तालिबान और पंजशीर की लड़ाई से पहले अहमद मसूद ने वाशिंगटन पोस्ट में अपने एक आलेख में लिखा था-

” यदि तालिबान के सरदार हमला करते हैं तो उन्हें निश्चित रूप से हमारे कड़े प्रतिरोध का सामना करना पड़ेगा…फिर भी हम जानते हैं कि हमारा सैन्य बल और रसद इस लड़ाई के लिए पर्याप्त नहीं होगा। हमारे संसाधन तेजी से समाप्त हो जाएंगे, जब तक कि हमारे पश्चिमी मित्र बिना देर किए हमें सप्लाई पहुंचाने का कोई रास्ता न खोज लें।”

अहमद मसूद को पहले से ही पता था कि इस बार की लड़ाई उनके पिता अहमद शाह मसूद के समय में लड़े गए युद्धों से अलग है। उन्होंने बैकअप की भी मांग की थी। उनका मानना था कि तालिबान ने बड़े शहरों यहां तक कि पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया है। इससे पंजशीर की सप्लाई लाइन बाधित होगी और युद्ध में संतुलन नहीं बना रहेगा।

आखिरकार पंजशीर भी तालिबान के सामने हार गया। रेजिस्टेंस फोर्स के लड़ाकों ने तालिबान को कड़ी टक्कर दी लेकिन रविवार की लड़ाई के बाद तालिबान की जीत हो गई। तालिबान ने पंजशीर के गवर्नर हाउस में अपना झंडा भी लहरा दिया। अब पूरे अफगानिस्तान पर तालिबान का कब्जा हो गया है। तालिबान ने झंडा फहराते हुए वीडियो भी जारी किया। तालिबान के इस दावे के बाद रेजिस्टेंस फोर्स ने कहा है कि पंजशीर घाटी में जंग जारी रहेगी।

सरकार को सौंप दिए थे हथियार 
कुछ मीडिया रिपोर्ट्स का दावा है कि अहमद शाह मसूद के समय पंजशीर के लड़ाकों ने अपने हथियार सरकार को सौंप दिए थे। दरअसल, लड़ाकों ने अपने हथियार, गोला-बारूद सरकार के पास जमा करा दिया था। इसलिए, इस बार की लड़ाई में उनके पास पर्याप्त और आधुनिक हथियार नहीं थे। हालांकि, यह भी दावा किया जाता रहा है कि सरकार में पंजशीर के समर्थकों ने उन्हें हथियारों की सप्लाई जारी रखी। एक मीडिया रिपोर्ट्स के हवाले से अहमद मसूद ने कहा था कि हमारे पास पर्याप्त मात्रा में हथियार हैं। क्योंकि, हम जानते थे कि ऐसी परिस्थिति कभी भी आ सकती है।

वहीं, समा न्यूज ने बताया कि विद्रोही बलों और तालिबान के बीच गतिरोध के दौरान मारे गए जनरल वदूद पंजशीर में तालिबान का मुकाबला कर रहे नेता अहमद मसूद का भतीजा था। कुछ खबरों में यह दावा भी किया जा रहा है कि अमरुल्ला सालेह के घर पर हेलिकॉप्टर हमले के बाद वह किसी सुरक्षित स्थान पर चले गए हैं। अफगान रेजिस्टेंस फ्रंट के प्रवक्ता फहीम दस्ती की मौत की खबरों के बाद ये जानकारियां सामने आई हैं।

समा न्यूज ने अफगान रेजिस्टेंस फ्रंट के हवाले से कहा, “दुखद, अफगानिस्तान के नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ने आज दमन और आक्रामकता के खिलाफ विद्रोह में अपने दो साथियों को खो दिया। एनआरएफ के प्रवक्ता फहीम दश्ती और जनरल अब्दुल वदूद जारा शहीद हो गए हैं।” दश्ती जमीयत-ए-इस्लामी पार्टी के एक वरिष्ठ सदस्य और फेडरेशन ऑफ अफगान जर्नलिस्ट्स के सदस्य भी थे।

बता दें कि एक दिन पहले, अफगानिस्तान के उत्तरपूर्वी प्रांत पंजशीर में विद्रोही गुट के नेता अहमद मसूद ने कहा था कि तालिबान के पंजशीर छोड़ने पर रेजिस्टेंस फोर्स लड़ाई बंद करने और बातचीत शुरू करने के लिए तैयार है।

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