nitish kumar biharअब तक एक कहावत प्रचलित रही है कि केंद्र सरकार व राज्य सरकार के विचारों में भिन्नता का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ता है. परंतु आजादी के बाद पहली बार ऐसा मौका आया है, जब दोनों जगह अलग-अलग पार्टियों के गठबंधन की सरकारे हैं, मगर दोनों के कदमों को बिहार का जनमानस सराह रहा है. तकरीबन एक दशक से जहां बिहार में सुशासन की सरकार के कामयाबी का राग गाया जा रहा है, वहीं केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार के कार्यों की भी सराहना की जा रही है.

हालांकि ऐसा भी नहीं है कि दोनों सरकारों की आलोचना नहीं हो रही है. बावजूद इसके आम जनता दोनों को अबकी बार अलग-अलग नजरिये से देख रही है. पिछले 12 नवंबर को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने पूर्व की यात्राओं की तरह एक बार फिर निश्‍चय यात्रा के दौरान सीतामढ़ी व शिवहर जिले में सरकारी घोषणाओं के तहत हो रहे कार्यों का अवलोकन किया.

इस दौरान शिवहर जिले में जहां सीएम ने लोक शिकायत कार्यालय का निरीक्षण किया, वहीं सीतामढ़ी जिले के बेलसंड अनुमंडल में हर घर में नल से जल योजना का उद्घाटन किया. खुले में शौच मुक्त अनुमंडल बनाने को लेकर सीएम ने सीतामढ़ी स्टेडियम मैदान में आयोजित चेतना सभा में जिला पदाधिकारी राजीव रौशन एवं जिला के प्रशासनिक तंत्र के प्रयासों की सराहना की. सीएम ने कहा कि यह अनुमंडल सूबे के अन्य जिलों के लिए अनुकरणीय साबित होगा.

मुख्यमंत्री ने बिहार में पहली अप्रैल 2016 से लागू पूर्ण शराब बंदी की सफलता का जिक्र करते हुए स्वीकार किया कि अभी कुछ और जागरूकता की आवश्यकता है. शराब बंदी से परिवार, समाज व राज्य के कोने-कोने में चारो ओर शांति ही शांति है. अब लोग शराब की जगह दूध का अधिक सेवन करने लगे हैं. शिक्षा के विकास को लेकर बेहतर माहौल बन रहा है और महिलाओं को सम्मान मिलने लगा है. मुख्यमंत्री के संबोधन के दौरान महिलाओं में खासा उत्साह देखने को मिला. पूछे जाने पर कुछ महिलाओं ने कहा कि शराब बंदी से मेरे परिवार का कल्याण हो गया है.

11 नवंबर की देर शाम को हीं डुमरा रोड स्थित परिसदन पहुंचे सीएम की आगवानी व स्वागत को लेकर पार्टी व गठबंधन दल के नेता व कार्यकर्ता जमने लगे. परिसदन के मुख्य द्वार से लेकर आसपास के क्षेत्र को बैनर व होर्डिंग से पाट दिया गया. मगर सुरक्षा कारणों से बहुत कम लोगों को ही सीएम का प्रथम दर्शन संभव हो सका. चर्चा यह भी रही कि सुरक्षा कर्मियों से उलझने के कारण कुछ नेताओं को वहां से भगाया भी गया था. पार्टी नेताओं में अबकी बार बेचैनी सा नजारा बना रहा, क्योंकि सरकारी कार्यक्रम होने के कारण इन्हे पूर्व की तरह राजनैतिक नारेबाजी का मौका नही मिला.

वहीं आम कार्यकर्ताओं ने भी इस कार्यक्रम में बहुत अधिक भागीदारी से परहेज रखा. नतीजा रहा कि कुछ प्रतिनिधियों को अपना होर्डिंग व बैनर खुद लगवाते और इसे देखकर प्रसन्न होते देखा गया. कार्यक्रम को लेकर कुछ लोगों का कहना है कि राजनीति का ऑफ सीजन होने के कारण अबकी बार भाड़े के नारेेबाजों को बुलाने से परहेज किया गया है, वहीं दूसरी ओर इसे प्रधानमंत्री के नोट बैन का भी असर बताया गया. 500-1000 के नोटों पर प्रतिबंध और सौ-पचास के नोटों की अनुपलब्धता ने नारेबाजों को निराश कर दिया.

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अब एक नजर सीतामढ़ी व शिवहर जिले की राजनैतिक गतिविधियों पर भी डालना आवश्यक है. मुख्यमंत्री के निश्‍चय यात्रा को लेकर जिले की राजनीति में सुगबुगाहट होने लगी है. पहले सीतामढ़ी का ही जिक्र करते है, जहां हाल ही में भाजपा का दामन छोड़कर जदयू के पाले में आने वाले एक स्थानीय पंचायत प्रतिनिधि को लेकर चर्चाओं का बाजार गरमाने लगा है. चर्चा है कि मुख्यमंत्री के चेतना सभा मंच पर सीतामढ़ी जिला परिषद उपाध्यक्ष को देख कुछ लोग सभा स्थल पर ही कानाफुसी करने लगे. लोगों के चर्चा होती रही कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का कार्य जनहीत में तो प्रशांसनीय है.

परंतु दलगत निर्णय में कुछ लोगों की साजिशे इन्हें भ्रमित कर देती है. इसका खामियाजा जिला संगठन को भुगतना पड़ता है. इसी संदर्भ में भाजपा के पूर्व विधान पार्षद बैद्यनाथ प्रसाद का कहना है कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार अनिश्‍चितताओं के भ्रमजाल में हैं. इन्हें अब तक पूरा किये गये अपने वादों का रिपोर्ट कार्ड जारी करना चाहिए था. जहां तक भाजपा से जदयू में भागे लोगों का सवाल है, तो यह साफ है कि नेताओं को क्वालिटी नही क्वांटीटी चाहिए. संर्घषशील कार्यकर्ताओं की अनदेखी कर अकूत कमाई करने वालों को तरजीह दी गयी है.

वहीं नाम ना उजागर करने की शर्त पर कुछ स्थानीय नेताओं का कहना है कि गलत कार्यों में संलिप्त लोगों को अब सत्ता संरक्षण मिल गया है. सच्चाई चाहे जो हो परंतु चर्चा का केंद्र फिलहाल यही है. वहीं सीएम के निश्‍चय यात्रा पर निशाना साधते हुए सीतामढ़ी के पूर्व भाजपा विधायक सह सूबे के पूर्व पर्यटन मंत्री सुनील कुमार पिंटू ने कहा कि पटना के गठबंधन में लठबंधन चल रहा है. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार लालू जी के डर से यात्रा पर निकले हैं. वहीं कुछ लोग अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने को लेकर भाजपा का दामन छोडकर सत्ता की गलियों में अपना ठिकाना बनाने में कामयाब रहे हैं, ताकि सुरक्षित रहकर अपना लूट खसोट का कार्य कर सकें.

 इधर शिवहर जिले में भी मुख्यमंत्री के निश्‍चय यात्रा पर प्रतिक्रियाओं का दौर शुरू हो गया है. भाजपा के नव निर्वाचित जिलाध्यक्ष संजीव कुमार पांडेय का कहना है कि मुख्यमंत्री ने शिवहर के जनता की उम्मीदों पर पूरी तरह से पानी फेर दिया है. लोग आस लगाये थे कि मुख्यमंत्री से जिले में परिवहन निगम की बसों का संचालन, पोस्टमार्टम हाउस, करोड़ों की लागत से निर्मित अस्पताल का उद्घाटन समेत अन्य मांगों को रखेंगे.

परंतु स्थानीय विधायक व जिला प्रशासन की मिलीभगत से कुछ भी नहीं हो सका. सीएम लोक शिकायत कार्यालय का निरीक्षण कर लौट गये, परंतु प्रखंड कार्यालय पहुंच कर पूर्व से निर्धारित आरटीपीएस का उद्घाटन तक करना मुनासिब नही समझा गया.

दोनों ही जिले में राजनीतिक चौपाल सजाने वालों का कहना है कि मुख्यमंत्री को शराब बंदी की सफलता पर प्रसन्न होने के साथ ही पार्टी व गठबंधन दल के कार्यकर्ताओं की भावना का सम्मान भी करना होगा. धनकुबेरों को अपनाने की बजाय समर्पित कार्यकर्ताओं को तरजीह देनी होगी. किसी कारण से अलग-थलग पड़ चुके पुराने साथियों को साथ लेना होगा. अगर ऐसा होता है, तो नीतीश कुमार के सात निश्‍चय की सफलता पर कहीं संदेह की गुंजाइश नही रहेगी. सूबे की आम जनता पूर्ण विश्‍वास के साथ मुख्यमंत्री का कदम दर कदम साथ देने को तैयार रहेगी. अगर नहीं, तो कुछ भी कहा नहीं जा सकता कि जनता कब किसके साथ हो जाए.

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