मैने कल भारतीय संसदीय राजनीति के पतनशीलता का दौर नाम से एक पोस्ट इसी न्यूज को पढने के बाद लिखी थी ! जिसमें एक कारण मालेगाँव विस्फोट के आरोपीयो को पहले बीजेपी और अब जेडेयू जो एन डी ए की सहयोगी पार्टी है ! जिसने रिटायर मेजर रमेश उपाध्याय को 12 अक्तूबर को अपने पूर्व सैनिकों के प्रकोष्ठ के संयोजक नियुक्त करने का खत देने की बात है !


इसके पहले बीजेपी ने प्रज्ञा सिंह ठाकुर का राजनीतिक पुनर्वास किया और वह भोपाल से संसद सदस्य हैं ! और अब जेडेयू ने उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष अनुप सिंह पटेल ने मालेगाँव विस्फोट के आरोपी मेजर रमेश उपाध्याय को प्रदेश पूर्व सैनिकों के प्रकोष्ठ के संयोजक नियुक्त करने का खत देने की बात ! और यह लोग आतंकवाद के खिलाफ युद्ध का नाम लेकर ही देशभक्ति नाम के असली पेटेंट के दावेदारी कर के राजनीति कर रहे हैं ! अन्य लोगों को थोड़ा भी कुछ बोला या कोइ धरना प्रदर्शन किया कि तुरंत देश के दुश्मन करार देने की शुरूआत पिछले छ साल से भी अधिक समय से लगातार जारी है और सचमुच आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने वाले मालेगाँव,29 सितम्बर 2008, नांदेड़,6 अप्रैल 2006 नागपुर संघ मुख्यालय 1 जून 2006,और समझौता एक्सप्रेस, मक्का मस्जिद हैदराबाद लुम्बिनी पार्क, अजमेर शरीफ के बम विस्फोट की जाँच के पहले ही और आनन-फानन में हमारे देश के जाँच एजेंसियों की तरफ से एक दिन के भीतर फिदाइन,लष्करे तैयबा, इंडियन मुजाहिद्दीन वगैरा वगैरा के नाम लेकर अखबार और इलेक्ट्रानिक मीडिया में स्टेटमेंट आना शुरू हो जाते है लेकिन शहीद हेमंत करकरे जी ने मालेगाँव विस्फोट के बहाने जो इन्क्वायरी की मिसाल कायम की है उससे भारत के जाँच एजेंसियों की भी इज्जत को बचाने के लिए मदद हुई है और सबसे बड़ी बात 21 वी शताब्दी की शुरूआत ही तथाकथित आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने से शुरू होती है और यह दुनिया भरके नाम सुनने में आने लगे थे !

लेकिन शहीद हेमंत करकरे जी ने मालेगाँव विस्फोट की जाँच करने के बाद जो एक एक पर्त खुलने लगी थी वह 26/11के तथाकथित हमले में मृत्यू होने के बाद रूक गई है ! क्योंकी मेरा मानना है कि शायद संसद के हमले से लेकर अक्षरधाम और भी जितने आतंकवादी घटनाऐ हुई है सबका दुध का दुध और पानी का पानी अलग होने की संभावना थी क्योंकि उन्होंने जुलियस रिबोरो साहब को मिलकर उनके उपर किस तरह से दबाव लाया जा रहा है और आप आगे नहीं बढ़ोगे करके वाॅरनिंग दि जा रही थी ! और उनके और उनके परिवार के उपर तथा कथित हिन्दुत्व वादियोके धमकाने वाले फोन और उनके अपने अखबारों में हेमंत करकरे जी को लेकर जो कुछ जहरीला प्रचार किया है वह साभि अखबार मैंने अपने पास संह्मालके रखे हुए हैं ! और विनीता कामटे शहीद अशोक कामटेकी पत्नी की लास्ट बुलेट नाम की किताब मे जो पुलिस कंट्रोल रूम के 26/11 के हमले के समय से लगातार 100 नंबर पर जो फोन आ रहे थे मुख्यतः कामा हास्पीटल के क्वार्टर में रहने वाले लोगों ने कामा लेन में हुए हमले मे करकरे, कामटे, साळसकर और अन्य पुलिस के अफसरोंके घायल होने की खबर प्रथम क्षण से 100 नंबर पर जो फोन खुद राकेश मारिया ऑपरेट कर रहे थे को लेकर महत्वपूर्ण सवाल पूछे है और मारिया ने अभितक उन सवालों के जवाब नहीं दिया है ! और उसी तरह एस एम मुश्रीफ नामके पूर्व आइ जी ने अपनी हूँ किल्ड करकरे नाम की किताब मे तो सीधा हमारे देश के सबसे अहम जाँच एजेंसियों उदाहरण के लिए आई बी और सी बी आई पर ही उंगली उठाई है ! इस किताब के अंग्रेजी, मराठी और हिंदी संस्करण के प्रकाशन समारोह में भी एक वक्ताके रूप में मौजूद था और मैंने दिल्ली के काॅन्स्टूटूशन क्लब की सभा में एस एम मुश्रीफ जी ने हमारे देश के सबसे अहम जाँच एजेंसियों पर आरोप लगाया है कि मुंबई के तरफ पाकिस्तानी आतंकवादी एक बोट में बैठ कर आ रहे हैं और उनके लोकेशन की सूचना आई बी तथा सीबीआई को देने के बावजूद इन एजेंसियों ने मुंबई पुलिस और पस्चिमी कमान नेवी को नहीं बताया यह आरोप कितना संगिन हैं ? और मैंने अपने संबोधन में कहा था कि हमारे देश के इतने महत्वपूर्ण एजेंसियों पर आरोप लगाया है तो जाँच करने के बाद मुश्रीफ साहब गलत निकले तो कडी कारवाई करने की मांग कर रहा हूँ ! अब तो दस साल से भी अधिक समय हो गया है मुश्रीफ साहब की किताब शायद भारत की सभी भाषाओं में अनुवाद होकर धडल्ले से बीक रही है और हमारे देश में हुए किसी भी आतंकवादी घटनाओं की जाँच होकर जो सत्य बाहर आना चाहिए था वह अभिभी रहस्य के पडदे के पीछे छुपे हुए हैं और उनके उपर तथा कथित हिन्दुत्व वादियो के राजनीति का परचम लहरा रहा है और इसीलिए प्रज्ञा सिंह से लेकर उपाध्याय, पुरोहित, आसिमानंद पर कारवाई होने की जगह वह राजनीति में अपना स्थान बना रहे हैं !


मै भी जेपी आंदोलन का एक सिपाही होने के नाते नितीश कुमार को यह आवाहन कर रहा हूँ कि सत्ता के मद में इतने पागल हो गये हैं कि आतंकवादीयो को राजनीतिक शरण देने का काम नरेंद्र मोदीजी ने शुरू किया और आप भी !!!!

शर्म आनी चाहिए कि मालेगाँव से लेकर समझौता एक्सप्रेस में हुए बम धमाकों में शामिल होने वाले अभिनव भारत नाम के संगठन के लोग अगर संसदीय राजनीति में शामिल किए जाते है शहीद हेमंत करकरे जी ने मालेगाँव विस्फोट के केस पेपर्स में अभिनव भारत विशेषकर कर्नल प्रसाद पुरोहित और मेजर रमेश उपाध्याय ने हिमानी सावरकर जो गाँधी जी के हत्यारे नाथूराम गोडसे की भतीजी और विनायक दामोदर सावरकर की पतेहू थी अब उसका देहांत हो गया है उसे अभिनव भारत की पुनर्स्थापना करने के लिए विशेष रूप से कर्नल प्रसाद पुरोहित ने दबाव डाल कर हां दबाव क्योकी वह पुणे में होमियोपैथिक प्रैक्टिस कर रही थी लेकिन उसके गोडसे और सावरकर कनेक्शन को राजनीतिक रूप से भुनाने के लिए उन्हें आग्रह के बाद अध्यक्ष बनाया था (कभी भारत के स्वतंत्रता संग्राम के लिए विनायक दामोदर सावरकर ने अभिनव भारत की स्थापना की थी और अपने जीवन काल में ही विसर्जित कर दिया था !) और मालेगाँव विस्फोट से लेकर समझौता एक्सप्रेस में हुए बम विस्फोटों में अभिनव भारत विशेषकर कर्नल प्रसाद पुरोहित,आसिमानंद, प्रज्ञा सिंह ठाकुर मेजर रमेश उपाध्याय और तथाकथित स्वघोशीत शंकराचार्य उर्फ दयानंद पांडेय और भी कई लोग शामिल रहे हैं और वह केस अभि मुंबई के एन आइ ए की विशेष अदालत में जारी है! उसके अनुसार दयानंद पांडेय उर्फ शंकराचार्य के तिन लैपटॉप और पुरोहित की करकरे की गई तहकीकात मे जो तथ्य सामने आया है वह बहुत ही चौंकाने वाले हैं!

अभिनव भारत की बैठकों के इतिवृत्त जो दयानंद पांडेय उर्फ शंकराचार्य के तिन लैपटॉप मेसे ट्रांसक्राइप्ट करने के बाद मालेगाँव विस्फोट के केस पेपर्स में जोडा गया है कि अभिनव भारत वर्तमान समय में भारत के संविधान को नहीं मानता है! और उसकी जगह हम नया संविधान बनायेंगे और वर्तमान समय की भारत के सरकार को भी नहीं मानते हैं और इसको उखाड़ने के लिए इस्राइल और नेपाल नरेश को एक्साइल सरकार के लिए विनती करने वाले पत्र लिखें हुए भी केस पेपर्स में है !

मुझे याद नहीं आ रहा है कि भारत में अन्य आतंकवादियों की ऐसी कोई घोषणा या उसके संबंध में कोई रेकार्ड जाँच एजेंसियों के पास होगा यह पहला संगठन है जोकि संविधान, सरकार और मुख्य रूप से भारत का राष्ट्रीय ध्वज भी हमे मंजूर नहीं है! इसके तिन रंग और अशोक चक्र की जगह भगवा ध्वज का महिमामंडित करने के रेकार्ड उपलब्ध है !
और आश्चर्य की बात है कि लालकृष्ण आडवाणी जी नें मुख्य रूप से प्रज्ञा सिंह ठाकुर के लिए तत्कालीन सरकार को खत लिखा है कि प्रज्ञा सिंह ठाकुर के साथ पुलिस ज्यादती कर रहे हैं! और उसकी तबियत ठीक नहीं है ! यही संवेदनशीलता इस देश में लाखों कैदियों लीये क्यो नही दिखाई? अकेले कश्मीरी 10,000 से भी अधिक संख्या में कितने सालों से भी अधिक समय से जेल में उन्हे क्या क्या यंत्रणाऐ दि जा रही है और आप राष्ट्रीय स्तर के नेता है तो अन्य धर्मों के भी लोगों को आतंकवादी के नाम पर देश की विभिन्न जेलों में बंद कर के रखा है और उन्हें भी भयंकर यातनाऐ दे रहे हैं उनके लिए कभी आपने इस तरह के पत्र लिख नेका कष्ट कीया याद नहीं आ रहा है !
देश मे अन्य आतंकियों को आप कैसे रोक सकते हैं ? हमारे धर्म का या धर्म की है तो देशभक्त और अन्य धर्म का या धर्म की है तो देशद्रोही ?

क्या सचमुच सरकार आतंकवाद को लेकर गंभीर है या सिर्फ उसे एक राजनीतिक हाथकंडे के रूप में चुनावों में भुनाना चाहती है ? इससे बडा देशद्रोही काम और कौनसा हो सकता है ?


डाॅ सुरेश खैरनार ,नागपुर

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