netanyahuवर्ष 2009 के आम चुनाव के दौरान एक ख़बर आई कि इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद भारत में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनवाना चाहती थी. मोसाद ने लालकृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री बनवाने की पुरजोर कोशिश की, लेकिन वह अपने मकसद में कामयाब नहीं हो सकी. जब आडवाणी देश के गृहमंत्री थे, तब उन्होंने मोसाद को भारत में नेटवर्क स्थापित करने की इजाजत दी थी. इसके पीछे आडवाणी का मकसद था कि मिलजुल कर आतंकवाद के ख़तरे को कम करना. इसके लिए रॉ जैसी भारतीय खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान से संबंधित सूचनाएं मोसाद के साथ साझा करना शुरू किया था.
पांच साल बाद मोसाद की इच्छा पूरी हो गई है. भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव जीतते ही इजरायल के साथ अपने संबंधों को और अधिक मजबूत करने की बात नरेंद्र मोदी ने कही है. इजरायली प्रधानमंत्री बेजामिन नेतानयाहू ने नरेंद्र मोदी को जीत की बधाई दी. उन्होंने विश्‍वास जताया कि दोनों देश आर्थिक संबंधों को विस्तार और एक नई दिशा देंगे. नेतानयाहू पिछले कुछ वर्षों से एशियाई देशों के साथ आर्थिक संबंधों को बेहतर करने का काम कर रहे हैं. इसी वजह से इजरायल रक्षा व्यापार के मामले में एशिया में अपने सबसे क़रीबी सहयोगी अमेरिका को चुनौती देता नज़र आ रहा है. इजरायल प्रमुख एशियाई देशों जैसे भारत, चीन एवं जापान के साथ द्विपक्षीय व्यापार के विस्तार में लगा हुआ है. इसी वजह से नेतानयाहू ने भाजपा की जीत का समाचार सुनते ही नरेंद्र मोदी से बात की और उन्हें बधाई दी. नेतानयाहू यह बात बहुत अच्छी तरह जानते हैं कि भारत दुनिया का सबसे बड़ा सैन्य बाज़ार है और इजरायल प्रमुख निर्यातक. नरेंद्र मोदी ने देश को ज़्यादा सुरक्षित और मजूबत बनाने का वादा चुनाव प्रचार के दौरान किया था. इसी वजह से भारत में नई सरकार के गठन के बाद इजरायल के लिए संभावनाएं बढ़ जाती हैैं.
भारत और इजरायल के बीच राजनयिक संबंधों की शुरुआत 1992 में हुई थी. अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार के कार्यकाल में दोनों देशों के संबंधों में प्रगाढ़ता आई थी. 2003 में तत्कालीन इजरायली प्रधानमंत्री एरियल शेरोन ने भारत का दौरा किया था. इसके बाद तत्कालीन रक्षा मंत्री जसवंत सिंह और गृहमंत्री लालकृष्ण आडवाणी भी इजरायल दौरे पर गए थे. इजरायल ने करगिल युद्ध के दौरान भी भारत की मदद की थी. इसके बाद दोनों देशों के बीच रक्षा क्षेत्र में लगातार सहयोग बढ़ता गया. दोनों देश पिछले कुछ सालों से फ्री ट्रेड एग्रीमेंट पर बातचीत रहे हैं, लेकिन अब तक यह मूर्त रूप नहीं ले पाया है. वर्तमान में भारत और इजरायल के बीच सालाना व्यापार 5 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है. दोनों देशों के बीच शिक्षा और कृषि क्षेत्र में भी सहयोग लगातार बढ़ रहा है. दोनों देश रक्षा और वैज्ञानिक शोध के क्षेत्र में लगातार सहयोग कर रहे हैं. इजरायल अमेरिका के साथ अपने संबंधों के आधार पर दुनिया को नहीं देखता है. इजरायल ने अमेरिका से संबंधों के इतर दूसरे देशों के साथ अपने संबंध मजबूत किए हैं. उदाहरण के तौर पर इजरायल भारत को फेलकॉन रडार के साथ एरो इंटरसेप्टर मिसाइल बेचना चाहता था, लेकिन अमेरिका एरो मिसाइल भारत को बेचने का विरोध कर रहा था. उसने इसके लिए एमटीसीआर का हवाला दिया. इजराइल ने एरो इंटरसेप्टर मिसाइल अमेरिका के आर्थिक सहयोग से विकसित की थी. अंत में अमेरिकी दबाव में न आकर इजरायल ने भारत को फेलकॉन रडार की आपूर्ति की, केवल उसने एरो इंटरसेप्टर मिसाइल की आपूर्ति नहीं की.
भारत में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने की घोषणा होने के बाद इजराइल के एक वेबपोर्टल अल-मसदर में ख़बर आई कि भारत में मोदी को प्रधानमंत्री चुना जाना मुस्लिम देशों के लिए बुरी खबर है, क्योंकि मुसलमानों से उनकी दुश्मनी है. इस खबर के आने के बाद पश्‍चिम एशिया के इस्लामिक देशों की भौहें तन गईं. भारत और अरब देशों के बीच व्यापार 110 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है. इन देशों में 45 लाख भारतीय रहते हैं. भारत अपनी 70 प्रतिशत ऊर्जा ज़रूरतों के लिए अरब देशों पर निर्भर है. अरब देशों में काम करने वाले भारतीय हर साल 40 बिलियन अमेरिकी डॉलर भारत भेजते हैं, जो भारत के लिए विदेशी मुुद्रा का एक बड़ा स्रोत है. भारत दुनिया में सबसे ज़्यादा हथियार आयात करने वाला सबसे प्रमुख देश है और इजरायल हथियार निर्यात करने वाला एक प्रमुख देश, लेकिन इजरायल अरब देशों का सबसे बड़ा दुश्मन भी है. इजरायल बड़ी तेजी से थर्ड वर्ल्ड से फर्स्ट वर्ल्ड के देशों में शामिल हुआ. इस दौरान इजरायल की पहचान एक हाईटेक सुपर पावर के रूप में हुई. इस वजह से तकनीकी रूप से विकसित भारत और चीन जैसे देश उसकी ओर आकर्षित हुए.
आज दुनिया के अधिकांश देश इस्लामिक कट्टरपंथ और आतंकवाद से प्रभावित हैं. हर कोई अलकायदा जैसे आतंकवादी संगठनों के मंसूबों को नाकाम करना चाहता है. मोसाद की गिनती दुनिया की सबसे ख़तरनाक और एफिशिएंट इंटेलिजेंस एजेंसियों में होती है. वह आतंकवाद के खतरे को कम करने के लिए दुनिया भर के देशों की लगातार मदद करता है. मुंबई में 26/11 को हुए हमले की जांच में इजरायल ने भारत की मदद की थी. भारत और इजरायल के संबंधों में मजबूती और सहयोग बढ़ाना समय की आवश्यकता है. देश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ करने के लिए पश्‍चिम एशियाई देशों के साथ मधुर संबंधों को बनाए रखने की भी जरूरत है. नई सरकार पूर्वाग्रह वश कोई निर्णय नहीं ले सकती, भले ही उसका रुझान इजरायल की तरफ़ हो. भारत सुरक्षा परिषद में स्थाई सदस्यता पाने के लिए अरब देशों पर भी निर्भर है, इसलिए उनके साथ भारत के संबंधों को भी ताख पर नहीं रखा जा सकता है.

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