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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 30-31 अगस्त को नेपाल में होने जा रहे बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन की बैठक में हिस्सा लेने के लिए काठमांडो पहुंच चुके हैं. उनकी यह यात्रा भारत की ओर से पड़ोस के साथ अपने संबंधों को गहरा बनाने का प्रतीक है.

इस बैठक में आतंकवाद सहित सुरक्षा के विविध आयाम, मादक पदार्थों की तस्करी, साइबर अपराध और प्राकृतिक आपदा के अलावा कारोबार एवं सम्पर्क से जुड़े विषयों पर चर्चा होगी और आपसी सहयोग मजबूत बनाने पर जोर दिया जाएगा.

प्रधानमंत्री ने कहा था कि उन्हें विश्वास है कि ये बिम्स्टेक शिखर सम्मेलन अब तक इस समूह के तहत हुई प्रगति को और आगे बढ़ाएगा और इसके साथ ही उन्हें बांग्लादेश, म्यांमार, श्रीलंका, भूटान और थाईलैंड के नेताओं से बातचीत करने का अवसर मिलेगा.

नरेंद्र मोदी ने कहा, ‘‘ मैं नेपाल के प्रधानमंत्री के पी शर्मा ओली के साथ बैठक को लेकर आशान्वित हूं. इस दौरान मई 2018 में अपनी नेपाल यात्रा के बाद से द्विपक्षीय संबंधों में हुई प्रगति की समीक्ष करूंगा.’’  प्रधानमंत्री मोदी और नेपाली प्रधानमंत्री पशुपतिनाथ मंदिर परिसर में नेपाल भारत मैत्री धर्मशाला का उद्घाटन करेंगे.

BIMSTEC क्या है और क्यों इतना अहम है

BIMSTEC का पूरा नाम ‘बे ऑफ बंगाल इनीशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक को-ऑपरेशन’ है.  इसकी स्थापना 6 जून 1997 को बैंकॉक घोषणा पत्र के माध्यम से हुई थी. ये तटवर्ती देशों का एक अंतर्राष्ट्रीय आर्थिक सहयोग संगठन है, जिसे आर्थिक और तकनीकी सहयोग के लिए ही बनाया गया है.

बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल, श्रीलंका, म्यांमार और थाईलैंड इसका हिस्सा हैं. ये संगठन लगभग 150 करोड़ लोगों को एक साथ लाने का काम करता है, साथ ही व्यापार-निवेश, ऊर्जा, परिवहन-संचार, तकनीक, पर्यटन, कृषि, स्वास्थ्य, मछली पालन, आतंकवाद, जलवायु परिवर्तन, जन संवाद, संस्कृति और गरीबी निवारण सहित 14 क्षेत्रों में काम करता है.

 

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