तेलुगु देशम पार्टी के अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू ने शुक्रवार की सुबह गठबंधन से अलग होने की घोषणा की थी. आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा नहीं देने को लेकर वे नाराज थे. अलग होने की घोषणा के कुछ घंटों बाद ही पार्टी ने मोदी सरकार के खिलाफ लोकसभा में अविश्‍वास प्रस्ताव का नोटिस दिया. इसी संबंध में एक नोटिस वाईएसआर कांग्रेस ने भी दिया है. टीडीपी के टी. नरसिम्हन और वाईएसआर कांग्रेस के वाई वी सुब्बा रेड्डी ने सदन में अविश्‍वास प्रस्ताव रखा. इस मामले में कांग्रेस और लेफ्ट पार्टियां भी टीडीपी का साथ दे रही हैं.

हालांकि, सदन में हंगामे की वजह से अविश्‍वास प्रस्ताव पर चर्चा नहीं हो सकी. बाद में लोकसभा की कार्यवाही स्थगित कर दी गई. मोदी सरकार के खिलाफ पहली बार यह अविश्‍वास प्रस्ताव लाया गया है. सदन में हंगामा तब शुरू हुआ, जब स्पीकर सुमित्रा महाजन ने अविश्‍वास प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया. इसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी गई.

स्पीकर ने कहा कि अविश्‍वास प्रस्ताव को सदन के सामने रखने के लिए वे बाध्य हैं. लेकिन इससे पहले सदन को व्यवस्थित होना चाहिए. सदन में जारी हंगामों के बीच   प्रस्ताव का समर्थन और विरोध करने वालों की गिनती नहीं की जा सकती है. टीडीपी और वाईएसआर ने कहा कि वे सोमवार को फिर अविश्‍वास प्रस्ताव का नोटिस देंगे.

टीडीपी नेता सीएम रमेश ने कहा कि हम सोमवार तक 54 सांसदों से हस्ताक्षर करा लेंगे. गौरतलब है कि संसद में सरकार के खिलाफ अविश्‍वास प्रस्ताव लाने के लिए कम से कम सदन के 50 सदस्यों का समर्थन जरूरी होता है. टीडीपी के पास 16 सांसद हैं, वहीं वाईएसआर कांग्रेस के 9 सांसद हैं. समर्थन जुटाने के लिए इन्हें दूसरी पार्टी के सांसदों का समर्थन लेना होगा, जो काफी मुश्किल नहीं होगा. टीडीपी का साथ कांग्रेस, एआईएमआईएम और वाम पार्टियां दे रही हैं.

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