नरेंद्र मोदी भारत के पहले राजनेता है जिन्होंने सोशल मीडिया के ट्रोलिंग(जबकि यह शब्द तबतक किसी शब्दकोश में भी नहीं शामिल हुआ था !) नाम का इस्तेमाल 2007 मे ही शुरू कर दिया है ! जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री पदपर थे तब उन्होंने बाकायदा थाईलैंड की एक एजेंसी इस काम के लिए हायर की थी यह स्वाति चतुर्वेदी ने अपने आई एम ए ट्रोल नाम की किताब मे तफसील से दिया है ! यह सब लिखने का कारण राहूल गांधी के किसानों के चल रहे आंदोलन मे एक बुजुर्ग किसान के उपर उसके बेटे की उम्र का पुलिस वाला जवान लाठी ताना हुआ फोटो और उसके उपर की टिप्पणी को कोई अमित मालवीय ने किस तरह से छेड़खानी करने के लिए व्टिटरने पहली बार बीजेपी को झटका दिया है !

हालाँकि भारतीय जनता पार्टी और उसके मातृ संघटन संघ परिवार के लोगों द्वारा हजारों ट्रोलिंग करने वाले जिन्हें स्वाति चतुर्वेदी सेफ्रोन डिजिटल आर्मी कहाँ करती है और वह लोग राहूल गांधी से लेकर लालु प्रसाद यादव, दिग्विजय सिंह और अन्य विरोधियों से लेकर स्वाति चतुर्वेदी, रविश कुमार, विनोद दुआ और महिला पत्रकारों को तो सेक्सुअली अब्यूस करने के लिए एक खास ट्रेन की हुई टीम रात दिन लगी रहती है !

स्वाति चतुर्वेदी ने अपने आई एम ए ट्रोल नाम की किताब मे शुरुआत में ही उसे किस तरह से कमर के निचे वार करने वाले पोस्ट आते है और उनके बारे मे वसंत विहार पुलिस स्टेशन दिल्ली में एफ आई आर भी 2015 मे दर्ज करने के बावजूद अभितक कोई भी कारवाही नहीं कि है ! हालाँकि दिल्ली पुलिस के लोगों पर सत्यमेव जयते का मंत्र लिखा हुआ है! लेकिन पिछले छ साल से वह असत्य के इतनें काम कर चुके है कि अब उन्हें अपने लोगों पर असत्यमेव जयते को स्थान दे देना चाहिए !

भारत की पहली राजनीतिक पार्टी बीजेपी है जिसने सोशल मीडिया के इस्तेमाल की शुरुआत 1995 !यानी आज से पच्चीस साल पहले ही शुरू कर दिया है उन्होंने अपनी वेबसाइट शूरू कर के अपने इंटरनेट शाखाए शूरू की है !इसके विपरीत कांग्रेस ने 2005, आम आदमी पार्टी 2012 !

नरेंद्र मोदी जीके21•6 मीलियन फॉलोवर्स है और वह खुद 1375 लोगों को फाॅलो करते हैं ! यह पांच साल पुरानी बात है आज यही संख्या लाख और करोड़ों की भी हो सकती हैं और अब तो मेनस्ट्रिम मीडिया भी कुछ अपवादों को छोड़कर पूरा वर्तमान सरकार के भाँट बनकर काम कर रहा है !

राम माधव यह पहला संघ परिवार के लोगों मे से है कि जो इलेक्ट्रानिक इंजीनियरिंग आन्ध्र विश्वविद्यालय से पढाई खत्म करने के बाद संघ के प्रचारक और बीजेपी के आई टी सेल को ट्रेनिंग देने वाले यही आदमी की भुमिका है! स्वाति चतुर्वेदी ने बाकायदा राम माधव से प्रत्यक्ष मिलकर बात करने के बाद ही यह सब कुछ लिखा है !

राम माधव यह फिलहाल बीजेपी के सबसे ज्यादा प्रभावशाली जनरल सेक्रेटरी के दिल्ली स्थित ऑफिस में जब मैंने देखा कि उनके हाथ पर एपल की घडी और टेबल पर वाफेर थिन एपल कम्पयूटर के साथ ही बैठे हुए थे और वही पर हमारे बात हुई थी और उन्होंने स्वयं स्वीकार किया कि आई टी सेल को ट्रेनिंग देने वाले शाखाओं की कल्पना ही मेरी है और चेन्नई प्रोजेक्ट की शुरुआत भी मैंने खुद की है !

वरिष्ठ पत्रकार एच के दुआ चालीस साल से भी अधिक समय तक संघ परिवार के काम काज पर निगरानी रखने के अपने अनुभव को लेकर कहा करते थे कि संघ को 1948,1975और बाबरी विध्वंस के बाद बैन करने से उसने अपने काम में विलक्षण गोपनीयता की शुरुआत की है !

लेकिन 1948 के मार्च में सेवाग्राम में हुई एक बैठक में आचार्य विनोबा भावे जी ने बहुत ही साफ शब्दों में कहा था कि गांधी जी के काम में सत्य का ही मुख्यतः समावेश था लेकिन लगता है कि संघ परिवार के लोगों का काम असत्य और असत्य उनके फिलासफी और टेकनिक का भाग है और इसिलिए उनके गुरु गोलवलकर के द्वारा दिया गया स्टेटमेंट मैंने हालही में कहीं पर मैंने देखा है और वह कह रहे थे कि हमारे आदर्श अर्जून है और जैसा कि उसे कहा था कि युद्ध में हमारे सामने हमारे नाते-रिश्ते और स्नेही मित्रों का उचित सम्मान करने के बाद उन्हें प्रणाम करो और वध करो !

गीता का भक्त तो मै भी हूँ लेकिन एक गीता का अर्थ वह बताते हैं बेचारी गीता ! इसी लिए विनोबाजी ने संघ परिवार के लोगों को फिलासाफर कहा था कि धर्म ग्रंथों के अर्थ अपने तरह से सुविधाजनक ढंग से करके ही दंगा फसाद करने वाली जमात विनोबाजी ने खुद कहा है यहाँ तक की फासिस्ट शब्द का इस्तेमाल किया है!

हमारे काम में सत्य ही मुख्य बात है लेकिन लगता है कि संघ परिवार के काम में असत्य का ही समावेश है और इसे वह अपना स्टॅटेजी का भाग मानते हैं और इसीलिए हमारे बापू की ह्त्या करने के लिए विशेष रूप से उनके इसी असत्य के आचरण से हमसे बापू को छिना है !

अगर कोई संयुक्त मोर्चा गठित करने के लिए सोशलिस्ट पार्टी से लेकर जो अपने आप को इन्सान समझते है ऐसे सभी लोगों को मिलकर एक मोर्चा खोलनेकी जरूरतहै और यह बात आजसे 72 साल पहले की होने के बावजूद उतनी ही मौजू है कि जितनी महात्मा गाँधीजी के हत्या के बाद मौजू थी और मेरी अपनी राय है कि अभी भी ज्यादा समय गवाने के बजाय विनोबाजी के सुझाव पर अमल शूरू करना चाहिए !

डाॅ सुरेश खैरनार

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