cowहाल ही में राजस्थान के अलवर जिले के बहरोड़ इलाके में कथित गोरक्षकों ने पहलू खान नाम के एक मुस्लिम व्यक्ति की इस शक के आधार पर पीट-पीट कर हत्या कर दी कि वो गोतस्करी कर रहा था, जबकि सच्चाई ये है कि पहलू खान जयपुर से गाय खरीद कर अपने गांव जा रहे थे. ये गाय उन्होंने नगर पालिका द्वारा संचालित हाट से खरीदी थी.

बकायदा नगरपालिका की ओर से जारी रसीद उनके पास थी. लेकिन कथित गोरक्षकों ने रास्ते में ही घेर कर उनकी हत्या कर दी और ये आरोप लगा दिया कि पहलू खान उक्त गाय को तस्करी कर ले जा रहे थे. गौरतलब है कि पहलू खान अपने गांव में डेयरी चलाते थे. बहरहाल, इस घटना को ले कर मीडिया में तमाम रिपोर्टिंग भी हुई और सोशल मीडिया ने भी अपने तौर पर इस खबर को प्रचारित किया.

इन सबके बीच, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) का एक प्रतिनिधिमंडल अलवर जिले के बहरोड़ पहुंचा, जहां ये घटना घटी थी. इस टीम ने सबसे पहले बहरोड़ पुलिस थाने पहुंच कर पुलिस उपाधीक्षक परमाल सिंह से बातचीत की और पूरी जानकारी ली. इस प्रतिनिधिमंडल में माकपा की पोलितब्यूरो सदस्य सुभाषिनी अली, सांसद बदरूद्दोजा खान, सांसद शंकर प्रसाद दत्ता आदि शामिल थे.

बहरोड़ के पुलिस उपाधीक्षक परमाल सिंह ने उन्हें बताया कि 1 अप्रैल को मवेशियों से भरी 4 गाड़ियों और 11 लोगों को उनके थाने में लाया गया था. सिंह के मुताबिक मेवात के रहने वाले इन 11 लोगों के पास पर्याप्त दस्तावेज नहीं थे. इसलिए पुलिस ने उन्हें गायों के अंतर-राज्यीय आवागमन (इंटरस्टेट ट्रांसपोर्टेशन) के आरोप में संबंधित एक्ट के तकत न्यायिक हिरासत में भेज दिया और गायों को गोशाला में भेज दिया गया.

सिंह ने आगे बताया कि इस घटना के तुरंत बाद ही उन्हें सन्देश मिला कि हाइवे पर कुछ लोगों ने एक गाड़ी (जिसमें पहलू खान गाय लेकर अपने गांव जा रहा थे) को रोक कर उसमें सवार लोगों के साथ मारपीट की है. जब वे घटनास्थल पर पहुंचे, तो उन्होंने देखा कि पीटे गए लोग घायल अवस्था में पड़े हुए हैं.

पुलिस उन्हें प्राइवेट अस्पताल तक ले कर गई. इस मामले में पुलिस ने 6 अज्ञात लोगों के खिलाफ धारा 308 के तहत प्राथमिकी दर्ज की. पहलू खान की दुखद मौत के बाद पुलिस ने धारा 308 को बदल कर 302 कर दिया. पुलिस इस मामले में अभी तक किसी भी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकी है. इस प्रतिनिधिमंडल ने जब पुलिस उपाधीक्षक को खरीदी गई गायों की रसीद दिखाई, जो जयपुर नगर निगम द्वारा जारी की गई थी, तो उनका कहना था कि उन्होंने ऐसी कोई रसीद नहीं देखी है और राजस्थान से बाहर किसी गाय को ले जाने के लिए जिलाधिकारी की अनुमति की जरूरत होती है.

सवाल है कि अगर ऐसा कोई नियम है, तो जयपुर नगर निगम ने राज्य से बाहर (पहलू खान और अन्य लोगों जो हरियाणा के मेवात के नूह जिले के रहने वाले थे) के लोगों के हाथों गायों की बिक्री कैसे कर दी. जयपुर नगर निगम द्वारा जारी रसीद का अर्थ ही ये है कि खरीददार उसे अन्य राज्य में ले जा सकता है. प्रतिनिधिमंडल को ये भी जानकारी मिली कि राज्य से बाहर गायों को ले जाने के लिए नगर निगम अतिरिक्त पैसा वसूलती है, जो पहलू खान ने चुका दिया था.

पहलू खान सरकारी हाट से पशु खरीद कर ले जा रहे थे और इसके कागजात उनके पास थे. इसके बाद भी पुलिस का ये कहना कि नगर निगम द्वारा जारी रसीद वैध नहीं है और इसके लिए जिलाधिकारी की अनुमति की जरूरत है, सवालों के घेरे में है. अब या तो जयपुर नगर निगम को सफाई देनी चाहिए कि उसके नियम इस संबंध में क्या हैं या फिर राजस्थान सरकार को अपनी तरफ से सफाई देनी चाहिए. इसके बाद ये प्रतिनिधिमंडल अलवर के जिलाधिकारी मुक्तानंद अग्रवाल से मिला. प्रतिनिधिमंडल ने कलेक्टर से पहलू खां हत्याकांड की निष्पक्ष जांच और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की.

सुभाषिनी अली सहगल ने जिलाधिकारी को बताया कि मृतक पहलू खां के साथियों का कहना है कि उन्हें अस्पताल में भी डर लग रहा था, वे अभी तक भयभीत हैं. जाहिर है, ये हमला इनलोगों की आजीविका पर हमला था. इस प्रतिनिधिमंडल ने चौथी दुनिया से बात करते हुए बताया कि इस घटना के बाद भी यहां हिंदू चौकियां स्थापित की जा रही हैं. स्टेट इंटेलीजेंस ने भी इस मामले में एक रिपोर्ट दी है. इस रिपोर्ट के मुताबिक सभी आरोपी हिंदूवादी संगठनों के पदाधिकारी हैं. राजस्थान पुलिस के इंटेलीजेंस ने आरोपियों के नाम-पते और हिंदूवादी संगठनों में उनके पद की पूरी रिपोर्ट राजस्थान सरकार को भेजी है.

इस मामले में आईओ का रवैया खराब था. पुलिस का कहना है कि पहलू खान के पास पशु के इंटरस्टेट ट्रांसपोर्टेशन के लिए जरूरी डीएम का परमिशन नहीं था, जबकि पी़िडत पक्ष का कहना है कि उनके पास नगर निगम से जारी बाजार की रसीद थी. उस रसीद में स्टेट के बाहर ट्रांसपोर्टेशन का जिक्र था, लेकिन पुलिस ने इसे साक्ष्य नहीं माना. अभी भी कई लोगों की गाड़ियां और जानवर जब्त हैं.

– सुभाषिनी अली सहगल, पूर्व सांसद और सीपीआई(एम) नेता

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