नबाम तुकी ने पीडीएस घोटाले की शुरुआत की थी
फूड एंड सिविल सप्लाई के मंत्री रहते समय नबाम तुकी ने ही पीडीएस घोटाले की शुरुआत की थी. सड़क रास्ता होने पर भी ‘हेड लोड’ का झूठा फार्मूला आविष्कार किया. 20 किलोमीटर को 46 किलोमीटर का रास्ता बताया और 40 किलोमीटर को 90 किलोमीटर का रास्ता बताकर पैसों का गबन किया था. जहां जनसंख्या ही नहीं थी, वहां चावल का कोटा बढ़ाया गया. चावल पर लोन दिखाकर कोटा बढ़ाया गया और भारी मात्रा में पैसों का गबन किया. जहां चावल, चीनी और गेहूं गया ही नहीं, वहां झूठा बिल बनाकर घोटाला किया गया. कुरुंग कुमे और सुबानसीरी के चावल के कोटे को एफसीआई बेस डिपो से निकालकर लखीमपुर (असम) में बेचा गया था. तवांग, पूर्वी कामेंग और पश्चिमी कामेंग के चावल के कोटे को तेजपुर (असम) में बेचा गया था. पूर्वी-पश्चिमी सियांग के चावल के कोटे को धेमाजी (असम) में बेचा गया. एक ही बिल से बार-बार झूठा बिल बनाकर 6-7 बार पैसे निकाले गए. राज्य में जिस समय 61 लाख रुपए में साल भर के पीडीएस चावल की सप्लाई होती थी, वहीं नबाम तुकी के मंत्री रहते हुए, ये रकम 168 करोड़ रुपए सालाना तक पहुंच गई थी.
पुराने कामों और फोटो दिखाकर नबाम तुकी ने 70 प्रतिशत तक रिलीफ फंड का घोटाला किया था. उन पैसों का नबाम तुकी ने दुरुपयोग किया और जनता और केंद्र सरकार को गुमराह किया. इसकी पीआईएल आज गुवाहाटी हाईकोर्ट में चल रही है. राज्य में ऐसे घोटाले कर वे अपनी सम्पत्ति बढ़ाते हैं. उससे न्यायालय में न्याय खरीदते हैं. कांग्रेस आलाकमान को खरीदते हैं और मीडिया को भी खरीदते हैं. जिसे जनता चुपचाप देखती रहती है.
राज्य में नॉन प्लान फंड आंवटित कर 60 प्रतिशत पैसे वापस लेकर दुरुपयोग किया गया, जिसकी वजह से राज्य में केंद्र की बहुत सी योजनाएं आज भी बंद पड़ी हैं. जिसके कारण राज्य में वर्ष 2013, 2014 और 2015 तक लगातार ओवरड्राफ्ट की समस्या होती रही. जिसके चलते सरकारी अधिकारियों की तनख्वाह, भत्ते, चिकित्सा बिल, गवर्नमेंट प्रॉविडेंट फंड/न्यू पेंशन स्कीम, छात्रों के भत्ते और ठेकेदारों के भुगतान समय पर नहीं हो पाते थे. इस पर भी सरकारी अधिकारी, छात्र, ठेकेदार और जनता इन्हें सहती गई, कभी इसके खिलाफ आवाज नहीं उठाया और न ही इसका विरोध करने की कभी हिम्मत दिखाई. जिससे भ्रष्ट लोगों के हौसले बुलंद होते गए और वे राज्य में ज्यादा भ्रष्टाचार करते गए.
13वें वित्त आयोग (टीएफसी) के सारे पैसों का दुरुपयोग हुआ है. स्पेशल प्लान असिस्टेंस (एसपीए) के पैसों का दुरुपयोग हुआ है, जिसका काम आज भी बंद पड़ा है. स्पेशल सेंट्रल असिस्टेंट (एससीए) फंड का भी दुरुपयोग हुआ है. राज्य के पास फंड नही है, फिर भी भोली जनता को गुमराह करने के लिए कहा गया कि सिविल डिपॉजिट में फंड है. जब मैं मुख्यमंत्री बना, तो सबसे पहले छानबीन कर पता लगाया, लेकिन वहां कोई पैसा नहीं था.
दोरजी खांडू जहां रिलीफ फंड और नॉन प्लान फंड में 60 प्रतिशत दलाली/घूस लेते थे, वहीं मुख्यमंत्री (पू.) ने आत्महत्या से पहले आखिरी बार लिखा कांग्रेस के बड़े नेताओं को मैंने पैसे दिए नबाम तुकी ने इसमें 10 प्रतिशत इजाफा किया और 70 प्रतिशत दलाली लेकर राज्य के फंड को लूटा.
यही सब कारण है कि पिछले तीन सालों से राज्य में ओवरड्राफ्ट की समस्या चल रही थी और राज्य बजट भी घाटे में चल रहा था.
नबाम तुकी ने अपनी पत्नी नबाम न्यामी के नाम पर राज्य के सभी शहरों मसलन, ज़ीरो, पासीघाट, तेजू, इटानगर, हवाईसमेत सभी जिलों में सरकारी ठेकेदारी के काम किए. वहीं उनके भाई और परिवारजन नबाम तगाम, नबाम आका, नबाम हारी और नबाम मारी ने भी बहुत सी सरकारी योजनाओं और परियोजनाओं में अलग-अलग काम कर राज्य के खजाने को लूटा था. राज्य में इन सभी घाटे और घोटालों के जिम्मेदार नबाम तुकी ही हैं, जिन्होंने राज्य को कुएं में धकेल दिया और भोली जनता को बेवकूफ बनाया.
नबाम तुकी की हरकतों का मैंने विरोध किया
सोशल मीडिया, फेसबुक और व्हाट्सएप पर लोग पूछ रहे है कि ये पैसे कहां से आए? लेकिन अगर इनसे सच पूछा गया, तो ये आपसे नजर मिलाकर वे बात भी नहीं कर सकेंगे. नबाम तुकी की इन्हीं हरकतों से तंग आकर मैंने और राज्य के ज्यादातर विधायकों ने एक सुर में उनका विरोध किया. उनकी सरकार अल्पमत में होने पर भी उन्होंने अपने स्पीकर भाई नबाम रेबिया के साथ मिलकर और उनकी मदद से दो विधायकों को निष्कासित कर दिया और अपनी सरकार चलाते रहे.
विधानसभा अध्यक्ष पर महाभियोग (इम्पीचमेंट) का मामला होने पर भी नबाम रेबिया अपने पद पर बने रहे, जबकि 14 दिनों के अंदर ही इस पर कार्यवाही होनी चाहिए थी. वहीं अविश्वास प्रस्ताव पर वोटिंग होने पर भी नबाम तुकी सीएम पद पर बने रहे, जबकि राज्यपाल ने उन्हें बहुमत सिद्ध करने को कहा था. 13 जनवरी 2016 को गुवाहाटी हाईकोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बाद भी वे अपनी सरकार चलाते रहे और राज्य को लूटते रहे. ऐसे में नबाम तुकी को अपना त्याग पत्र पेश करना चाहिए था. लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया.
एक राज्य में राज्यपाल ही सबसे बड़े होते हैं. राज्यपाल की ही इजाजत से मुख्यमंत्री व मंत्री तय होते हैं. ट्रांसफर, पोस्टिंग और अपॉएंटमेंट भी राज्यपाल के दिशा-निर्देश में किए जाते हैं. लेकिन नबाम तुकी ने हमेशा कानून, न्याय और जनता का मजाक उड़ाया. मैंने अपने 23 साल के राजनीतिक जीवन में पांच मुख्यमंत्रियों के साथ काम किया, लेकिन नबाम तुकी जैसा भ्रष्ट और खराब तंत्र (सिस्टम) कहीं नहीं देखा. इनकी सरकार ने राज्य में बंद, हड़ताल और दंगे करवाए. जनता को जाति, धर्म व क्षेत्र के नाम पर बांटा और उनमें लड़ाईयां करवाईं. उन्होंने सरकार, कानून, लोकतंत्र, संविधान, न्यायालय और जनता के साथ खिलवाड़ किया है और हमेशा इनका अपमान किया है. इन्होंने हमेशा जाति, धर्म, समाज, मजहब, भाषा और क्षेत्र के नाम पर राजनीति की है.
जिस इंसान ने जनता की सेवा के बजाय अपना घर भरा है, आज जनता को उससे जवाब मांगना चाहिए कि जो भी जमीन जायदाद, धन-सम्पत्ति उन्होंने बनाई है, वो कहां से आई? क्या कहीं पैसा छापने की मशीन मिली थी या पैसों की फैक्ट्री मिली थी? इन पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए और जनता को उसका हक मिलना चाहिए.
चोउना मीन सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं
चोउना मीन राज्य के बड़े मंत्रियों में से सबसे ज्यादा भ्रष्ट हैं. मीन जिस भी विभाग में गए, वहां बदनामी के छींटे अपने दामन पर झेले हैं. मैं इनका असली चेहरा जनता के सामने रखता हूं. अरुणाचल के ग्रामीण विकास मंत्रालय में कभी कोई लेनदेन नहीं किया गया था, पर चोउना मीन ने एक पीडी (प्रोजेक्ट डाइरेक्टर) से 10 लाख रुपए लेकर इसकी शुरुआत की थी. एपीओ की पोस्टिंग के लिए 5 लाख रुपए घूस लेते थे. बीडीओ के लिए 3 लाख रुपए घूस लेते थे. रूरल वर्क्स डिपार्टमेंट (आरडब्लूडी) और प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाई) में भी ठेकेदारों से पर्सेंटेज तय कर घूस लेते थे. चोउना मीन ट्रांसफर और प्रमोशन के लिए भी घूस लेते थे. इसके लिए उनका रेट ही तय था- एक्जेक्यूटिव इंजीनियर के लिए 15 लाख रुपए, असिस्टेंट इंजीनियर के लिए 5 लाख रुपए, जूनियर इंजीनियर के लिए 3 लाख रुपए.
शिक्षा मंत्री बनने पर चोउना मीन ने 3 से 4 लाख रुपए लेकर लोगों को बिना इंटरव्यू के शिक्षक की नौकरी दी थी. पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग और लोक निर्माण विभाग (पीडब्लूडी) में भी ट्रांसफर और पोस्टिंग पर 10-15 लाख रुपए घूस लेकर ढेर सारा पैसा कमाया था. लाइन ऑफ क्रेडिट के लिए भी चोउना मीन ने पैसों की मांग की थी, जिसके कारण बहुत से अधिकारियों ने डिवीजन में जाने से मना कर दिया था और नाराज भी हो गए थे. पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग में मंत्री रहते समय जारबाम गामलिन सरकार में रिलीफ फंड के 46 करोड़ रुपए की दलाली कर 15 ही दिनों में मीन ने उल्फा और अंडरग्राउंड ताकतों की मदद से गामलिन सरकार को गिरा दिया था.
चोउना मीन के पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग में मंत्री रहते समय, केंद्र सरकार ने वाटर सप्लाई के लिए 67 करोड़ रुपए दिए थे, बिना काम किए ही इन पैसों का दुरुपयोग किया गया. जिसका रिकॉर्ड आरटीआई से लिया गया है और ये आज भी आरटीआई कार्यकर्ता के पास मौजूद है. फिर नबाम तुकी सरकार में वित्त मंत्री बनने पर इन्होंने राज्य को भारी वित्तीय संकट की सौगात दे दी. डेवलपमेंट प्लान फंड को नॉन प्लान में डाल कर फंड का दुरुपयोग किया गया. जिसकी बदौलत मीन के कार्यकाल में राज्य में ओवरड्राफ्ट की भारी समस्या थी. इन्होंने राज्य में हमेशा ही ऐसे विभाग चुने जिनमें ज्यादा ट्रांसफर-पोस्टिंग होती हो. ज्यादातर वे प्लानिंग, फाइनेंस और पीडब्लूडी में रहने की मांग ही करते रहे, ताकि उनकी ज्यादा से ज्यादा कमाई हो सके. क्या ऐसे नेताओं के हाथ में राज्य सुरक्षित है?
आज हर कहीं जमीनें, सम्पत्ति, चाय बगान, संतरा बगान और रबड़ बगान खरीदकर नमसाई जिले की आधी सम्पत्ति इन्होंने अपने नाम कर रखी है. चोउना मीन ने दिल्ली, कलकत्ता, बेंगलुरु और गुवाहाटी में आलीशान बंगले कर्मिशयल स्टेट और सम्पत्ति बना रखी है.
जनता जवाब मांगे कि राज्य और जनता को इस तरह क्यों गुमराह किया गया? विधायक या मंत्री बनना पैसों की फैक्ट्री चलाना तो नहीं है, फिर इतना पैसा कहां से आया? क्या यही हैं कांग्रेस के असली नेता? जनता को क्यों धोखे में रखा गया और जनता की जिंदगी से क्यों खेला गया?
अरबों के मालिक कारिखो कीरी का अपना घर भी नहीं था
कारिखो कीरी महाशय कभी तेजू से विधायक थे. विधायक बनने से पहले इनके पास अपना घर भी नहीं था. अपने बड़े भाई, जो कि पब्लिक हेल्थ डिपार्टमेंट में इंजीनियर थे, उन्हीं के साथ रहते थे. अपने पहले विधानसभा चुनाव में एक पुराने स्कूटर से कैंपेन शुरू किया था और विधायक बनने के 3-4 सालों में ही हर कहीं जमीन और सम्पत्ति खरीद कर आधे तेजू के मालिक हो गए. अब उनके पास आलीशान बंगले, शानदार गाड़ियां और नवाबों के ठाट-बाट हैं. आज ईटानगर, दिल्ली, कोलकाता बेंगलुरु में कारिखो कीरी के आलीशान बंगले और सम्पत्ति है. आज उनसे कोई नहीं पूछता की ये पैसे कैसे और कहां से आए? लोग उनके पैसों के पीछे-पीछे भागते हैं. राज्य में विधायक बनना किसी लॉटरी लगने जैसा है. जहां हर कोई रातो-रात करोड़पति बन जाता है. राज्य में ऐसे और भी बहुत से विधायक हैं, जो विधायक बनने पर राज्य को लूटते हैं.
जैसे कि जब इस बार सुप्रीम कोर्ट का ऑर्डर आया, तब मुझसे कई विधायकों ने 15 करोड़ रुपए नगद मांगे थे. उनका कहना था कि अगर अपनी सरकार बचानी है, तो हमें इतने पैसे दें. लेकिन मैं यहां पैसा बनाने या पैसा बांटने के लिए नहीं आया, बल्कि जनता के सरकारी खजाने को बचाने व रक्षा करने आया था. सही समय और सही ढंग से जरूरतमंद योजनाओं को आगे बढ़ाने और जनता की सेवा और उनके हित में विकास करने के लिए आया था. जब भी कभी राज्य में राजनीतिक संकट की स्थिति होती है, तो ये विधायक दोनों तरफ से 10-15 करोड़ रुपए लूटते हैं. ऐसा कर ये अपने आपको नीलाम करते हैं, बेचते हैं. राज्य में ऐसा कब तक चलता रहेगा? जनता को विधायकों से सवाल करना चाहिए, उनके खिलाफ जन आंदोलन करना चाहिए. आज के सभी विधायक भ्रष्ट हैं, इन्हें विधानसभा में जाने का कोई हक नहीं है. जनता को इनसे त्याग पत्र मांगना चाहिए, ताकि वे एक नई और बेहतर सरकार चुन सकें, जिससे राज्य का हित हो सके. (ख़ास कर मुझे दुख है, अपने अच्छे दोस्त पीडी सोनाजी का काम मैं पूरा नहीं कर पाया, उनकी मांग थी 10 करोड़ नगद, लेकिन 11/07/2016 को मैं उन्हें 4 करोड़ ही दे पाया).
राज्य में सही सोच-विचार के साथ, मजबूत इच्छा शक्ति, स्पष्ट उद्देश्य के साथ स्पष्ट नीति केंद्रित योजनाओं के साथ अगर हम सिर्फ विकास के मकसद से और गरीब जनता के सेवा भाव से काम करें, तो हम बहुत कुछ कर सकते हैं. मैंने अपने साढ़े चार महीने के मुख्यमंत्रित्व कार्यकाल में जो करके दिखाया, वो एक उदाहरण है कि हम कैसे एक राज्य को आगे बढ़ा सकते हैं और उसे विकास दे सकते हैं. लेकिन मेरे विधायक साथियों ने मुझे ऐसा करने नहीं दिया और ये किसी को भी करने नहीं देंगे. क्योंकि अपने 25-30 साल के राजनीतिक जीवन में मैंने विधायकों को ऐसा ही करते देखा है. राज्य के ऐसे भ्रष्ट व बदमाश विधायकों और नेताओं के साथ काम कर पाना मुश्किल है. ये लोग कभी नहीं बदल सकते हैं और न ही कभी सुधर सकते हैं. इन लोगों को समझाने, सबक सिखाने और एहसास दिलाने का वक्त आ गया है, ताकि ये फिर कभी जनता के साथ खिलवाड़ नहीं कर सकें. मैं ऐसा इसलिए कह रहा हूं कि अगर राज्य में 4 महीनों में 3-4 बार सरकार बदलेगी तो राज्य को बहुत नुकसान होता है, जिसका आपको अंदाजा भी नहीं होगा. वहीं जनता बिना समझे हर बार नए मुख्यमंत्रियों और मंत्रियों की जय-जयकार करती है, जबकि मैं समझता हूं कि ये उनके साथ धोखा है.
इसलिए मैं जनता से अनुरोध करता हूं कि वो इस संदेश और बलिदान को गंभीरता से ले, अपने नेताओं से हिसाब-किताब मांगे, उनका कड़ा विरोध करे. गांव, कस्बों, शहर और जिलों में इन भ्रष्ट नेताओं के खिलाफ बड़े जन आंदोलन हों और राज्यपाल व केंद्र सरकार से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग हो और राज्य में पहले जैसी केंद्र शासित सरकार बने. ताकि राज्य में विकास हो, जनता को उनका बराबर हक मिल सके और राज्य में अमन, सुख और शांति बहाल हो सके. राज्य में सही समय पर फिर से चुनाव हो, जिसमें नए चेहरों, अच्छे पढ़े-लिखे, नेक इंसान, अच्छी सोच-विचार वाले और अपनी जिंदगी में जिन्होंने संघर्ष किया हो, उन्हें मौका मिले, जिससे राज्य की गरीब जनता का हित और विकास हो सके.