solarचुनावी समय में घोषणाएं करने में कई बार नेता भूल जाते हैं कि वो ऐसी घोषणा पहले भी कर चुके हैं और वो फलॉप भी हो चुकी है. ऐसा ही कुछ हुआ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ. उन्‍होंने घोषणा की कि अब हमारे किसान मात्र अन्नदाता नहीं रहेंगे, वे ऊर्जादाता भी बनेंगे.

यानि कि किसान खेत में से सिर्फ अनाज ही नहीं उगाएगा, लेकिन खेत पर सोलर पैनल लगाकर ऊर्जा की यानि बिजली भी पैदा करेगा. इसीलिए उसे ऊर्जादाता भी कहा जाएगा. प्रधानमंत्री वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग द्वारा उत्तर प्रदेश में आयोजित प्रथम कृषि कुंभ को सम्बोधित कर रहे थे. प्रधानमंत्री ने गुजरात के गांव का हवाला देते हुए कहा कि गुजरात में एक ऐसा गांव है, जहां किसान बिजली भी उत्पादन करता है.

जितनी बिजली उसको चाहिए वो लेने के बाद वो बिजली बाहर बेचता है. जिससे पचास हजार रुपए साल की उसकी इनकम होती है. उन्होंने कहा कि 25 लाख सोलर पैनल लगाने की योजना सरकार ने लागू की है. उन्होंने कहा कि खेत में जो बिजली पैदा होती है, उससे डीजल और पेट्रोल से चलने वाले पंपों को सोलर पंपों में कनवर्ट कर दिया जाएगा. सोलर एनर्जी से भी अब पंप चलने लगे हैं.

जबकि असलियत ये है कि हमारे प्रधानमंत्री जब गुजरात में मुख्यमंत्री थे, तब भी उन्होंने ऐसी ही एक योजना शुरू की थी. लेकिन बाद में जिस रेट में गुजरात सरकार बिजली खरीद रही थी, उससे एक चौथाई रेट बाद में रह गया. इसलिए बहुत सारे लोग जो इसमें मुनाफा कमाने के लिए आए थे वो घाटे में चले गए.

हमारे देश में सूरज बहुत गर्मी उगलता है. लेकिन मात्र गर्मी के कारण ही सौर ऊर्जा पैदा नहीं हो सकती. उसमें कई फैक्टर्स हैं, उसमें देखा जाता है कि वहां धूप की इंटेंसिटी कितनी है. क्या वो जगह इस लायक है कि सोलर एनर्जी पैदा हो सकेगी. विभिन्न सर्वे के बाद यह तय होता है कि एक क्षेत्र ऐसा है, जहां अच्छी सोलर एनर्जी पैदा हो सकती है.

लेकिन हर किसान को यदि सोलर पैनल लगाने के लिए बोला जाएगा, तो ये प्रोजेक्ट फेल भी हो सकता है. हमारे देश में जो सोलर पंप हैं, वो सोलर एनर्जी की वजह से नहीं हैं, बल्कि उनकी डिजाइन ही ऐसी है कि वो खुद सोलर एनर्जी से बिजली पैदा करते हैं और चलते हैं.

इसलिए ये कहना बड़ा अजीब सा लगा कि किसान अपने खेत पर सौर पैनल लगाकर बिजली उत्पादन करता है और फिर उस बिजली से पंप चलाता है. बिजली के पंप स्वयं चलते हैं. सोलर एनर्जी के पंप स्वयं ही चलते हैं. ऐसी कई विसंगतियां हैं, जो इस भाषण में थीं, जैसे हमेशा होती हैं. लेकिन जितनी सहजता से उन्होंने कहा कि अन्नदाता ऊर्जादाता होगा उतनी सहज ये बात होगी नहीं.

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