राज्य अल्पसंख्यक आयोग सदस्य से अपराधियों जैसा सुलूक
भोपाल। मप्र राज्य अल्पसंख्यक आयोग की इकलौती सदस्य नूरी खान को पुलिस द्वारा अरेस्ट किया जाना और बाद में थाने से उनको छोड़ देना अब सियासी चकल्लसों का कारण बनता जा रहा है। दो दिन पहले नूरी खान को उनके उज्जैन स्थित निवास से इस अपराध के तहत गिरफ्तार किया गया था कि वे जरूरतमंद लोगों को ऑक्सीजन पहुंचाने के लिए खुद पहुंच रही थीं। लॉक डाउन और कोरोना कफ्र्यू उल्लंघन की धाराओं में हुई इस गिरफ्तारी के बीच लंबा सियासी हस्तक्षेप भी हुआ। थाने से वापस आने के बाद नूरी खान ने पत्रकारवार्ता आयोजित कर जिला प्रशासन से लेकर स्वास्थ्य विभाग की कई कमियों का चिट्टी खोलना शुरू कर दिया है।

सूत्रों का कहना है कि नूरी खान को धारा 188 के तहत गिरफ्तार किए जाने की लाइव वीडियो सोशल मीडिया पर जारी होने के बाद सियासी हलचल तेज हो गई थीं। इस वीडियो में नूरी खान का यह कहना कि वे स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कोई बड़ा खुलासा करने वाली थीं, जिसके डर से उन्हें गिरफ्तार करने की नौटंकी और उनकी आवाज दबाने की कोशिश की जा रही है। सूत्रों का कहना है कि इस मामले को लेकर पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह से लेकर कमलनाथ तक ने हस्तक्षेप किया और आनन-फानन में नूरी को थाने से ही वापस घर रवाना करवा दिया गया।

नूरी ने खोला आरोपों का पुलिंदा

पुलिस द्वारा हिरासत से रिहा करने के बाद नूरी खान ने उज्जैन कांग्रेस कार्यालय में पत्रकारवार्ता को संबोधित किया, जिसमें उन्होंने माधवनगर अस्पताल में जारी स्वास्थ्य अव्यवस्थाओं पर कई सवाल उठाए हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि अस्पताल में सीनियर और अनुभवी डॉक्टरों को पाबंद करने की बजाए मेडिकल स्टूडेंट्स को ड्यूटी पर लगा दिया गया है। उनकी अनुभवहीनता और विषय का ज्ञान न होना कई मरीजों के लिए मौत का कारण बन सकता है। नूरी खान ने बताया कि कई स्टुडेंट्स ने उन्हें फोन पर शिकायत कर बताया था कि उनकी इंटर्न आयुर्वेदिक चल रही है। 1 साल की इंटर्न में 6 महीने की आयुर्वेदिक तथा 6 महीने की ऐलोपैथिक होती है। यह भी कंपलीट नहीं हुई है। वर्तमान में आयुर्वेदिक चल रही है। फिर भी उनकी ड्यूटी कोविड वार्ड में माधवनगर में ड्यूटी लगा दी गई।

सोशल मीडिया पर मिल रही थी वाहवाही

पिछले कुछ समय से उज्जैन में बनी हुई ऑक्सीजन की कमी को लेकर नूरी खान ने मुहिम के रूप में अपना रखा था। वे हर जरूरतमंद मरीज के लिए ऑक्सीजन की व्यवस्था करने में जुटी हुई दिखाई दे रही थीं। इस बीच सोशल मीडिया पर वायरल हो रहीं तस्वीरों में वे खुद ऑक्सीजन सिलेंडर पहुंचाते हुए भी दिखाई दीं थीं।

आयोग में नहीं मिल पाया रुतबा

कमलनाथ सरकार के आखिरी दौर में कई आयोगों में हुई नियुक्ति के दौरान नूरी खान को राज्य अल्पसंख्यक आयोग का सदस्य बनाया गया है। लेकिन उनकी नियुक्ति के कुछ समय बाद ही प्रदेश में सरकार बदल गई। जिसके बाद भाजपा सरकार ने इन नियुक्ति को निरस्त करने के प्रयास भी किए थे लेकिन संवैधानिक पद होने के चलते उन्हें अदालत से स्टे मिल गया है। इसके बाद भी प्रदेश सरकार ने अल्पसंख्यक आयोग सदस्य को मिलने वाली सुविधाएं और पदनाम अब तक उनको नहीं दिया है।

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