यह आज से 30 साल पहले के भागलपुर दंगेकी संक्षिप्त जानकारी 19 जुलाई 1990 के मराठी साप्ताहिक साधना में छपी थी ! आज साधना के संपादक विनोद सिरसाट ने काफी मेहनत से खोज कर अभि अभि मुझे मेल से भेजा है ! और वह 30 साल पहले के मेरे अपनेहि लेख को वह भी आज बाबरी मस्जिद के विध्वंसके 28 वे साल के दिन !


मै 1979 के जनवरी में विवाहबद्द होने के बाद 1989 यानी गिनकर 10 साल हाऊस हज्बंड की भूमिका में था ! और मेरी सामाजिक गतिविधियोंसे मै अपने खुद के घर के काम के कारण दूर था!
लेकिन मेरे कलकत्ता के मराठी मित्र और बंगाली भाषा के मशहूर लेखक,पत्रकार वीणा आलासे और गौर किशोर घोष इन दोनों मित्रों से भागलपुर दंगेके बारेमे पिछ्ले छ महीने से सुन रहा था ! और कलकत्ता वासी होनेके कारण स्थानीय अखबारों में भी देख चुका था !

लेकिन मेरे पत्नी के स्कूल की छुट्टियाँ मई के प्रथम सप्ताह में शुरु होने के कारण ही मुझे भागलपुरके लिए निकलना संभव हूआ वह भी छ महीने से भी ज्यादा समय हो रहा था 5 मई से 12 मई तक!

एक सप्ताह के लिए शांतीनिकेतन के कुछ छात्र वीणा आलासे के कारण और गौरदा,बानीदी,शामलीदी इन सब के साथ भागलपुर गये थे ! और लौटने की ट्रेन में जो कुछ एक सप्ताह के प्रवास मे विभिन्न दंगाग्रस्त गावोके अंदर देखा था उससे मेरी निंद गायब हो गई थी!और यह बिमारी जींदगी भर के लिए शुरु हो गई जो की उसके पहले मुझे ऐसी कोई भी बिमारी नहीं थी और मेरी उम्र सिर्फ 37 साल की होने के बावजूद मैं इन्सोमिनीयका और बी पी का पेशन्ट बना हूँ और उसी कारण आज रुदयमे तिन स्टेन डालकर बैठा हूँ !


मेरी साईड बर्थ होनेके कारण मै रातके अंधेरे मे चलती ट्रेन की खिडकी के बाहर देखते हुये बैठा देखकर गौरदा,मनिषा बनर्जी,मंदीरा चटर्जी यह मेरे अगल बगल के सह प्रवासी भी जागकर मेरे पास आकर बैठ गये थे!और मैने कहा की यह दंगा साधरण दंगा नही है इस दंगेसे भारतीय उपमहाद्वीप की सांप्रदायिक रजनितिकी शुरुआत होनेकी संभावना है ! और इसिलिए हम लोगोने इसकेलिए पहल करनी चाहीये सिर्फ आप बंगला मे और मै मराठी भाषा मे एक लेख लिखकर क्या होगा ?

मुख्य बात हिंदु और मुस्लमान दोनोमे जबरदस्त अविस्वास होनेके कारणं दोनोमे संवाद नही के बराबर है और यह संवाद हिनता ही और अगले दंगेकी वजह हो सकती है!और हमारी कोशिश दोनोमे संवाद प्रस्थापित करना होना चाहिए ! कमसे कम हमारी यह आखरी यात्रा नही होनी चाहिए हम लोगोने भागलपुर आने जानेका सिलसिला इसके बाद भी जारी रखना चाहिए !

और यही रातभर बातचीत करते हुए आये थे ! और यही तय किया था कि भागलपुर के दंगेके बाद रिलीफ के काम करने के लिए काफी एन जी ओ लगे हुए थे लेकिन दोनो समुदाय के लोगों मे जो फासला बढ गया था उसे कम करने के काम को कोई नही कर रहे थे!तो मैंने कहा कि हम लोग यही काम करने के लिए महीने में सप्ताह भर आना जाना शूरू करते हैं और फिर वह सिलसिला चलता रहा जब हमारे पुराने जयप्रकाश नारायण के आन्दोलन के पुराने स्थानीय साथीयोसे धीरे-धीरे परिचय और दोस्ती हुई तो अब वह यही काम लगातार जारी रखे हुए हैं और हम लोग कभी कभी जाते है!और दोबारा अभितक दंगा नहीं हुआ !

जिसकी वजह हमारे सथियो का काम ! जो आज तिस साल से भी ज्यादा समय हो रहा है लगातार जारी है और मेरी अपनी राय है कि इस तरह के मुस्तैद साथी शायद ही कोई और जगह इतनी शिद्दत के साथ काम कर रहे हैं !
इस लेख के कारण मुझे महाराष्ट्र में 90,91,92,93 को कई जगह बुलाया गया है उदहारण के लिए डॉ नरेंद्र दाभोलकर ने सातारा,विकास देशपांडे और अजित सरदार के कारण पुणे तथा मुम्बई,मालेगाँव,धुलिया,साक्रि,जलगाव,अकोला,अमरावती,वर्धा,नागपूरके मित्रोने भागलपुर पर बोलने के लिए विशेष रूप से बुलाया था ! और कुछ-कुछ जगहो पर भागलपुर दंगाके प्रत्यक्षदर्शी और दंगा को रोकने के लिए प्रयास किये हुये मुन्ना सिहं को भी साथमे लेकर गया था ! और मेरी तथा मुन्ना सिहं की तरफ से जो भी कुछ हम कहते थे उससे कई जगह लोग रो पडे थे! पुणे की स्नेहसदन की सभामे एक बुजुर्ग ने रोते हुये कहा की बहुत ही भयंकर है कृपया और ज्यादा मत बताओ मेरे से सुना नही जा रहा !

और मैने अपनी तरफ से यह कहने की कोशिश की है कि भारत के आजादी के बाद भागलपुर पहला दंगा है जो भागलपुर के अगल बगल के जिलो में भी फैला है और 300 से ज्यादा गावोके चुन चुन कर मुसलमानोंके घर और जानमाल की हानि इतने बड़े पैमाने पर हुई है 3000 लोगों को जानसे हाथ धोना पड़ा ! और भागलपुर का एक मात्र पुराना रेशमका ऊद्दोगके कपडे बुनने की मशीने जलाकर राख कर दिया था!और बुनकरों के पक्का मकान छिन्न-भिन्न कर के और उनके प्रार्थना स्थलों याने मस्जिदें भी धराशायी की हूई और उनके मलबे पर माँ दुर्गा का मन्दिर,हनुमानजी का मंदिर इस तरह के कोलतार या गेरू से लिखा हुआ मैने अपनी आखोसे देखा है ! और मेरी अपनी समझ में आया कि भारत के बटवारे के बाद जो भी दंगे हुए हैं वह सब चंद गली-कूचो के दंगे हुए थे ! और भागलपुर का दंगा 300 से ज्यादा गावोके मुस्लीम लोगों के घर,रेशम के कपड़े बनानेकी मशीने और मस्जिदें धराशायी करनेका ट्रेंड वह भी हजारो की संख्या में पारम्परिक हथियारो को लेकर युध्द के जैसा दंगा पहलाही है ! उसके तेरह साल बाद गुजरात का दंगा वह भी संपूर्ण रुपसे वर्तमान प्रधान-मंत्री जो उस समय गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदीजीने अपनी राजनितिक पकड बनाने और हिंदु रुदय सम्राट 56 इंच छाती की देन इसी 2002 के राज्य पुरस्कृत यह भी भारत के ईतिहास का पहला दंगा है !


जो कि टोटली सरकार की शह पर हुआ है ! और उसके लिये वर्तमान प्रधान-मंत्री महोदय जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री के पदपर विराजमान थे तो बकायदा उनके देखरेख में ही वह दंगा हुआ है भले कि तकनीकी आधारपर नानावटी आयोग ने उन्हे बरी कर दिया होगा वह भी हमारे देश की न्यायव्यव्स्था का पतन का क्लासिकल उदहारण के रुप मे ईतिहास मे दर्ज हो गया है क्योकि मै खुद मेरे वकील दोस्त मुकुल सिन्हा के साथ इस कमिशन की कारवाई को चार-पाँच बार खुद दिनभर बैठकर बहुत गौर से देखा हूँ !

और उसी समय मुकुल सिन्हा को बोला था कि नानावटी तो पुरा नरेंद्र मोदी जी को क्लिन चीट देनेके लिए विशेष रूप से कोशिश कर रहा है !आप क्यो अपना समय बर्बाद कर रहे हो ? तो मुकुल सिन्हाजी ने कहा कि हा यह बात मुझे भी मालुम है लेकिन मै सिर्फ क्लिन चिट दे देना का काम लंबा कर रहा हूँ क्योंकि वह प्रधान-मंत्री बनने के लिए विशेष रूप से उतावले होकर कई लोग है जो उनको मारनेके लिए आ रहे हैं और उन सभी के एन्कौटर किये जा रहे है ! ताकी यह दिखाया गया है कि नरेंद्र मोदी जी कितने महत्वपुर्ण व्यक्ति की छवि तैयार करनेका काम अमित शाह,डी जी वंजारा कि विशेष रूप से मेहनत रही है और सोहराबुद्दीन शेख मुठभेड़ से लेकर इशरत जहा जैसे लोगों को बली चढ़ाया गया है !
मैंने 1990 के बाद मेरे अपने भाषणो मे जोर देकर कहा था कि आनेवाला 50 साल की भारतीय रजनितिका केंद्र बिंदु सिर्फ सांप्रदाईकता रहेगा बाकी सभी दोयम हो जायेंगे कोई विस्थापन,बेरोजगार,महंगाई,भ्रस्टाचार इत्यादि लोगों के मुद्दे गैरहाजिर होकर सबसे ज्यादा सांप्रदाईकता हावी हो जायेगा!लेकिन मुझे लगता है कि मैं अपनी बात को ठीक से नहीं समझा पाया और इसिलिए किसिनेभी उसे नहीं माना!और आज वर्तमान पिछ्ले छ साल से भी ज्यादा समय हो रहा आप और हमारे सामने है वस्तुस्थिती बिल्कुल साफ है दंगेकी राजनीति करकेही वर्तमान प्रधान-मंत्री महोदय ने यह मुकाम हासिल किया है !

लेकिन भागलपुर दंगे के बाद देश के दूसरे हिस्सों में आये दिन संघ परिवार के लोगों द्वारा दंगोकी रजनिति जो शूरू हूई वह सत्ता तक पहुंचाने में काम आई है ! गुजरात उसका प्रमाण है और यही कारण है कि 90 के बाद देश के असली सवालो की जगह सवाल आस्था का है कानुन का नहीं जो शूरू हूआ था तो वह रूकनेका नाम नहीं ले रहा है और वह खुद तथाकथित चुनावके कारण अब संपुर्ण देश को अपने कब्जे में ले कर 73 साल मे जो भी टुटे-फुटे कानून बने थे उन्हे बदलकर जल,जंगल और जमीन औने पौने दामौमे कार्पोरेट के हवाले कर रहे हैं और आज की तारीख में पंजाब,हरियाणा,ऊत्तरप्रदेश,तथा देश के अन्य हिस्सों में किसान-मजदुरसब अपने अस्तित्व की लडाई लड रहे हैं ! पिछ्ले साल इन्ही दिनोमे तथाकथित नागरिकता के कानुन के भी खिलाफ इसी तरह के आन्दोलन शुरु हुआ था और वह कोरोना और फरवरी के अंतिम सप्ताह में दिल्ली के प्रायोजित दंगेके कारण थम गया है!

और भिमा कोरेगाव के बहाने जिस तरह से असली गुनहगारों को छोडकर दूसरोको फसाकर जेलोमे डाला बिल्कुल दिल्ली के दंगेमे भी वही तरीका इस्तमाल कर के खुले आम गोली मारो सालो के नारे देनेवाले छोडकर दूसरोको फ़साना जारी है ! देखिए ना किसानोमे शिख भी शामिल है तो तुरंत खालिस्तान का हाथ जैसे गैरजिम्मेदार आरोप उनके ऊपर करके आंदोलन के बारे में भ्रम की स्थिति पैदा करने की बात देखकर लगता है कि बिल्कुल आजसे 90 साल पहले के जर्मनी की याद आ रही है! हिटलर की भी यही शैली थी जिसका संघ परिवार के लोगों द्वारा उसी तर्ज पर काम चल रहा है और वह वैसे भी अपना आदर्श मानते हैं !

कश्मीर के 370 को हटाकर डेढ साल होनेवाले है ! लेकिन हमारे देश के सर्वोच्च न्यायालय को 70 से ज्यादा याचिका देखने के लिए समय नहीं है ! पर इन्ही बातों पर अगर किसिनेभी कोई टिप्पणी कि तो तथाकथित मानहानि का मुकदमा खुद ही चलाने की नई पद्दती शूरू हो गई है !
और लोगों के जान माल और जिनेके संसाधन छीने जा रहे लेकिन सर्वोच्च न्यायालय के न्याय देवता की मुर्ती जैसे अंधे और बहिरे बनकर बैठे हैं ! हमने आपात्काल का भी दौर देखा है और है लेकिन यह उससे भी भयावह स्थिति में देश को लेकर जा रहे हैं ! और दूसरोको देशद्रोही करार देने का काम कर रहे हैं !


भागलपुर के दंगेसे शूरू हूई सांप्रदाईक ध्रुवीकरण की प्रक्रिया और तेज करने के उदहारण 13 साल के बाद गुजरात और अभि लगभग पुरे देश में गाय,लव-जेहाद,मंदीर-मस्जिद,जैसे गैरमामूली मुद्दो मे लोगोको उलझाकर रख दिया है ! लेकिन हर बात की भी हद होती है जैसे हिटलर,मुसोलिनी के समय हुआ था और वह भी समाप्त हुआ है और यह भी समाप्त हो सकता है लेकिन उसके लिए सभी अपने आप को इन्सान समझने वाले लोगों ने इकठ्ठा होकर इन फासिस्ट ताकतोका विरोध करने के लिए विशेष रूप से अभि के किसान आन्दोलन को सभिने समर्थन करते हुए एक व्यापक लडाई की तैयारी करने की आवश्यकता है और वह जितना जल्द से जल्द हो उतनाही अच्छा होगा !
डॉ सुरेश खैरनार 6 दिसम्बर 2020,नागपुर

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