इस समय देश में राम मंदिर का लेकर मुद्दा काफी गरमाया हुआ है. एक तरफ जहां कुछ खेमा मंदिर निर्माण के बाबत सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार कर रहा है तो वहीं दूसरा खेमा अध्यादेश लाने की मांग कर रहा हा तो वहीं तीसरा खेमा भी अभी उपजा है जो 6 दिसंबर 1992 वाले घटनाक्रम को फिर से दोहराने की मांग कर रहा है.

गौरतलब है कि गत शुक्रवार को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री व सपा के प्रमुख अखिलेश यादव ने अपना बयान जारी कर कहा था कि अयोध्या में हालात इस समय बेहद संवेदनशील है. विश्व हिंदू परिषद के नेता और शिवसेना वहां पर बैठक करने जा रही है और लगातार इस तरह के बयान आ रहे हैं कि 6 दिसंबर 1992 वाला घटनाक्रम फिर से दोहराया जाएगा तो ऐसे में, मैं सरकार से मांग करता हूं कि आप अयोध्या में  फौज को तैनात करें, ताकि किसी भी प्रकार की अप्रिय घटना से बचा जा सके.

बता दें कि इसी कड़ी में अक्सर मोदी सरकार के मुखर विरोधक सुहलदेव पार्टी के प्रमुख ओम प्रकाश राजभर ने भी अपना बयान जारी कर कहा कि मैं भी अखिलेश यादव के बयान का समर्थन करता हूं, क्योंकि जिस तरह के हालात अभी अयोध्या में हैं, उसको ध्यान में रखते हुए, एहितयात के तौर फौज की तैनाती वहां पर बहुत जरूरी है.

इतना ही नहीं, ओम प्रकाश राजभर ने अयोध्या में लागू धारा 144 को भी नाकाम बताया है. उन्होंने कहा कि प्रदेश में धारा 144 लागू है, लेकिन इसके बावजूद भी लोग भारी संख्या में तैनात हो रहे हैं.

इसके साथ ही उन्होंने प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर निशाना साधते हुए कहा कि उनके प्रेदश में धारा 144 लागू है और वे चुनावों में व्यस्त हैं. उन्हें चहिए था कि ये अपने प्रदेश पर नजर बना कर रखे.

गौरतलब है पदेश में आगामी 25 नवंबर को धर्म सभा की बैठक है. जिसमें भारी संख्या में सांधू-संतों समेत विश्व हिंदू परिषद के नेता और शिवसेना के नेता भी शामिल होने जा रहे हैं.

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