काफी दिनों से हमारे मित्रों का आग्रह था कि एक बार आप सोशल मीडिया पर खुल कर लिखिए। उनमें से कई ऐसे भी थे जो गोदी मीडिया और सोशल मीडिया में बहुत बारीक लाइन समझते थे या सोशल मीडिया से बहुत वाकिफ नहीं थे। वे यह भी चाहते थे कि सोशल मीडिया में हम क्या और कौन सा कार्यक्रम देखें, कृपया बताएं। सच है गड़बड़ तो है। क्योंकि आज की सत्ता इसलिए हमेशा याद की जाएगी कि हर श्रेत्र में ‘भ्रम’ पैदा करने में यह माहिर रही है। तो मीडिया में भी क्यों न हो। उसी नजर से हमें भी लिखना है।

इससे पहले कि मैं वेबसाइट्स और सोशल मीडिया प्लेटफार्म की बात करूं, उन लोगों का जिक्र करना चाहता हूं जो अलग से और स्वतंत्र रूप से अपने वीडियो या ब्लॉग लिख और बोल रहे हैं। इनमें खास हैं तीन चार नाम हैं। फैज़ान मुस्तफा, पुण्य प्रसून वाजपेयी, ध्रुव राठी, अजीत अंजुम जैसे लोग निरंतर, नियमित रूप से लिख बोल रहे हैं और कमाल का काम है इनका। फैजान मुस्तफा कानून और कानूनी मुद्दों के परिप्रेक्ष्य में रोजाना के घटते जरूरी मुद्दों का बेबाक विश्लेषण करते हैं। इन्हें आप अक्सर रवीश कुमार के प्राइम टाइम में भी देखते होंगे। इनके कार्यक्रम का नाम है ‘लीगल अवेयरनेस वेब सीरीज’। जब भी देखें मजा आएगा और कानूनी बारीकियों से मुद्दे की पड़ताल समझने का मौका मिलेगा। आपमें समझ की परिपक्वता भी बढ़ेगी।

पुण्य प्रसून वाजपेयी क्योंकि कई चैनलों में रहे हैं, दिमाग से स्पष्ट भी हैं, चतुर भी हैं और राजनीति को करीब से जानते हैं इसलिए किसी भी मुद्दे या राजनीतिक स्थितियों का विश्लेषण जबरदस्त करने की क्षमता रखते हैं। एनडीटीवी, आज तक और एबीपी न्यूज़ के अनुभव भी उनके काम आ रहे हैं। जुझारू हैं। इसी का प्रमाण है कि एबीपी न्यूज़ से सिर्फ इसलिए निकाल दिये गये कि उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी के झूठ का पर्दाफाश किया था। उनके विश्लेषण जाहिरा तौर पर ऐसे होते हैं जिन्हें आप ‘मिस’ नहीं करना चाहेंगे। मैं अपने कई किंतु परंतु के साथ उनके विश्लेषण पसंद करता हूं। कई बार संभव है आप उनके आंकड़ों आधारित विश्लेषण से ऊब भी जाएं लेकिन उनकी स्पष्ट नजर आती मेहनत को नकार नहीं सकते। और यह भी संभव है कि सत्ता के दलालों में उनको लेकर बेचैनी हो। इसीलिए उनके ब्लॉग महत्वपूर्ण हैं। हफ्ते में तीन चार बार वे यू ट्यूब पर आते हैं।

ध्रुव राठी नाम का युवा हरियाणा से आता है और बहुत लंबे समय से निर्द्वन्द्व भाव से ‘सच’ को सामने रखने का काम करता आ रहा है। राजनीति से अलग भी अनेक जरूरी विषयों पर ध्रुव राठी ने वीडियो बनाये हैं जो बहुत लोकप्रिय हुए हैं। पूंजीवाद, मार्क्सवाद, इजराइल फिलीस्तीन आदि के अलावा भी कई तरह के अलग विषय जैसे अंधविश्वास आदि पर इस युवा के वीडियो बड़े बुजुर्गों के अलावा विशेषकर युवाओं में काफी देखे सुने जा रहे हैं। ध्रुव राठी की फोलोइंग काफी है। अपनी समझ, नजरिये और आत्मविश्वास के बल पर इस युवा ने जिस तेजी से अपनी जगह बनायी है वह काबिलेगौर है। उसकी बोली में आपको हरियाणवी लहजा जरूर नजर आएगा। पर उसको सुनना भी अपना ज्ञानवर्धन करना है।
अजीत अंजुम ‘न्यूज़ 24’ की एंकरिंग के बाद से कहीं बहुत ज्यादा दिखाई नहीं दिये। लेकिन लाकडाउन के दौरान प्रवासी मजदूरों पर स्टोरी करने के चलते मशहूर हुए और उसके बाद तो किसान आंदोलन और बंगाल चुनाव की कवरेज में बड़ी बाजी मार ली। आज इन्होंने अपना अलग प्लेटफार्म बनाया है और लगभग रोजाना यूट्यूब पर दिखाई देते हैं।

हालांकि अजीत में वैसी गहराई नहीं जो खालिस विश्लेषण से अपनी जगह बना लें लेकिन उनके वीडियो में जैसा भी सत्ता विरोधी ‘कंटेट’ होता है उसे लोग पसंद करते हैं। यही कारण है कि किसान आंदोलन और बंगाल चुनाव में वे चमकते रहे। किसान आंदोलन में उन्होंने राकेश टिकैत को पकड़े रखा। उनकी किस्मत अच्छी समझिए कि टिकरी बार्डर से उनका घर पास पड़ता है और वहां टिकैत का डेरा था। वही टिकैत जो आज किसान आंदोलन के ‘हीरो’ बन चुके हैं। टिकैत और अंजुम दोनों की जोड़ी जमी। मेरी मित्रों से सिफारिश रहेगी कि इन चारों लोगों को यूट्यूब पर आप जरूर ‘सब्सक्राइब’ करें और नियमित सुनने की आदत डालें। जरूरी नहीं कि आप इनके लिए समय निकालें बल्कि काम करते हुए भी आप इन्हें सुन सकते हैं।

अब सोशल मीडिया की वेबसाइट्स और प्लेटफार्म की बात कर लेते हैं। इनमें कई हैं और सब एक से एक बेजोड़ हैं। ‘द वायर’, ‘लाउड इंडिया टीवी’, ‘सत्य हिंदी’, ‘न्यूज़ क्लिक’, ‘न्यूज़ लाण्ड्री’, ‘द क्विंट’, ‘स्क्राल’ और ऐसे कई छोटे बड़े जो रोजाना आपको यूट्यूब पर मिलेंगे। आप जानते हैं यूट्यूब में ऐसा प्रोग्राम है ही कि जो आपकी पसंद को पकड़ लेता है। इसलिए सरकार की तारीफ सुनना चाहें तो वैसे प्रोग्राम मिलेंगे और सत्ता के विरोध में सत्य जानना चाहें तो वैसा मिलेगा। बहरहाल, हम अपनी पर आएं।

पहले ‘लाउड इंडिया टीवी’।

अस्सी के दशक में एक जोरदार अखबार निकलता था ‘चौथी दुनिया’ नाम से। बेबाक रूप से राजनीतिक और सामाजिक दृष्टिकोण रखने वाले कमल मुरारका के स्वामित्व में निकलने वाले इस अखबार के संपादक थे संतोष भारतीय। काफी चर्चा में रहा वह अखबार कुछ समय बाद किन्हीं कारणों से बंद हो गया और कमल जी भी नहीं रहे। संतोष भारतीय ने उसी ‘चौथी दुनिया’ के नाम से वेबसाइट शुरू की और इस वेबसाइट का चैनल है ‘लाउड इंडिया टीवी’। इसके तहत जो सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम किया जाता है वह हर रविवार को लाइव ‘अभय दुबे शो’ नाम से प्रसारित होता है। सब जानते हैं अभय दुबे एक ऐसी संस्था ‘सीएसडीएस’ से जुड़े हैं जहां निरंतर सामाजिक मुद्दों पर अध्ययन और शोध आदि चलता रहता है। कुछ समय के लिए मैं स्वयं अस्सी के दशक में इस संस्था से जुड़ा था। अभय दुबे वहीं से आते हैं। इन दिनों भी वे वहीं के भाषा विभाग में कार्यरत हैं। हर रविवार संतोष भारतीय के साथ अभय दुबे का ‘लाइव शो’ होता है। अभय जी के हमारे यहां बहुत लोग मुरीद हैं। इसलिए जिन्हें इस कार्यक्रम की जानकारी है वे छोड़ते नहीं। इस कार्यक्रम में आपको सूचनाओं के साथ विषय से संबंधित वृहद विश्लेषण सुनने को मिलेगा। आज के समय का यह बेहद जरुरी और एक प्रकार से ‘क्रांतिकारी’ कार्यक्रम है। क्रांतिकारी से चौंकिए मत। समझिए। इस सप्ताह उन्होंने आंकड़ों के सच पर से परदा उठाया और जो सत्य उद्घाटित किये वे गजब थे।

इसके अलावा ‘संतोष भारतीय शो’ भी बड़ा व्यवस्थित सा कार्यक्रम है जिसमें संतोष जी तात्कालिक मुद्दों पर स्वयं के विचार जिस खूबी से प्रस्तुत करते हैं वह देखते बनता है और कार्यक्रम के शुरू में उनकी गजब अदा के साथ ‘हाय’ भी। कई बार मन होता है उस पार देखा जाए कि वे कौन हैं जिन्हें इतनी खूबसूरती से ‘हाय’ किया जा रहा है। पर बाद में खयाल आता है कि वहां हमें हमारी ही सूरत नजर आएगी। बहरहाल, इसे भी नियमित देखने की आदत बनाइए। बहुत मासूमियत से और सरल तरीके से संतोष जी अपना मत और विश्लेषण रखते हैं। पत्रकार अशोक वानखेड़े के साथ भी उनका शो काफी लोकप्रिय हो रहा है। और इस प्रकार कई और कार्यक्रमों के साथ ‘लाउड इंडिया टीवी’ दिनोंदिन अपनी खास जगह बनाता जा रहा है। यह अलग है कि यूट्यूब पर दो बार उनके प्रोग्राम रोके गये। इससे आप समझ सकते हैं कि ताजा माहौल में ‘लाउड इंडिया टीवी’ की क्या महत्ता है।

इसके बाद वायर, सत्य हिंदी, न्यूज़ क्लिक आदि पर अगले सप्ताह इसी क्रम को जारी रखूंगा। पर इस हफ्ते के कुछ महत्वपूर्ण कार्यक्रमों की चर्चा के बिना यह लिखना अधूरा ही रहेगा। इस हफ्ते जिन दो चार कार्यक्रमों की चर्चा मैं करना चाहता था उनमें विजय त्रिवेदी की अपूर्वानंद से सत्य हिंदी के लिए एक जबरदस्त बातचीत है। जाति व्यवस्था, ब्राह्मण समाज, दलित, आरक्षण और समूचे राजनीतिक और सामाजिक ढांचे पर विस्तार से की गयी बातचीत। गजब है। ऐसे ही मुकेश कुमार की प्रो. आनंद कुमार से बातचीत, आरफा खानम शेरवानी का G7 में प्रधानमंत्री की बात पर विश्लेषण, प्रशांत किशोर की भूमिका को लेकर ‘G files’ में की गयी चर्चा जिसमें वरिष्ठ पत्रकार सीमा मुस्तफा भी शरीक थीं और भाषा सिंह के दो खास प्रोग्राम छोटी बस्तियों में ‘आन लाइन ‘ शिक्षा की हालत पर और लक्ष्यद्वीप में आयशा सुल्ताना के मुद्दे पर सांसद से, कार्टूनिस्ट मंजुल और रिटा.आईएएस सूर्य प्रताप सिंह से उनकी सरकार द्वारा की जा रही प्रताड़ना पर बातचीत। ये सब इस हफ्ते के सबसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम रहे। बाकी सोशल मीडिया पर अगले हफ्ते इसी कालम में बात होगी। ‘सत्य हिंदी’ पर भी विस्तार से चर्चा। क्योंकि आशुतोष ने लगता है कमर कस ली है और उन्हीं का कहना है कि आगे सिर्फ सोशल मीडिया ही जिंदा रहेगा। ‘वायर’ आदि पर भी अगले हफ्ते।

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