ayodhyaअयोध्या के लोगों को न राम मंदिर से कोई लेना-देना है और न बाबरी मस्जिद से. अयोध्या की सड़कों और गली-मोहल्लों में आप घूमें, तो किसी भी शख्स को राम मंदिर के बारे में फिक्र करता हुआ नहीं पाएंगे. किसी को कोई मतलब ही नहीं कि राजस्थान से दो ट्रक पत्थर आ गए कि चार ट्रक अथवा पत्थर तराशने के काम में पहले आठ कारीगर लगे थे और अब सोलह. खबरें तलाशने एवं तराशने का काम करने वाले अ़खबार नवीसों को आप कारसेवकपुरम्‌ में पत्थर तराशते कारीगरों से बतियाते या विश्व हिंदू परिषद के किसी सदस्य या फिर बाबरी मस्जिद मामले के पैरोकार हाशिम अंसारी के घर के आगे किसी से गुफ्तगू करते ज़रूर पाएंगे. अयोध्या का परिदृश्य यही है कि राम मंदिर या बाबरी मस्जिद के बारे में तमाम चिंताएं प्रकट करते वही नज़र आएंगे, जो मीडिया में हैं या फिर सियासत के किसी खाने में.

एक प्रोफेसर साहब हैं, सुधीर राय. पढ़ाते फैजाबाद के साकेत कॉलेज में हैं, लेकिन रहते अयोध्या में हैं. उनसे राम मंदिर के बारे में पूछा, तो उन्होंने कहा कि अयोध्या में कोई भी राजनीतिक दल अयोध्या के विकास के बारे में बात नहीं कर सकता, क्योंकि तंग गलियों एवं मंदिरों से अंटी पड़ी अयोध्या में विकास का कोई रास्ता ही नहीं बचा है. यहां के लोग धार्मिक नगरी का नागरिक होने के मनोवैज्ञानिक-आध्यात्मिक सुख के भाव-संसार में ही जीते रहने के आदी हो चुके हैं, उन्हें चौड़ी सड़कें, विकास के आधुनिक तौर-तरीके, बिजली-पानी की सुचारू व्यवस्था और योजनाबद्ध रिहाइश से कोई मतलब नहीं है. ग्रामीण परिवेश से आकर अयोध्या में बसे लोगों को बाहरी दुनिया से कोई मतलब नहीं और अयोध्या में विकास का कोई स्कोप भी नहीं.

नेताओं ने भी अयोध्या के लोगों में विकास की कोई समझ विकसित नहीं होने दी. नेताओं का धंधा राम मंदिर एवं बाबरी मस्जिद से चलता रहा और स्थानीय लोगों का काम पूजा-अर्चना से. प्रोफेसर सुधीर राय की बातें ही अयोध्या का सच हैं. पेशे से चिकित्सक डॉ. मुहम्मद सरफे आलम कहते हैं, आप पूरी अयोध्या घूम लें. मुस्लिम समुदाय में भी आपको अधिकतर लोग ऐसे मिलेंगे, जिनका बाबरी मस्जिद से कोई लेना-देना नहीं है. वे अपने रोज़ी-रा़ेजगार के लिए आपको अधिक चिंतित मिलेंगे.

आप उन्हीं लोगों को ऐसे काम में मुब्तिला पाएंगे, जिनके पास और कोई काम नहीं है, जिनके पास जाने-अनजाने धंधों से कमाया हुआ अनाप-शनाप पैसा है और उन पैसों के लिए उनके इर्द-गिर्द घूमने वाले गुर्गे हैं, जो बाबरी मस्जिद या राम मंदिर के नाम पर शोरगुल करते हैं, नारे लगाते हैं और इशारा मिलने पर धार्मिक माहौल बिगाड़ते हैं. इस सबके पीछे केवल सियासी इरादे हैं और कुछ नहीं. अयोध्या में राम मंदिर को लेकर सुगबुगाहट बिहार चुनाव के पहले से शुरू हो गई थी. विश्व हिंदू परिषद ने तक़रीबन छह महीने पहले ही अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए पत्थर तराशने का काम शुरू करने का ऐलान किया था.

बिहार चुनाव का परिणाम आने के बाद अलग-अलग परकोटों से राम मंदिर निर्माण के स्वर आने लगे. विहिप नेता अशोक सिंघल के निधन के बाद राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने राम मंदिर निर्माण के प्रति अपनी प्रतिबद्धता दोहराई. इस पर शिवसेना ने राम मंदिर निर्माण के लिए संघ और भाजपा पर तारीख बताने के लिए दबाव बढ़ाया. शिवसेना ने तो यह भी कह दिया कि राम मंदिर के निर्माण से नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता बढ़ेगी. सांसद विनय कटियार ने राम मंदिर निर्माण के लिए मुसलमानों से मदद की अपील कर डाली.

संघ प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर फौरन ही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूछ लिया कि तारीख बताएं, मंदिर कब बनेगा? कांग्रेस ने कहा कि भाजपा अपने राजनीतिक फायदे के लिए एक बार फिर राम का नाम इस्तेमाल कर रही है. समाजवादी पार्टी भी इसका मुस्लिम पक्ष संभालने में लग गई. सपा के वरिष्ठ नेता शिवपाल सिंह यादव बोले कि अयोध्या में कोर्ट का स्टे ऑर्डर लागू है, वहां पत्थर लाने का भी अधिकार किसी को नहीं है. मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है.

यदि कोई भी क़ानून का उल्लंघन करते हुए ऐसा काम करेगा, तो उसके खिला़फ कार्रवाई होगी. बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी के संयोजक एवं प्रदेश के अपर महाधिवक्ता जफरयाब जिलानी ने कहा कि वर्ष 2002 के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के मुताबिक, विवादित 67 एकड़ ज़मीन पर किसी भी धार्मिक गतिविधि पर रोक है और वहां कोई भी सामान रखने पर मनाही है. राजस्थान से पत्थर मंगाने की बात पर जिलानी ने कहा कि यह केवल राजनीतिक फायदा उठाने की कोशिश है. समाजवादी पार्टी की सरकार सुप्रीम कोर्ट का आदेश मानने का दायित्व समझती है, इसलिए वह विवादित परिसर में कोई भी गतिविधि नहीं होने देगी.

मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी फौरन प्रमुख सचिव (गृह) देवाशीष पांडा से रिपोर्ट मांगी और ताकीद की कि सांप्रदायिक माहौल न बिगड़े. अखिलेश ने सोशल मीडिया पर भी नज़र रखने की हिदायत दी, ताकि अयोध्या विवाद को लेकर किसी भी प्रकार के भ्रामक संदेश लोगों के बीच वायरल न होने पाएं. मुख्यमंत्री ने कहा कि अयोध्या का मामला सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन है, लिहाजा सरकार संविधान और क़ानून के तहत काम करेगी.

उन्होंने पत्रकारों से भी सोच-समझ कर अपना दायित्व निभाने की अपील कर डाली. इसके बाद तो सियासी माहौल बनता गया और राजनीतिक दल जो चाहते थे, सारी नौटंकियां उसी के अनुरूप होने लगीं. एक तऱफ मंदिर के लिए पत्थर कटने लगे, तो दूसरी तऱफ मस्जिद के लिए पत्थर काटने की तैयारियां होने लगीं. 20 दिसंबर को राजस्थानी पत्थरों से लदे दो ट्रक अयोध्या पहुंचे और 2017 के विधानसभा चुनाव की आधारशिला रखी जाने लगी.

विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने आधिकारिक तौर पर बताया कि राम जन्मभूमि न्यास के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने बाकायदा शिलापूजन किया. महंत नृत्य गोपाल दास ने दावा भी ठोंक दिया कि मोदी सरकार मंदिर निर्माण के लिए सहमत है, लेकिन वह यह भी बोले कि केंद्र सरकार की ओर से मंदिर निर्माण की स्वीकृति नहीं मिली है. उन्होंने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर निर्माण करने का वक्त आ गया है, अब पत्थरों के आने का सिलसिला जारी रहेगा. पहली खेप में राजस्थान के भरतपुर से क़रीब 15 टन पत्थर अयोध्या पहुंचे. बाद में दूसरी खेप भी पहुंची.

पत्थर तराशने वाले कारीगरों की संख्या भी बढ़ाई गई. विहिप प्रवक्ता के अनुसार, अभी क़रीब 75 हज़ार घनफुट पत्थर और आएंगे. ये पत्थर दानदाताओं की ओर से राम जन्मभूमि न्यास को दान किए गए हैं. महंत नृत्य गोपाल दास ने कहा कि मामला भले ही सुप्रीम कोर्ट में है, लेकिन उन्हें विश्वास है कि निर्णय हिंदू समाज के पक्ष में ही आएगा. 

फिर ओवैसी क्यों चुप रहते!
मंदिर-मस्जिद सियासत के गर्म तवे पर अपनी चपाती सेंकते हुए ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि अयोध्या में राम मंदिर नहीं, बल्कि बाबरी मस्जिद बनकर रहेगी और मोहन भागवत का सपना कभी पूरा नहीं होगा. ओवैसी ने केंद्र सरकार से अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण के लिए विश्व हिंदू परिषद द्वारा वहां पत्थर एवं खंभे लाए जाने के काम पर रोक लगाने का अनुरोध किया और कहा कि सर्वोच्च न्यायालय का अंतिम फैसला आने तक किसी भी गतिविधि को मंजूरी नहीं दी जा सकती. ओवैसी ने कहा कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार को पत्थर जब्त कर लेने चाहिए थे, लेकिन ऐसा लगता है कि वहां नूरा-कुश्ती चल रही है. 

राम मंदिर का मसला नाकामी छिपाने का बहाना

सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान ने कहा कि भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है. केंद्र सरकार की नाकामी छिपाने के लिए राम मंदिर का मुद्दा उठाया जा रहा है. यह मामला न्यायालय में विचाराधीन है और सभी को न्यायालय के ़फैसले का इंतजार करना चाहिए. अगर हालात खराब करने की कोशिश की गई, तो देश को ऩुकसान पहुंचेगा. अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए राजस्थान से पत्थरों की खेप पहुंचने के सवाल पर आजम खान ने कहा कि अयोध्या में श्रीराम के कई मंदिर हैं, कई महंत भी हैं. सभी अपने-अपने मंदिर को असली मंदिर बताते हैं. हमें इस झगड़े में नहीं पड़ना है. पूर्व प्रधानमंत्री पीवी नरसिम्हाराव और संघ के समझौते से वहां पर चबूतरे का निर्माण हुआ था.

पूजा वहां भी होती है. आजम ने कहा कि महंगाई, भ्रष्टाचार, बेरोज़गारी एवं लूटमार जैसी समस्याएं जस की तस बरकरार हैं. भाजपा ने चुनाव के दौरान जो वादे किए थे, अब जनता उनका हिसाब मांग रही है. इसलिए जनता का ध्यान मुख्य मुद्दों से हटाने के लिए राम मंदिर का मुद्दा उठाया जा रहा है. आजम ने यह भी कहा कि भाजपा बाबरी मस्जिद बनवा दे, तो मुसलमान बार-बार भाजपा की सरकार बनवाएंगे. अगर संघ देश में अपनी सहयोगी पार्टी भाजपा की सरकार आगे भी चाहता है, तो उसे केवल यह एक छोटा-सा काम करना होगा. 

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