मानसून सत्र के पहले दिन बुधवार को कांग्रेस और तेदेपा ने मोदी सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस दिया, जिसे लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने मंजूरी दे दी. इस पर शुक्रवार को चर्चा होनी है. गौरतलब है कि बीते साढ़े चार साल में ऐसा पहली बार हुआ है कि सत्ताधारी पार्टी के खिलाफ विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव को मंजूरी मिली है. इस प्रस्ताव के बाद अब दोनों तरफ से दावा किया जा रहा है कि उनके पास पर्याप्त संख्याबल है. यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने कहा है कि हम परेशान नहीं हैं. मोदी सरकार के खिलाफ हमारे पास पर्याप्त संख्याबल है.

इधर, सत्ताधारी पार्टी भी ऐसा ही दावा कर रही है. संसदीय कार्यमंत्री अनंत कुमार ने कहा है कि सरकार भी अविश्वास प्रस्ताव का सामना करने के लिए तैयार है. हम आसानी से जीतेंगे, क्योंकि हमारे पास सदन में दो-तिहाई बहुमत है. गौरतलब है कि एनडीए के सहयोगी दलों के कुल सांसदों की संख्या 312 है, जबकि बहुमत के लिए जरूरी है 271. लोकसभा में अब तक 26 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए जा चुके हैं, यह 27वां अविश्वास प्रस्ताव था. पहला अविश्वास प्रस्ताव 1963 में जवाहर लाल नेहरू सरकार के खिलाफ आचार्य कृपलानी ने पेश किया था. वहीं इंदिरा गांधी सरकार के खिलाफ रिकॉर्ड 15 अविश्वास प्रस्ताव पेश किए गए थे.

अब तक पेश किए गए ऐसे प्रस्तावों की बात करें, तो 25 प्रस्तावों में 4 ध्वनिमत से खारिज कर दिए गए, बाकी में फैसला वोटिंग के जरिए हुआ. एनडीए सरकार के खिलाफ पहली बार 1999 में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया गया था, तब वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी. 2003 में भी ऐसा हुआ था, लेकिन तब वाजपेयी के पास पर्याप्त बहुमत था. 2008 में एटमी डील के वक्त वाम दलों ने यूपीए सरकार से समर्थन वापस लिया. उस वक्त वोटिंग में मनमोहन सिंह को जीत मिली थी.

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