंकि उनकी मातृसंस्था राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सब से अधिक समय तक संघ प्रमुख रहे श्री. माधवराव सदाशिवराव गोलवलकर ने अपने किताब में संसदीय प्रणाली के बारे में लिखा ही है” कि यह हरेक को समान मताधिकार की भीडभरी संसद से भारत का कभी भी कल्याण नही हो सकता !” सर्वसामान्य नागरिकों के बारे में गोलवलकर मनुस्मृति की भाषा में तुच्छता का भाव रखते थे !


इसलिए आचार्य विनोबा भावे ने 1948 में ही कहा है “कि संघ की स्थापना महाराष्ट्रियन ब्राम्हणों ने की है ! और उसके नागपुर से लेकर गुवाहाटी, कलकत्ता, अमृतसर, मद्रास सभी प्रांतों के सिपहसलारों में सिर्फ और सिर्फ महाराष्ट्रियन ब्राम्हण ही मिलेंगे ! ” तो यह संघठन कभी भी भारत के स्वतंत्रता संग्राम में शामिल नहीं रहा ! और स्वतंत्रता के बाद भारत के जमींदारों तथा पुंजीपतियो तथा सवर्ण वर्ग के हितों की रक्षा के लिए विशेष रूप से योगदान देने वाले संघठन और उसकी राजनीतिक ईकाई भाजपा उससे अलग नितियो को लेकर कभी भी नहीं चल सकती ! क्योंकि उसके डीएनए में ही उच्च वर्गों के हितो की रक्षा करना है ! और इसलिए पूंजीपति वर्ग उसे उदार होकर सभी तरह का सहयोग करता है !
यही जानकारी दी थी ! तो दुसरे ही क्षण फेसबुक से नोटिस आ गई कि ! “आपने हमारे मानकों के अनुरूप पोस्ट नही डालने की वजह से आपको ब्लॉक कर दिया है !” जो आज जुलाई के 19 जून के 31 और मई के दो दिन पकडकर पचास से अधिक दिन हो गए ! और इन पचास दिनों में मैंने यह ब्लॉक खुलवाने के लिए कम-से-कम हजारों बार कोशिश की ! कुछ एक्सपर्ट लोगों का सहयोग लिया, अपना आईडिंटीफिकेशन के लिए पासपोर्ट स्कॅन कर के अपलोड किया ! लेकिन आखिरी स्टेज पर आकर मामला अटक जा रहा है ! और अब एक्सपर्ट लोगों का कहना है कि “आप अपना पूराने फेसबुक का पिछा छोड दिजीए और नया अकाउंट खोल लिजिए !” तो उनके सलाह के अनुसार मैंने सुरेश खैरनार की जगह सुरेश देवराव खैरनार के नाम से पहले से ही छोटा ब्लॉक के समय खोला हुआ था ! उसे इस्तेमाल करने की शुरुआत की है ! लेकिन उसे भी ब्लॉक करना शुरू है ! और मै कुछ खटपट कर के उसे खोलकर यह पोस्ट लिख रहा हूँ ! पता नहीं यह भी जा सकेगी या नहीं ? आखिर में फेसबुक के मानक क्या है ?

नरेंद्र मोदीजी को खुश रखना ? नरेंद्र मोदी ने 2007 से सोशल मीडिया मे अपनी खुद की सेफ्रोन डिजिटल आर्मि बना रखी है ! जो आज करोड़ की संख्या में विरोधी दलों के नेताओं से लेकर कुछ पत्रकार जिन्होंने पत्रकारों के धर्म का पालन करने की कोशिश की है ! और सबसे संवेदनशील बात महात्मा गाँधी, जवाहर लाल नेहरू तथा डॉ बाबा साहब अंबेडकरजी के जैसे हमारे राष्ट्रीय नायक-नायिकाओ के खिलाफ कमर के निचे बदनामी करने वाले लोगों को यही फेसबुक या वॉटस्अप में बेखटके से इजाजत है !

भारत में पचास करोड़ से अधिक लोग इंटरनैट से लैस मोबाइल फोन का इस्तेमाल कर रहे हैं ! इन लोगों तक मोबाईल के माध्यम से इतनी अधिक फर्जी, गलत और नफरत फैलाने वाली खबरें पहुंच रही है जितनी पहले कभी नहीं पहुंचती थी ! और चुनावों के दौरान ऐसी खबरें और बढते रहतीं है !


सत्ताधारी दक्षिणपंथी दल की तथाकथित डिजिटल आर्मी इस कदर हथियारबंद कर दी गई है कि यह राजनीतिक परिणामों को प्रभावित कर सके ! फेसबुक और वॉटस्अप दोनों यह दावा करते हैं कि वे निस्पक्ष है ! लेकिन यह दावा हकीकत से कोसो दूर है ! एक ही समूह की दोनों कंपनियां नरेंद्र मोदी, भारतीय जनता पार्टी के उनके समर्थकों और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को लाभ पहुंचाने में संलिप्त रही है ! और यह काम नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री बनने के पहले से ही चल रहा है !

दुनिया के अलग- अलग देशों में विश्व के सब से बडे सोशल मीडिया संघठन पर तरह-तरह के सवाल उठ रहे हैं और भारत में भी एक तरह से वर्तमान केंद्र सरकारकी मिडिया विंग के जैसे चुस्ती दिखा रहे हैं ! मेरे पोस्ट में सिर्फ नरेंद्र मोदी या संघ भाजपा इतना भी देख कर तुरंत ही ब्लॉक करने का अनुभव से मै तंग आ गया हूँ ! झुबेरर्बग लाख दावा करे कि वह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के हिमायती है ! वह विश्व भर में वहां की सत्ताधारी पार्टी के तरफसे है यह मेरा आकलन है !


हमारे जैसे लोगों की हमारे जनतंत्र से लेकर संसदीय मुल्यो तथा जाति-धर्म स्री – पुरुष समानता के लिए विशेष रूप से लिखें जा रहे पोस्ट को लेकर ब्लॉक करने की कृती अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का उल्लंघन है ! और हमारे आंतरराष्ट्रीय मानकों का भी उल्लंघन है ! फेसबुक ने लोगों की ही मदद से अपने आपको एक एंपायर के रूप में प्रतिष्ठित किया है ! और इस तरह लोगों के ही मुलभूत अधिकारो के साथ खिलवाड़ करना कहा तक उचित है ?


पांच साल पहले परंजय गुहा ठाकुरता और सिरिल सैम ने लिखि हुई फेसबुक का असली चेहरा शिर्षक की किताब पढकर, मुझे भी लगा कि यह एक फ्रॉड माध्यम है ! और सरकारों के कृपापात्र बने रहने के लिए अभिव्यक्ति पर सतत नकेल कसने में लगे हुए हैं ! इसलिए मैंने फेसबुक पर से हटने का निर्णय ले लिया था ! लेकिन कुछ मित्रों ने कहा कि “आपकों जितनी जगह मिल रही है ! उतना ही इस्तेमाल करो ! क्योंकि गत नौ सालों से हमें तथाकथित मुख्य धारा के मिडिया ने अघोषित रुप से बैन कर के रखा हुआ है ! तो वर्तमान में हमारे अगल – बगल में जो भी कुछ चल रहा है ! उसे देखते हुए मन में स्वाभाविक प्रतिक्रिया आती है ! और उसे अभिव्यक्त करने के लिए कोई जगह नहीं है ! तो फेसबुक, व्टिटर, व्हाट्सअप, टेलिग्राम, सिग्नल और ईमेल जैसे माध्यमों से कुछ हदतक कोशिश करते हैं ! तो व्हाट्सअप पर पांच से अधिक एक बार पोस्ट नहीं कर सकते का बंधन नौ सालों से शुरु हो गया ! और फेसबुक अबतक शेकडो बार ब्लॉक कर चुका है ! और अब तो पचास दिनों से भी अधिक समय से ब्लॉक जारी है !
झुबेरबर्ग खुद सात हजार साल से भी अधिक समय से एक्सॉडस कि जा रहे यहुदी कौम में पैदा हुए है ! ताजा बीसवीं शताब्दी में हिटलर ने किया हुआ वंशसंहार के शिकार में से बचें हूए लोगों में से एक शायद झूबेरबर्ग के माता-पिता या उनके परिवार के सदस्यों का शुमार रहा होगा ! और वही झूबेरबर्ग भारत में पिछले नौ सालों से भारतीय फासीवाद की शुरुआत देखकर उसे कुछ भी नहीं लगता होगा इस बात का रह-रहकर आस्चर्य लगता है !


यह बात कई बार मैंने लिखा है, “कि झुबेरबर्ग आप खुद भुक्तभोगी समाज से आ रहे हो हिटलर के होलोकास्ट में आप के पुरखे बलि चढे होंगे ! लेकिन आप वर्तमान समय की इस्राइल की झिओनिस्ट सरकार के जैसे व्यवहार कर रहे हैं यह कहा तक उचित है ?
लगता है कि झुबेरबर्ग को सिर्फ अपनी आर्थिक मुनाफा कमाने का जूनून सवार होने की वजह से नरेंद्र मोदी जैसे तानाशाह के साथ खाना खाने से लेकर उसके इशारों पर काम करने के लिए वह तैयार हो गया है ! इसलिए परंजय या सिरिल जैसे लोगों ने 2019 में उन सभी लोगों को जो राजनीति और इंटरनेट आधारित सूचना और प्रौद्योगिकी से लोकतंत्र पर पड रहे प्रभावों को सामने ला रहे हैं ! और इसका अध्ययन कर रहे हैं ! और जिसमें उन्होंने जो सवाल उठाए हैं( 1)क्या व्हाट्सअप राजनीतिक लाभ के लिए अफवाह फैलाने का माध्यम बन रहा है ?
(2) क्या फेसबुक सत्ताधारियों के साथ है ?
(3) क्या नरेंद्र मोदी की आलोचना से फेसबुक को डर लगता है ?
(4) सोशल मीडिया के अफवाहों से बढती सांप्रदायिक हिंसा.
(5) कई देशों की सरकारें फेसबुक से क्यों खफा हैं ?
(6) क्या सुरक्षा उपायों को लेकर वॉटसऐप ने अपना पल्ला झाड़ लिया है ?
(7) फर्जी सूचनाओं को रोकने के लिए फेसबुक कुछ नहीं करना चाहता !
(8) फेसबुक पर फर्जी सूचना देने वालों को फॉलो करते हैं प्रधानमंत्री मोदी !
(9) जब मोदी का समर्थन करने वाले सुषमा स्वराज को देने लगे गालियां !
(10) सत्ताधारियों से पूरी दुनिया में है फेसबुक की नजदीकी !
(11) क्या सोशल मीडिया पर सबसे अधिक झूठ भारत में फैलाया जाता है ?
वैसे तो यह पचपन मुद्दे है ! जिनपर परंजय और सिरिल ने फेसबुक का असली चेहरा 226 पन्ने की किताब में विस्तार से जानकारी देने की कोशिश की है ! मै पूरी किताब तो नही दे सकता लेकिन कुछ संक्षेप में दे रहा हूँ !
डॉ. सुरेश खैरनार 19 जुलै, 2023, नागपुर.

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