साहिर लुधियानवी का एक गीत अक्सर याद आता है ,
तू हिन्दू बनेगा , न मुसलमान बनेगा ,
इंसान की औलाद है , इंसान बनेगा ।

यह बेहतरीन गीत प्रेरक है ।इस गीत में महान संदेश है ।यह गीत अमन ,भाईचारा और सहिष्णुता का आव्हान करता है और सांप्रदायिक ,फासीवादी ताकतों को सवालों के कठघरे में खड़ा करता है ।
यह गीत प्रत्येक बच्चे और नई पीढ़ी के साथियों को सुनना चाहिए ।
साहिर लुधियानवी के जन्म शताब्दी वर्ष में यह सार्थक श्रद्धांजलि होगी ।

इस समय घर घर में सांप्रदायिक ताकतों द्वारा बच्चों के मन में नफ़रत का जो ज़हर भरा जा रहा है वह अत्यंत चिंताजनक है ।फासीवादी ताकतें अपने राजनीतिक स्वार्थ के लिए बच्चों की मासूमियत को भी रौंद रही हैं ।बच्चों से उनका बचपना छीनकर उन्हें कट्टरपंथी , नफ़रत ,आतंक और हिंसा का मानव बम बनाया जा रहा है ।यह चिंताजनक है ।इसे रोकना चाहिए ।

माता पिता का दायित्व है बच्चों को सांप्रदायिकता ,कट्टरपंथ ,नफरत की राजनीति से बचाएं ।उन्हें अमन ,प्यार और भाईचारे से भरपूर दुनिया देना चाहिए । तर्क संगत विचारों और प्रगतिशील मूल्यों के जन शिक्षण से यह संभव है ।

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