नागपुर में आरएसएस के प्रशिक्षण कार्यक्रम में अपने जाने को लेकर पूर्व राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने चुप्पी तोड़ी है. इस मामले में उन्होंने कहा है कि वे नागपुर में ही जवाब देंगे. आनंद बाजार पत्रिका को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इस मामले पर जारी चर्चा पर कहा कि जो कुछ भी मुझे कहना है, मैं नागपुर में कहूंगा. मुझे कई पत्र आए और कई लोगों ने फोन किया, लेकिन मैंने किसी का जवाब नहीं दिया है. गौरतलब है कि प्रणब मुखर्जी द्वारा आरएसएस के मुख्यालय में प्रशिक्षण कार्यक्रम समारोह में मुख्य अतिथि के तौर पर आने का न्योता स्वीकार करने के बाद कई कांग्रेस नेता इसका विरोध कर रहे हैं.

जयराम रमेश ने इसे लेकर प्रणब मुखर्जी को पत्र लिखा था कि वे नागपुर न जाएं. उन्होंने लिखा था कि उन जैसे विद्वान और सेक्युलर व्यक्ति को आरएसएस के साथ किसी तरह की नजदीकी नहीं दिखानी चाहिए. आरएसएस के कार्यक्रम में जाने से देश के सेकुलर माहौल पर बहुत गलत असर पड़ेगा. केरल विधानसभा में प्रतिपक्ष के नेता रमेश चेन्नीथाला ने भी इसे लेकर पूर्व राष्ट्रपति से अनुरोध किया है. उन्होंने कहा है कि आरएसएस के कार्यक्रम में जाने का पूर्व राष्ट्रपति का फैसला सेक्युलर विचारधारा के लोगों के लिए झटके की तरह है, उन्हें संघ के कार्यक्रम में नहीं जाना चाहिए.

हालांकि पी चिदंबरम ने बुधवार को इस मामले में कहा कि उन्होंने न्योता स्वीकार कर लिया है, तो इसपर बहस का कोई मतलब नहीं है कि उन्होंने क्यों स्वीकार किया. अहम बात यह है कि आपने न्योते को स्वीकार किया है, तो वहां जाइए और उन्हें बताइए कि उनकी विचारधारा में क्या खामी है. इधर, नितिन गडकरी ने इसे अच्छी पहल बताया है. उन्होंने कहा कि मुखर्जी द्वारा आरएसएस का आमंत्रण स्वीकार करना एक अच्छी पहल है. राजनीतिक छुआछूत अच्छी बात नहीं है. गौरतलब है कि प्रणब मुखर्जी सात जून को नागपुर में संघ के शैक्षिक पाठ्यक्रम का तृतीय शिक्षा वर्ग पास कर पूर्णकालिक प्रचारक बनने वाले स्वयंसेवकों के प्रशिक्षण समारोह में शामिल होने वाले हैं.

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