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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर 2016 को जब नोटबंदी का ऐलान किया था, तो उस वक्त उन्होंने कहा था कि नोटबंदी के पीछे चार मकसद हैं. इससे आतंकवाद, कालाधन और भ्रष्टाचार पर लगाम लगाने के साथ-साथ डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिलेगा

भारतीय रिजर्व बैंक ने अपनी एनुअल जनरल रिपोर्ट जारी की है. जिसके अनुसार  चार में से तीन मकसद फेल साबित हुए हैं. रिपोर्ट के अनुसार, नोटबंदी के दौरान बंद हुए कुल 99.30 फीसदी 500 और 1000 रुपये के पुराने नोट वापस आ चुके हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब नोटबंदी का ऐलान किया था, तब 500-1000 के 15.41 लाख करोड़ रु. के नोट चलन में थे. जिनमें से 15.31 लाख करोड़ रु. बैंकों में आ चुके हैं.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा था कि नोटबंदी से आतंकवाद पर लगाम लगेगी, लेकिन ऐसा नजर नहीं आ रहा. बता दें नोटबंदी के समय (8 नवंबर 2016) से लेकर अब तक (31 जुलाई 2018) तक 191 आतंकी घटनाएं हो चुकी हैं.

अगर कालाधन की बात की जाए, तो पीएम मोदी ने कहा था ढाई साल में 1.2 लाख करोड़ रुपये कालाधन बाहर आया है और आने वाले समय में 3-4 लाख करोड़ और आएगा. लेकिन ऐसा नहीं हुआ. आरबीआई के पास 99.3% पुराने नोट वापस आ चुके हैं. 10,720 करोड़ रु. अभी भी नहीं आए हैं.

प्रधानमंत्री ने कहा था कि भ्रष्टाचार को खत्म करने के लिए नोटबंदी जैसा सख्त कदम उठाना जरूरी हो गया था. लेकिन नोटबंदी का असर भ्रष्टाचार पर नहीं दिखा. हाल ही में ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में भ्रष्ट देशों में जहा भारत 2016 में 79 नंबर पर था. वही 2017 में बढ़कर 81 पर पहुंच गया.

पीएम मोदी ने कहा था कि ज्यादा कैश सर्कुलेशन का संबंध भ्रष्टाचार से है. इसलिए डिजिटल ट्रांजेक्शन को बढ़ावा मिलना चाहिए और ऐसा हुआ भी सरकार को केवल इसमें ही सफलता मिली है. 2016 के मुकाबले 2017 में डिजिटल पेमेंट की राशि 40% तक बढ़ी और जुलाई 2018 तक इसमें पांच गुना बढ़ोतरी हुई.

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