CHIRAG-SITAMARHI2आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों ने तैयारियां शुरू कर दी हैं. दलगत जिला सम्मेलनों के अलावा अन्य कार्यक्रमों के माध्यम से वोटों की जातिगत गोलबंदी की कवायद भी शुरू हो गई है. कोई पार्टी हित में कार्यकर्ताओं से कार्य करने की अपील करने में लगा है, तो कोई महापुरुषों को जातीय बंधन में जकड़ कर अपना चुनावी राह आसान करने की फिराक में है. वही दूसरी ओर कुछ पार्टियों की नजर युवा व महिलाओं पर टिकी है, जो युवा हित की बात कर अपने दल के राजनीतिक भविष्य को मजबूत करने में लगे हैं. भारत-नेपाल सीमा पर अवस्थित उत्तर बिहार के सीतामढ़ी जिले में कुछ ऐसी ही सियासी बिसातें बिछने लगी हैं.

12 नवंबर को राजेंद्र भवन में लोजपा का कार्यकर्ता सम्मेलन में आयोजित हुआ. इस मौके पर पार्टी के केंद्रीय संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष सह जमुई सांसद चिराग पासवान ने बिहार की राजनीति में युवाओं की भागीदारी की बात कही. उन्होंने कहा कि विकसित बिहार के सपने को पूरा करने की जिम्मेदारी युवाओं की है. युवाओं को सोचना होगा कि बिहार पिछडा क्यों है और इसके जिम्मेदार कौन-कौन हैं. उन्होंने कहा कि हमें राज्य को पिछड़ा बनाने के लिए जिम्मेदार नेताओं की पहचान करनी है और उन्हें सबक सिखाना है. चिराग पासवान ने कहा कि बेरोजगारी की समस्या को लेकर हमने वित्त मंत्री अरुण जेटली से मुलाकात की थी.

हमने राष्ट्रीय युवा आयोग का गठन करने की मांग की है. चिराग पासवान ने कहा कि नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में पुन: एनडीए की सरकार बनाना लोजपा का लक्ष्य है. कार्यकर्ताओं को अभी से 2019 के लोकसभा चुनाव की तैयारी में जुट जाना चाहिए. इस मौके पर युवा सांसद ने प्रधानमंत्री की खूब तारीफ की. उन्होंने कहा कि नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं, जिन्होंने महिलाओं के स्वास्थ्य की चिंता की और इसके लिए उज्जवला योजना को लागू किया. राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद पर निशाना साधते हुए उन्होंने कहा कि बिहार की जनता जब बाढ़ से कराह रही थी, तो वे पटना में महारैली करने में मशगुल थे. हम हर कदम पर जनता के साथ खड़े हैं.

इधर रालोसपा का अरुण गुट भी अभी से सक्रिय हो गया है. 28 अक्टूबर को शहर के राजेंद्र भवन में रालोसपा के अरुण गुट का कार्यकर्ता सम्मेलन आयोजित किया गया था. इस कार्यक्रम में जहानाबाद के सांसद अरुण कुमार सिंह ने कार्यकर्ताओं से पार्टी हित में बेहतर कार्य करने की अपील की. इस सम्मेलन में चिनारी विधायक ललन पासवान, विनोद कुमार निषाद, राम पुकार सिन्हा, दिनकर नारायण सिंह व प्रवीण कुमार शाही समेत कई नेताओं की मौजूदगी रही.

सिर्फ राजनीतिक दल ही नहीं, आम लोग भी जातिगत संगठनों के बैनर तले लोकसभा चुनाव के मद्देनजर अपनी मांग बुलंद करने लगे हैं. लौह पुरुष सरदार बल्लभ भाई पटेल की 142वीं जयंती के उपलक्ष्य में स्थानीय श्री राधा कृष्ण गोयनका कॉलेज के क्रीडा मैदान में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया. आयोजित कार्यक्रम में खासतौर से पटेल बिरादरी के लोगों की भागीदारी ज्यादा रही. इसमें सीतामढ़ी के अलावा अन्य जिलों के पटेल समाज के नेता व कार्यकर्ताओं ने शिरकत की. कार्यक्रम में बतौर मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद आरसीपी सिंह आमंत्रित थे. विधायक डॉ रंजू गीता, उमेश कुशवाहा, पूर्व सांसद नवल किशोर राय, राणा रंधीर सिंह चौहान, देवेंद्र साह, नागेंद्र प्रसाद सिंह, राम अशीष पटेल, पप्पू पटेल, राज कुमार पटेल, रामजी मंडल, बबलू मंडल, किरण गुप्ता समेत अन्य नेता भी इस मौके पर मौजूद थे. कार्यक्रम के दौरान पटेल सेवा संघ नामक संगठन से जुड़े कार्यकर्ताओं ने अपने समुदाय को बिहार की राजनीति में समुचित भागीदारी नहीं मिलने को लेकर रोष व्यक्त किया. इस मौके पर बेलसंड विधायक प्रतिनिधि राणा रणधीर सिंह चौहान ने तीन प्रखंड बेलसंड, तरियानी व परसौनी में लौहपुरुष के नाम पर चौक के नामकरण के साथ ही पटेल छात्रावास निर्माण हेतू विधायक कोष से राशि दिलाने की घोषणा की. वहीं पूर्व सांसद नवल किशोर राय ने भी अपना एक माह का अपना पेंशन लौहपुरुष के आदमकद प्रतिमा निर्माण हेतू देने की घोषणा की.

कुल मिलाकर देखा जाए, तो सीतामढ़ी जिले में आगामी चुनावी संग्राम को लेकर राजनीतिक स्तर पर झंडा बुलंद होने लगा है. एक तरफ जमीनी स्तर पर शराबबंदी, बाल विवाह पर रोक व दहेज उन्मूलन को लेकर राज्य सरकार के कदमों पर चर्चा है, वहीं दूसरी तरफ केंद्र सरकार की नोटबंदी व जीएसटी भी लोगों पर असर डाल रहा है. चौक- चौराहों से लेकर गांव की गालियों तक राजनीति की चर्चा के साथ ही वोटों की जातीय गोलबंदी की कवायद भी जोर पकड़ने लगी है. वैसे चुनाव में काफी वक्त है, लेकिन सम्भावित प्रत्याशियों की बेचैनी अभी से शुरू हो गई है. बिहार की सरकार में गठबंधन के समीकरण बदलने के बाद से नेताओं में और भी बेचैनी बढ़ गई है, क्योंकि पिछली बार गठबंधन सहयोगी रहे दल इस बार विरोधी हैं. उनके साझा उम्मीदवार और भी चिंतित हैं. राजनीतिक दलों का शीर्ष नेतृत्व सम्भावित प्रत्याशियों को किस तराजू पर तौलने की तैयारी में है, इसे लेकर भी चर्चा जारी है.

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