जबसे शाहबानो का तलाक का मसला और बाबरी मस्जिद राम जन्मभूमि विवाद को ! ( 1985-86 ) धार्मिक मुलत्ववादीयोने ने तुल दिया ! उसके बाद से अल्पसंख्यक समुदायों में पहचान की समस्या खड़ी हुई है ! और उसी कारण से पुरुषों मे दाढी गोल टोपी पांच बार नमाज – रोजे इत्यादि कर्मकांड ज्यादा मात्रा में शुरू हुए हैं ! और औरतों में हिजाब, बुर्का पहनकर चलने की संख्या मे इजाफा हुआ हैं !


कल दोपहर के एक बजे के आसपास, मैं कोल्हापुर से नागपुर की ट्रेन में बैठा हूँ ! कोल्हापूर के बाद मिरज स्टेशन से मेरे सामने वाले बर्थ पर सव्वा तीन पैसेंजर आए ! जो रात दो बजे परभणी स्टेशन उतर गए हैं ! सव्वा तीन शब्द इसलिए कि एक छोटा बच्चा था ! और दो तरुण महिलाएं ! और एक पुरुष ,
महिलाओं ने काफ़ी फेशनेबल बुर्के पहने हुए थे ! दोनों बहनें थीं ! छोटी बहन आयुर्वेद की डाक्टर थीं ! और बड़ी एनेस्थेशिया की डॉक्टर ! दोपहर दो बजे ट्रेन में चढने के बाद बर्थपर, एक बर्थकीही साईजकी चटई जैसे कपडे को बिछाकर नमाज अदा कीया ! और गाडीसे उतरने के पहले चारों बार यह क्रिया एनेस्थेशिया की पढ़ाई की हुईं महिला ने किया ! दुसरी आयुर्वेद वाली ने नहीं किया ! लेकिन वह एनेस्थेशियन और इंजीनियरिंग की पढाई किया हुआ युवा ने भी कीया था !
उसके पहले कोल्हापूर के बसस्टॅण्डसे स्टेशन पैदल आते वक्त, रोडसाईड के एक वडापाव के स्टॉल पर, ठहरने के बाद देखा कि पच्चीस – तीस साल का युवक जो कि वडापाव का ठेला का मालिक था ! तीन केसरिया रंग के टिके लगाया हुआ था ! वैसे ही कलसे आज तक ट्रेन में स्थानीय चाय भेल इत्यादि चिजे बेचने के लिए जितने भी आए उनमेसे ज्यादातर विक्रेता लाल टिके लगाएं हुए थे !
यह सब देखकर मेरे मन में आया कि अंधश्रध्दा निर्मूलन समिती या वैज्ञानिक सोच के लिए, विज्ञानाभिमुकता जैसे मुल्यो की कोशिश करने के बावजूद ! कमअधिक प्रमाण में, भारत के सभी प्रदेशों में यह आलम पहले की तुलना में अधिक मात्रा में जारी है !
संघके लोगों की भारत विश्वगुरु बनेगा कि रट ! और यह धार्मिक कर्मकांड करने वाले लोगों की बढ़ती हुई संख्या ही विश्वगुरु का हरावल दस्ता है ? इन लोगों के विश्वगुरु की संकल्पना में, सभी लोगो ने अवैज्ञानिक सोच अपनाकर इस तरह के कर्मकांड करना होगा तो समस्त विश्व का क्या होगा ?
भारत में गत सौ सालों से इनकी कोशिश चल रही है ! और आज भारत में सभी प्रकार के धार्मिक फुहडपन के लिए यही लोग जिम्मेदार है ! कोरोना के समय जब देश का प्रधानमंत्री खुद थालीया बजाने जैसे बचकानी हरकत करने के लिए लोगों को अपिल करता है ! तो ऐसे देश में और क्या होगा ?


22 जनवरी 2024 को राममंदिर के तथाकथित प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के दौरान भी, प्रधानमंत्री ने देश के लोगों को घरों पर भगवा झंडा फहराने, तथा रामरथ के जुलूस और राम नाम को लेकर डीजे के उपर बजाए गए विभिन्न गानों ने बिमार विभिन्न परिक्षाओं की तैयारी करने वाले विद्यार्थियों तथा दुधपिते बच्चों की निंद हराम कर दी थी ! और यह सिलसिला लगातार जारी है ! शायद लोकसभा चुनाव में चार सौ का आकडा राम के भरोसे ही पूरा करने की कोशिश है !
जिस देश में एक तरफ मंगलयान अभियान के साथ, वही वैज्ञानिक तिरूपति के मंदिर में मंगलयान की प्रतिकृति भेट चढाने के लिए जाते हैं ! तो मंगल या चांद सुरज जैसे ग्रहों पर इतना खर्च कर के यान भेजने का क्या मतलब ? इसलिए हमारे देश से अंधश्रद्धा निर्मूलन कैसे संभव हो सकेगा ?


रामदेव जैसे फ्रॉड बाबा कोरोना से लेकर कैंसर जैसी बीमारियों को ठीक करने के विज्ञापन लगातार दिऐ जा रहा ! लेकिन सरकारी विभागों ने आंखें मूंद ली है ! क्योंकि रामदेव ने अपने देशभर के पतंजलि के एजेंट को भाजपा के चुनाव प्रचार- प्रसार करने के काम में जो लगा दिया है ! तो इंडियन मेडिकल असोसिएशन ने सर्वोच्च न्यायालय के दरवाजे खटखटाने के बाद, सर्वोच्च न्यायालय के सामने जाकर रामदेव सिर्फ झुठमुठ की माफी मांग कर भागना चाहता है ! तो सर्वोच्च न्यायालय ने और कडा रुख अपनाने का ऐलान किया है !
लेकिन विरोधियों के खिलाफ कार्रवाई करने वाले सत्ताधारी दल को, रामदेव जैसे शेकडो भगवा कफनी पहनकर, तथाकथित हिंदुत्व की आड में भाजपा के प्रचार-प्रसार के लिए काम करने की वजह से ! इनके गैर कानूनी गैरव्यवहार सत्ताधारी दल जानबूझकर अनदेखा कर दे रहा है !
भ्रष्टाचार के मामले में अगर कोई व्यक्ति विरोधी दल का है, तो तुरंत कार्रवाई लेकिन वही भ्रष्टाचारियों ने भाजपा को जॉइन कर लिया, या एनडीए के तरफसे हो गया ! तो किसी को आसाम का मुखमंत्री से लेकर किसी को महाराष्ट्र का उपमुख्यमंत्री या किसी समय विमान खरेदी घोटाला करने वाले प्रफुल्ल पटेल ने एनडीए जॉइन किया ! तो सीबीआई ने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई सिर्फ रोकने का काम नहीं किया पूरी केस ही बंद कर दी है !


मतलब भ्रष्टाचार के खिलाफ चल रही कार्रवाई सिर्फ विरोधी दलों की ताकद को तोड़ने के लिए चल रही है ! वहीं भ्रष्टाचारियों ने भाजपा को जॉइन कर लिया या एनडीए के समर्थन में जाते ही उनके खिलाफ चल रही कार्रवाई को रोकने के उदाहरण 95% हैं !
25 नेताओं के खिलाफ कार्रवाई चल रही थी ! उनमें से 23 ने भाजपा को जॉइन कर लिया तो तीनों की केसेस बंद कर दी गई ! और बीस के खिलाफ चल रही कार्रवाई को रोक दिया गया है ! ऐन चुनाव के मौके पर दो मुख्यमंत्रियों को गिरफ्तार करने की कृति किस बात का प्रतीक है ? भाजपा लोकसभा में अपने सदस्यों की संख्या बढाने के लिए सिनेमा के लोगों से लेकर न्यायाधीशों को इस्तीफा दिलाने के बाद तुरंत भाजपा में शामिल करने से लेकर उन्हें लोकसभा चुनाव में टिकट देने की कृतियों को देखकर लगता है कि भाजपा भले ही अपने आपको पार्टी वुईथ डिफरंस बोलते रहे ! लेकिन है पूरी पाखंडीओ की पार्टी !

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