उन्नीस महीनों के बाद मैं अक्तूबर से घर के बाहर निकल कर घुम रहा हूँ ! और यह सवाल मुझे मुख्यतः नौजवान लोगों की तरफ से औरंगाबाद से गोवा तक की यात्रा में पुछा जा रहा है ! अभी मै दो दिन से बंगाल में हूँ ! इसपर बाद में लिखने वाला हूँ ! लेकिन औरंगाबाद में तीन अक्तूबर के दिन कुछ नौजवानों ने मुझे औरंगाबाद की सभा के बाद पुछा कि क्या 2024 तक भारत हिंदु राष्ट्र होगा ? आपकी क्या राय है ? मैंने तपाकसे कहा था ,कि अगर हिंदु राष्ट्र मे जिवनके लिए लगने वाले चिजोके दाम कम होते है , या सभी बेकारो को रोजगार मिलता है , हर एक को घर, रोटी, कपडा जरुरत के अनुसार मिलता है ,कोई औरत पर जोर-जबरदस्ती अत्यचार नहीं होता है , और आदिवासी, अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को सम्मान से जीने का माहौल बनता है तो मुझे कोई आपत्ति नहीं है कि इस देश का नाम में हिंदु राष्ट्र होगा या भारत ही रहेगा !
और राम मंदिर आकाश को छूने तक बनाया गया तो भी मुझे एतराज नहीं है ! लेकिन हमारे देश के असली सवालों को हल करने में क्या हिंदु राष्ट्र नाम देने से या करोडो रूपये खर्च करने के बाद राम मंदिर बनाना यही उपाय है ? क्योंकि कोरोनामे हमारे देश की स्वास्थ्य सेवा कितनी अधुरी है ? यह उजागर हो गया है ! और मंदिर के लिए सिर्फ एक हजार करोड़ रुपये इकट्ठा करने की बात थी लेकिन साढे तीन हजार करोड़ रुपये आ गए हैं ! क्यों राम मंदिर न्यासो ने अतिरिक्त फंड कोरोनाके लिए नहीं दे सकते थे ? जिस उत्तर प्रदेश के लाखों मुर्दों के दफनाने के लिए भी लोगों के पास व्यवस्था नहीं थी तो उत्तर प्रदेश के नदियों में तैरते हुए देखकर मै यह लिख रहा हूँ और उसके पहले ऑक्सीजन या इलाज के अभाव में वे मरे सो अलग बात है !

आज के टेलीग्राफ नाम के कोलकाता के अंग्रेजी अखबार में प्रथम पृष्ठ पर की सबसे बड़ी खबर जी एस मुदुर के द्वारा कवरेज की हुईं देखकर मै यह लिख रहा हूँ कि Ram Rajya not for children ! से पांच काॅलम की खबर छपी है कि zeel build the Ram temple in Ayodhya has not been matched by efforts to ensure Ram Rajya for the town’s children. More than half of the children under five in Ayodhya are stunted, a sign of chronic malnutrition levels across India’s 3,941 Assembly constituencies.

The stunning prevalence in Ayodhya, the launch pad for the Hindutva brand of politics that eventually pitch-forked the BJP to power, is 52.25% and places the Constituency close to the bottom of the pile with a national rank of 3,870. Stunning causes irreversible physical and mental harm. Children who are stunted have low haight-for-age, are likely to fall sick more frequently, perform less well in school, and are more likely to suffer from likely to suffer from chronic health disorders.


The map- the outcome of a study by researchers at the Harvard school of public health, the Niti Aayog and other institutions-shows many known pockets of the distress but also reveals surprising, unexplained and stark variations within some states !


मंदिर वही बनायेंगे की घोषणा यानी ! रामजी का जहाँ पर जन्म हुआ उस आयोध्या के बच्चों को, पांच साल की उम्र तक पहुंचने के पहले अपनी जीवन यात्रा समाप्त करने की नौबत आ गई है ! वहां हमारे देश के कुछ लोगों की प्राथमिकता में हजारों करोड़ रुपये खर्च कर के मंदिर बनाना है ! इससे ज्यादा असंवेदनशीलता और क्या हो सकती है ?
रामलला मतलब (बचपन के राम !) भारत जैसे देश में जहां के बच्चे पांच साल की उम्र के पहले कुपोषण के कारण मरने के आंकड़े बताते हैं ! कि आजादी के पचहत्तर साल के बावजूद उत्तर प्रदेश के विभिन्न विधानसभा क्षेत्रोंमेसे ठाना भावन का कुपोषण का राष्ट्रीय अनुपात में 90 वा स्थान है, कैराना 103,पुरूखजी 117,और कठौली विधानसभा 119 का स्थान है ! जो राष्ट्रीय अनुपात में 23 प्रतिशत से भी कम है और राज्य का अनुपात 44 % है !और आयोध्या के आकड़े भी कुपोषित बच्चों की मौतों के बहुत ही पीड़ा दायक है ! कौनसा राम होगा जिसके राम-राज्य की जगह पर इस तरह की परिस्थितियों के बावजूद ! प्राथमिकताओं में है मंदिर के लिए सिर्फ एक हजार करोड़ रुपये इकट्ठा करने की बात थी लेकिन साढे तीन हजार करोड़ रुपये इकट्ठा हो गए ! लेकिन राम मंदिर ट्रस्ट के सामने लाखों लोगों को कोरोनाकी बिमारी ने लील लिया तो ट्रस्ट के पदाधिकारियों को लगा नहीं कि इतने अतिरिक्त धन का क्या करें ? और आज के टेलीग्राफ के प्रथम पृष्ठ पर की यह स्टोरी क्या राम राज्यमें बच्चोकी कोई जगह नहीं है !

1985-86 के समय से मतलब पैतीस सालों से भी ज्यादा समय से तथाकथित हिंदुत्ववादी ताकतें सिर्फ और सिर्फ मंदिर वही बनायेंगे के जैसे भावनाओ को भड़काकर हमारे देश के सबसे महत्वपूर्ण सवालों को हल करने की जगह मंदिर-मस्जिद जैसे सवालों को हवा देकर 135 करोड़ की आबादी के देश में पचहत्तर साल का आजादी का जश्न मनाने के साल में उनकी प्राथमिकता के विषयों को देखकर भगवान राम भी दुखी हो रहें होंगे ! और मनहि-मनमें कह रहे होंगे कि हे भगवान इन्हें सद्बुद्धी दे !

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