लोकसभा चुनाव 2019 को अब कुछ ही समय बाकी रह गया है ऐसे में कोई भी राजनीतिक पार्टी किसी से पीछे नहीं रहना चाहती है और किसी भी सूरत में इन चुनावों में जीत हासिल करने के लिए पूरा जोर लगा रही है. जैसा कि आप जानते हैं कि चुनावों से पहले पार्टियां वोटरों को रिझाने के लिए ऐसी योजनाएं और ऐसे वादें करते हैं जिससे वो चुनावों में अपनी जीत सुनिश्चित कर सकें और इसी कड़ी में आज कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने एलान किया है कि अगर कांग्रेस केंद्र की सत्ता में आई तो महिला आरक्षण विधेयक को पारित किया जाएगा.

इससे पहले कल राहुल गांधी ऐलान कर चुके हैं कि अगर उनकी पार्टी सरकार में आई तो हर गरीब के लिए न्यूनतम आमदनी गारंटी की स्कीम लाएगी. वैसे तो इस तरह के वादे तो हर पार्टी करती है लेकिन कुछ ही पार्टियां इन वादों को पूरा करती हैं. राहुल गांधी जिस महिला आरक्षण बिल को लाने का वादा कर रहे हैं वो पिछले 22 सालों से लोकसभा और राज्यसभा के बीच झूल रहा है.

यह बिल पहली बार साल 1996 में पेश होने के बाद 1998, 1999 और 2002 में भी संसद में पेश किया गया और साल 2010 में यह राज्यसभा में पास भी हुआ लेकिन महिला आरक्षण के लिए संविधान में संशोधन होना है. संविधान में संसद और विधानसभा में महिला आरक्षण को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है. 1993 में संविधान में 73वें और 74वें संशोधन के जरिए पंचायत और नगर निकाय में एक तिहाई सीट महिलाओं के लिए आरक्षित की गईं थी.

आपको बता दें कि राहुल गांधी ने इन वादों को लेकर कहा है कि वो सिर्फ वादे करते ही नहीं है बल्कि उन वादों को पूरा भी करते हैं फिर चाहे वो मनरेगा के तहत गरीबों को रोजगार की गारंटी देना हो या फिर भोजन की गारंटी देना हो साथ ही सूचना का अधिकार उन्हीं की सरकार की दें है. राहुल गांधी ने कहा है कि, ‘’कांग्रेस ने हमेशा अपने देश के लिये बदलाव का काम किया है. हम बदलाव की राजनीति में विश्वास करते हैं.’

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