भोपाल। भारतीय प्रजातंत्र का मूल आधार मतदान है, देश और देशवासियों का भविष्य भी इसी के साथ जुड़ा है, हर भारतीय प्रजातंत्र का इसीलिए ‘नियंता’ माना जाता है, इसी माध्यम से देशवासी अपना पांच वर्षिय भविष्य तय करता है, इसलिए भारतीय प्रजातंत्र में इस दिवस का काफी महत्व है, भारत की आजादी के बाद कुछ वर्षों तक भारतवासी इस दिवस के महत्व को समझ नहीं पाया था, किंतु अब भारतीय प्रजातंत्र बुजुर्ग हो चुका है, इसलिए इस अवस्था में प्रजातंत्र का महत्व भी वह समझ गया है। चूंकि प्रजातंत्र का मूल आधार मतदान है, इसलिए हर प्रजातंत्री देश में मतदान दिवस को पूण्य दिवस मानकर उसे धूमधाम से मनाया जाने लगा है, भारत अभी तक डेढ़ दर्जन से अधिक ऐसे पुण्य पर्व मना चुका है, आज भी मध्यप्रदेश सहित देश के पांच प्रदेशों के लिए यह पुण्य पर्व ही है, जहां प्रदेशवासियों को अपना पंचवर्षिय भविष्य तय करना है।

अब चूंकि देश का प्रजातंत्र और देशवासी हर दृष्टि से काफी जागरूक व अपने कर्तव्यों के प्रति सजग हो गए है, ऐसे में इस दिवस का महत्व अधिक बढ़ जाता है। यद्यपि भारत के मतदाताओं के कुछ समूह ऐसे भी है जो मतदान दिवस के अवकाश को मौजमस्ती दिवस मानते है, किंतु यदि सही अर्थों में इस दिवस को देखा जाए तो यह दिवस देश और देशवासियों के लिए काफी अहम् माना गया है। क्योंकि इस दिन देशवासी न सिर्फ अपने राष्ट्रªीय कर्तव्य का अधिकार पूर्वक पालन करता है, बल्कि इस दिन देश-प्रदेश का पंचवर्षिय भविष्य तय होता है, इसलिए इस दिन को ‘राष्ट्रªीय त्यौहार’ दिवस मानकर ही अपने दायित्वों व कर्तव्यों के साथ इसे मनाना चाहिए और प्रजातंत्र के महायज्ञ में सब काम छोडकर प्राथमिकता से अपनी आहूति (मतदान) डालना चाहिए, जिससे प्रजातंत्र के अहम् कर्तव्य के साथ हर नागरिक के दायित्व की पूर्ति हो सके।

प्रजातंत्र के इस अहम् दायित्व के निर्वहन के साथ इस दिवस का महत्व अपनी सोच के सही परीक्षण का भी है, क्योंकि राजनीतिक दलगत मानसिकता से ऊपर उठकर देश-प्रदेश के हित में हर मतदाता को यह तय करना पड़ता है कि दलगत राजनीति से ऊपर उठकर वह किसे अपना भाग्यविधाता चुने, यह इस दिन की सबसे बड़ी ‘अग्निपरीक्षा’ मानी जाती है, क्योंकि प्रजातंत्र के भविष्य की रीढ़ हर मतदाता माना गया है। इसलिए योग्य प्रत्याशी का चयन मतदाता की सबसे बड़ी अग्निपरीक्षा होती है, जिसमें खरा उतरना हर मतदाता का दायित्व है और इसके लिए योग्य प्रत्याशी का चयन व देश के प्रति व्यक्तिगत ईमानदारी बेहद जरूरी है और हर मतदाता को अपने इस ईमानदारीपूर्ण दायित्व का निर्वहन बिना किसी के बहकावे में आकर करना चाहिए।

हर मतदाता को यह अच्छी तरह समझ लेना चाहिए कि आज देश को ईमानदार और देशभक्त राजनेता की जरूरत है, जिनका आज काफी अभाव है और मतदाता को उसे ही खोजकर उसका सहयोग करना है, यही उसकी अग्निपरीक्षा है। साथ ही यह अवसर अग्निपरीक्षा इसलिए भी है क्योंकि अपनी राजनीतिक दल और उसके प्रत्याशी कई तरह की घोषणाएँँ अपने घोषणा-पत्रों व सभाओं के माध्यम से करते है, जिनकी पूर्ति कभी नहीं हो पाती, इसलिए ऐसी घोषणाओं के अमल पर विश्वास भी इस दिन की अग्निपरीक्षा का एक अंग है, मतलब यह कि मतदाता का सही अर्थों में राष्ट्रªभक्ति और सत्यनिष्ठा को प्रकट करने का यह दिवस है और इसमें खरा उतरना हर मतदाता का दायित्व व राष्ट्रªहित में कर्तव्य है।

इस प्रकार कुल मिलाकर यदि यह कहा जाए कि यह प्रजातंत्र का सबसे बड़े महोत्सव का दिन है, तो कतई गलत नहीं होगा, यद्यपि यहां यह भी उल्लेख करना जरूरी है कि हमारे देश में चुनावी पैतरों का आज भी वही ‘पच्चास वर्ष’ पुराना चलन है और हर राजनीति दल व प्रत्याशी अपने मतदाता को अज्ञानी और मूर्ख ही मानकर चलता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि आज हर मतदाता को अपने अधिकारों और कर्तव्यों का ज्ञान है और वह उसी के बलबूते पर अपने और देश का भविष्य तय करता है, इसलिए अब किसी को भी इस दृष्टि से गलत फहमी नहीं होनी चाहिए। अतः आईए, आज हम सच्चे देशभक्त जागरूक नागरिक होने का दायित्व पूरा करें।

Source: NAYA INDIA

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