नियम विरुद्ध कमेटी भंग करने पर हाईकोर्ट ने दिया फैसला

भोपाल। इंदौर स्थित वक्फ दरगाह नाहर शाह वली कमेटी की व्यवस्था फिलहाल अरब अली पटेल ही देखते रहेंगे। अदालत के इस फैसले के बाद मप्र वक्फ बोर्ड द्वारा जारी किया गया वह आदेश निरस्त हो गया, जिसमें बोर्ड ने अरब अली की कमेटी को भंग कर दिया था। फिलहाल इस कमेटी के लिए बनाए गए कार्यपालक अधिकारी के मामले में फैसला आना बाकी है। अरब अली पटेल की कमेटी के प्रभावी होने के बाद कार्यपालक अधिकारी की व्यवस्था जारी रहेगी या नहीं, इस पर बोर्ड को फैसला लेना है। जानकारी के मुताबिक वक़्फ़ बोर्ड ने उर्स के ठीक पहले दरगाह नाहर शाह वली इंदौर की कमेटी को 12 फ़रवरी को भंग कर इंदौर तहसीलदार सिराज खान को ईओ बनाकर 21 सदस्यों की कमेटी बना दी थी।

अदालत ने माना कार्यवाही गलत

माननीय उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को कमेटी अध्यक्ष अरब अली पटेल की याचिका पर बोर्ड के आदेश पर स्टे दे दिया। अब अरब पटेल यथावत कमेटी के अध्यक्ष बने रहेंगे। हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि बोर्ड प्रशासक अतिरिक्त चार्ज में होने से कोई वैधानिक कार्य नहीं कर सकते। इसलिए उनका आदेश भी वैधानिक नहीं है। आदेश में पूर्व याचिका क्रमांक 17846/2015 में पारित आदेश को भी आधार माना गया है।

बोर्ड के आदेश भी घेरे में

हाईकोर्ट के इस आदेश से बोर्ड की कार्यप्रणाली को बड़ा झटका लगा है। प्रशासक द्वारा अभी तक किये गए सभी काम अवैधानिक हो जायेंगे। प्रशासक अब कोई वैधानिक कार्य नहीं कर सकते। प्रशासक के साथ सीईओ जमील खान भी बोर्ड के अतिरिक्त चार्ज में हैं, अब वह भी कोई वैधानिक कार्य नहीं कर सकते इस आदेश के बाद जमील खान सीईओ और प्रशासक अब कोई वैधानिक और प्रशासनिक कार्य करने में सक्षम नहीं रहे।

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सियासत से बने हालात

दरगाह नाहर शाह वली कमेटी अध्यक्ष अरब अली पटेल की नियुक्ति के समय से ही उनके विरोधी उनके खिलाफ माहौल बनाए हुए थे। इसको लेकर उच्च स्तर की सियासत भी की गई। अरब अली को अपदस्थ कर कमेटी पर काबिज होने के लिए कई आला नेताओं को बीच में डाला गया। अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री से लेकर प्रशासक और सीईओ पर कमेटी गठन को लेकर प्रेशर भी बनाया गया था।

खान आशु

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