अपने प्रेरणास्पद शिक्षकों को याद करना हमेशा सुखद अनुभूति दायक होता है ।उनकी यादें अब भी मार्ग दर्शक साबित होती हैं । मेरी प्रथम गुरु तो मेरी मां ही थीं ।वे शिक्षिका थीं ।सबसे पहले अक्षर ज्ञान तो उनसे ही मिला ।लेकिन इसके साथ ही जीवन की पाठ शाला में उन्होंने जो सीख दी थी ,वे सीखें मुझे आज भी अपनी मां की ही तरह संभालती हैं ।
मैने अपनी मम्मी इंद्रा सक्सेना जी से ईमानदारी ,कर्मठता और अपने दायित्व के प्रति समर्पण का पाठ सीखा ।वे श्रेष्ठतम मानवीय मूल्यों के विचार और स्वस्थ शरीर रखने की सीख देती थीं ।मेरी मां ने मुझे जीवन में हमेशा बीड़ी , सिगरेट ,तंबाकू ,शराब ,मांसाहार से परहेज करने की समझाइश दी थी ।वे कहती थीं कि स्वस्थ शरीर से ही हम अपने काम सहजता से कर सकते हैं। मैं महान लक्ष्यों के पथ पर बहु आयामी मोर्चों पर काम कर रहा हूं ।अभी भी शरीर स्वस्थ है । सौ साल जीना चाहता हूं , और अपनी मां की जरूरी समझाइश का पालन करता हूं।

मेरी मां ने मुझे धैर्य रखने और लोगों की भावनाओं को आहत नहीं करने की सीख दी थी। मेरी मां से ही मैंने सीखा था कि जिनसे मतभेद हैं उनसे भी सम्मानजनक भाषा में संवाद करना चाहिए ।धैर्य के साथ अपनी सही बात समझाने की कोशिश जारी रखना चाहिए। सभ्य भाषा कभी भी नहीं छोड़ना चाहिए ।सहज मानवीय संबंध भी सबसे कायम रखना चाहिए ।जिनसे मतभेद है ,उनसे भी कभी भी संबंधों में कटुता नहीं आना चाहिए । मां ने जो सिखाया था उसको सीखने की कोशिश अब भी जारी है ।सीखने की कोशिश की इस प्रक्रिया में कितनी ही बाधाएं स्वतः ही हटती गईं।

मेरे पापाजी शंकरलाल सक्सेना जी भी शिक्षक थे ।वे बेहद कर्मठ और जुझारू थे ।गरीबों और कमजोरों की मदद हेतु वे हमेशा अग्रणी रहते थे ।गरीब घरों के छात्रों को घर पर बुलाकर निः शुल्क पढ़ाते थे ।उनको आर्थिक मदद भी करते थे ।इस सीख से भी मेरी मानवीय मूल्यों के प्रति संवेदनशीलता विकसित हुई । जीवन की पाठ शाला में मेरे नानाजी मास्टर नाथू लाल सक्सेना जी,मेरे दादाजी राधे लाल सक्सेना जी ,मेरे मामाजी प्रेम प्रकाश सक्सेना जी ,बचपन में घर पर पढ़ाने आने वाले एक मौलवी साहब जी ,प्रोफेसर अक्षय कुमार जैन जी ,कॉमरेड बाल कृष्ण गुप्ता जी ,नुसरत बानो रूही जी ,कमला प्रसाद जी ,धनंजय वर्मा जी , भगवत रावत जी ,विनय दुबे जी ,रमाकांत श्रीवास्तव जी ,सुबोध श्रीवास्तव जी को मैने हमेशा एक शिक्षक के रूप में देखा ,समझा और साथ काम करते हुए इनसे सीखा है ।अपने इन प्रेरक शिक्षकों के बारे में मुझे विस्तार से लिखना है । और , फिर नई पीढ़ी भी मेरी शिक्षक है ।जिससे आज भी सीखता हूं ।

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