साथियों यह ओरिजिनल मजमून ‘आर. एस. एस. का असली चेहरा’शिर्षक से जे. ए. करन (जूनियर) की लिखी हुई किताब को राजनारायण उर्फ नेताजी ने लिखि हुई भुमिका, कुछ सुधार कर के दे रहा हूँ ! यह कौमी एकता द्वारा प्रकाशित किताब है ! और यह राजनारायणजीने जब जनता पार्टी में सब से पहले दोहरी सदस्यता की बात उठाई थी ! उसके बाद मोरारजी देसाई ने उन्हें अपने मंत्रिमंडल से बर्खास्त कर दिया था ! उसके बाद राजनारायणजीने संघ के खिलाफ मुहिम छेड दि थी यह किताब उसी मुहिम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है !


राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की स्थापना 1925 को डॉ. केशव बलिराम हेडगेवार और उनके कुछ हिंदूत्ववादी सहयोगियों ने नागपुर के मोहितेवाडा में दस-पंद्रह लोगों को लेकर शुरू किया था ! डॉ. हेडगेवार एल. एम. एस. डॉक्टर थे ! वह अपने जीवन के शुरुआती दौर में कांग्रेस में थे ! और उन्होंने बाद में कांग्रेस का त्याग करते हुए, स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल नही होने की कसम खा ली थी ! इसलिए 1947 तक, जबकि संघ की स्थापना होकर 22 साल होने के बावजूद ! संघ ने इन बाईस सालों में 1930 का असहकार आंदोलन, 1942 का भारत छोडो आंदोलन, में हिस्सा लेने के बजाय, अंग्रेजो की सेना तथा पुलिस में भर्ती कराने के लिए विशेष रूप से काम किया है !


संघ की स्थापना के तुरंत बाद, नागपुर हिंदू – मुस्लिम दंगों का केंद्र बन गया ! अनेक बेगुनाह हिंदू – मुस्लिम इन दंगों में मारे गए ! लेकिन दंगे भडकाने वाले इन दंगों में मारे गए हो यह आजतक सुनाई नहीं दिया ! अंग्रेज हिंदू – मुसलमानों में फूट डालकर राज करना चाहते थे ! संघ अंग्रेजो की मदद करते हुए महात्मा गाँधी जी के द्वारा चलाए जा रहे स्वतंत्रता आंदोलन का विरोध करने का काम करते रहा !


30 जनवरी 1948 के दिन महात्मा गाँधी जी की हत्या करने वाला नाथूराम गोडसे, संघ का सदस्य था ! यह नाथूराम के छोटे भाई गोपाल गोडसे भी कहते थे !
संघ का उद्देश्य हिंदुराष्ट्र की स्थापना करना और हिंदूत्व ही राष्ट्रीयत्व है ! यही संघ की मान्यता रही है ! जबकि भारतीय संविधान धर्म – निरपेक्षता के उपर आधारित है !
संघ पेशवाओ के भगवा ध्वज को राष्ट्रीयध्वज कहता है ! जबकि 1949 में भारत सरकार को राष्ट्रीयध्वज तिरंगा झंडा के प्रति वफादारी का संघ ने शपथ के साथ आश्वासन दिया था ! गृहमंत्रालय की फाईलों में इसका स्पष्ट उल्लेख है !
संघी संविधान ‘एक चालकानुवर्तित्व’ अर्थात एकाधिकारशाही के सिध्दांत के उपर आधारित है ! इसलिए संघ में चुनाव नही होता है ! और सबसे हैरानी वाली बात संघ अपने संघठन को सांस्कृतिक संघठन कहते रहता है ! लेकिन 6 मार्च 1978 को नागपुर के जिला जज की अदालत में संघी नेताओं ने यह लिखित बयान में कहा है कि “उनकी गतिविधियां राजनीतिक है ! अर्थात संघ पूरी तरह से एक सांप्रदायिक राजनीतिक दल है ! उनके कोर्ट में दिए गए बयान के अनुसार उनकी संस्कृति की परिभाषा में राजनीतिक, आर्थिक और धार्मिक व्यवस्थाओं का समावेश है ! मुंबई के जॉइंट चॅरिटी कमिशनर ने संघ को सांस्कृतिक संस्था मानते हुए पंजिकरण करने का आदेश दिया है ! संघ के नेता इस आदेश के खिलाफ अदालत में गए थे !


क्योंकि धर्म-परायण लोगों की श्रध्दा का फायदा उठाकर, गुरुदक्षिणा के नाम पर इकट्ठा पैसों की जांच-पड़ताल नही हो ! आखिर क्यों ? गुरुदक्षिणा के नाम पर करोड़ों रुपये का हिसाब – किताब करने के लिए संघ को आपत्ति क्यों हो रही है ? आखिरकार जनता से लिया हुआ गुरुदक्षिणा के नाम पर हजारों करोड़ रुपये का पैसा संघ किस काम में खर्च करता है ? इस धन का इस्तेमाल कौन-से राष्ट्रनिर्माण के कार्य में खर्च हो रहा है ?
अपने अदालती बयान में कहा है कि संघ हिंदूओं की संस्था है ! संघीयो की दृष्टि में हिंदू वह है, जिसका धर्म या संप्रदाय भारत में पैदा हुआ हो ! तो फिर मुसलमान और ईसाइयों तथा पारसियों ने कहा जाना चाहिए ? क्या यह भारत के नागरिक नहीं है ?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ वर्णाश्रम व्यवस्था पर विश्वास करता है ! और उसके बावजूद वह दलित, महिला, पिछड़े तथा आदिवासियों को भरमाते हुए, आदिवासी को वनवासी कहना शुरू किया है ! और दलितों – पिछड़े वर्ग के लोगों को समरसता मंच और दुसरे तरफ गुरु गोलवलकर ने कहा है कि “सरकारों के तरफ से दलित, आदिवासियों को जो विशेष सुविधा दी जाती है यह छीन लेनी चाहिए ! ”
आपातकाल के दौरान संघ के सर्वोच्च पदाधिकारी संघ प्रमुख बालासाहब देवरस ने कांग्रेस के बीस सुत्री कार्यक्रम का समर्थन करते हुए, इंदिरा गाँधी को येरवडा जेल से पत्र लिख कर, बीस सुत्री कार्यक्रम को अपने संघठन के तरफ से समर्थन देने से लेकर, जयप्रकाश नारायण के आंदोलन की आलोचना करने तथा माफीनामा की बातें लिखी हैं ! और उसी तरह आचार्य विनोबा भावे को भी गिड़गिड़ाते हुए, इंदिरा गाँधी जी को समझाने के लिए लिखा गया है ! और यह सभी पत्र महाराष्ट्र सरकार की फाइल्स मे मौजूद हैं ! आपातकाल के दौरान बहुत सारे संघ के लोगों ने माफीनामा पर हस्ताक्षर कर के दिए हैं !


अंत में पाठकों की जानकारी के लिए, महात्मा गांधी, सरदार पटेल, पंडित जवाहरलाल नेहरू, जयप्रकाश नारायण और डॉ. राममनोहर लोहिया ने संघ के बारे में क्या कहा था ? यह भी दे रहा हूँ ! गांधी जी ने कहा कि ” ‘ब्लेक शर्ट्स ‘नाजी और फासिस्ट है ! बिल्कुल हिटलर के अनुयायियों के जैसे ही हैं !”


सरदार पटेल ने कहा कि “राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ हिंदू राष्ट्र का नारा तो देता है ! लेकिन यह हिंदुराष्ट्र के नाम पर पेशवाई कायम करना चाहते हैं ”
जयप्रकाश नारायण ने कहा कि ” इनकी तमाम कार्रवाईयों को देखते हुए, इन पर बॅन लगाने की मांग की है ! कांग्रेस सरकार के मंत्री इनके कार्यक्रमों नही जाते तो देश आज महात्मा गाँधी जी के नेतृत्व से वंचित नहीं होता ! ”


डॉ. राममनोहर लोहिया और कमलादेवी चटोपाध्याय ने बहुत ही कडे शब्दों में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की भर्त्सना करते हुए, सरदार पटेल की राय का समर्थन करते हुए ! सरदार वल्लभभाई पटेल के गृह विभाग ने यहाँ तक कहा है कि, आर. एस . एस. के लोगो ने मुल्क में छ लाख से अधिक स्वयंसेवक तैयार किए हैं ! और महात्मा गाँधी जी की हत्या करने के बाद पंडित जवाहरलाल नेहरू और अन्य नेताओं की हत्या कर के, राष्ट्र में आतंक पैदा कर के सत्ता अपने हाथ में लेना चाहते थे ! गांधी जी ने तो यहां तक कहाँ की मै श्री. गोलवलकरसे से तीन बार मिलने के बाद ही इस मत का हो गया हूँ! कि आर. एस. एस. के नेता कभी सत्य नहीं बोलते ! इनकी बोली मिठी होती है ! किंतु यह काम वहीं करते हैं जिसे यह पहले से तय किए होते हैं !


अतः मैं देश वासियों से अपिल करता हूँ कि वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के जाल बट्टा से बचे ! देश में लोकतंत्र, धर्म निरपेक्षता, और सर्वधर्म समभाव, राष्ट्रीयता, सभ्यता, स्वतंत्रता और समृद्धि का समाज बनाने के लिए राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को शक्ति शून्य करने के काम में शांति पूर्ण ढंग से लग जाय, और राष्ट्र के बच्चों तथा प्रत्येक नागरिक को सारी बातों से अवगत कराकर, देश को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के मकड़जाल से बचावे !

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