सरकार का यह स्टैंड है कि, कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रुडो का किसान आंदोलन को समर्थन हमारे आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है। कनाडा के उच्चायुक्त को यह बात समझा भी दी गयी है। लेकिन, यूरोपीय यूनियन के देशो के सांसदों द्वारा , भारतीय सांसदों को दरकिनार कर कश्मीर घाटी का दौरा कराना, और उनसे यह सर्टिफिकेट लेना कि कश्मीर में सब ठीक है, क्या हमारे आंतरिक मामलों में जानबूझकर कर यूरोपीय यूनियन को दखल करने के लिये आमंत्रित करना नहीं था ?

हाउडी मोदी के दौरान, अब की बार ट्रम्प सरकार की बात सार्वजनिक रूप से एक जनसभा में प्रधानमंत्री जी द्वारा कहना, क्या अमेरिका की अंदरूनी राजनीति में वह भी तब, जबकि वहां चुनाव साल भर के अंदर होने वाले हों तो, एक हस्तक्षेप नहीं है ?

किसान आंदोलन और तीनों कृषि कानून देश का अंदरूनी मामला है। आंदोलन भी शांतिपूर्ण है औऱ सरकार हल करने के लिये बातचीत भी कर रही है। ऐसे मे किसी भी अन्य देश द्वारा दखल देने का औचित्य नही है।

विजय शंकर सिंह

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