समाजवादी पार्टी के गृह-युद्ध में रामायण और महाभारत दोनों का पुट मिलता है. मुलायम सिंह यादव ने 25 सितम्बर को प्रेस कॉन्फ्रेंस बुला कर यही साबित किया कि शिवपाल यादव भले ही लक्ष्मण की भूमिका में हों, लेकिन वे मर्यादा पुरुषोत्तम राम नहीं बल्कि पुत्र-मोह से ग्रस्त धृतराष्ट्र हैं. मुलायम सिंह ने इतने लंबे अर्से से चले आ रहे तमाम उहापोह और भ्रम समाप्त कर दिए और यह जाहिर कर दिया कि कलह-उपक्रम उन्होंने अपने पुत्र के राजनीतिक करियर की स्थापना के लिए ही रचा था. शिवपाल भातृ-भाव में कुरबान हो गए.

इस प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद मुलायम नेता जी नहीं, केवल पिता जी होकर रह गए. सियासत की नब्ज पहचानने और जानने वाले यह जानते हैं कि प्रदेश में विधानसभा चुनाव के पहले भी शिवपाल को भाजपा में शामिल होने का न्यौता और मंत्रिमंडल में सम्मानजनक स्थान दिए जाने का प्रस्ताव मिला था. भाजपा की सरकार बन जाने के बाद भी न्यौता कायम था, लेकिन शिवपाल ने भातृ-भाव में ही उस ऑफर को ठुकरा दिया. मुलायम के रुख से पूरी अंतरगाथा स्पष्ट हो जाने के बाद अब शिवपाल अपने बूते नई पार्टी का ऐलान करेंगे.

25 सितम्बर को मुलायम की ओर से नई पार्टी का ऐलान होना था. पूरा स्टेज सेट था. इसी आशय का प्रेस नोट भी तैयार था. मुलायम ने आखिरी समय तक शिवपाल और समर्थकों को भी भ्रम में रखा. लेकिन प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए नई पार्टी की घोषणा को उन्होंने आखिरी समय में ताक पर रख दिया. मुलायम ने साफ-साफ कहा कि वे नई पार्टी नहीं बनाएंगे. मुलायम यह भी बोल गए कि समाजवादी पार्टी वे ही चला रहे हैं. यानि, उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि पार्टी में अब तक जो कुछ भी हुआ, सब उनके ही इशारे पर हुआ. मुलायम ने कहा, ‘मैं न अखिलेश के साथ हूं न शिवपाल के साथ, मैं सिर्फ समाजवादी पार्टी के साथ हूं.’

प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुलायम ने इसके अलावा जो कुछ भी कहा वह चतुर-छलावे के अतिरिक्त कुछ भी नहीं था. इसी छलावे पर मुलायम अपने समर्थकों के साथ-साथ प्रदेशभर के लोगों को अब तक भ्रम में रखे रहे. मुलायम के लिए प्रतिबद्ध रहे एक वरिष्ठ सपा नेता ने कहा कि मुलायम बेटे अखिलेश द्वारा धोखा देने और दुर्व्यवहार करने जैसी बातें छलावे के तहत ही करते रहे. मुलायम एक तरफ अखिलेश के विश्वाखसघात की बात करते रहे तो दूसरी ओर अपने सारे वरिष्ठ समर्थकों को चुपचाप अखिलेश का समर्थन करने का निर्देश भी देते रहे. मुलायम अखिलेश के दुर्व्यवहार का रोना भी रोते रहे और लोगों से सपा के साथ जुड़ने की अपील भी करते रहे. मुलायम का यह रवैया देख कर भगवती सिंह, शारदा प्रताप शुक्ला समेत कई अन्य नेता भी हतप्रभ रह गए, जब मुलायम ने अचानक पैंतरा बदलते हुए कहा कि नया दल बनाने का सवाल नहीं उठता. नई पार्टी के गठन के बारे में पूछे जाने वाले सवाल पर भी मुलायम बुरा मान रहे थे. उन्होंने अखबार वालों से तल्खी से कहा भी, ‘यह सवाल बार-बार क्यों पूछ रहे हैं?

जबकि जो प्रेस विज्ञप्ति बनी थी, उसमें ही नई पार्टी की घोषणा किए जाने के बारे में लिखा था. आप भी देखें, प्रेस विज्ञप्ति में साफ-साफ लिखा है, ‘देश के कार्यकर्ताओं की भावनाओं का सम्मान रखते हुए मैंने फैसला किया है कि अलग संगठन दल बनाकर समान विचारधारा वाले लोगों को साथ लेकर अलग राजनीतिक रास्ता बनाया जाएगा. इसकी रूपरेखा शीघ्र तैयार की जाएगी. किसानों, बेरोजगारों, मुसलमानों की आवाज को कोई नहीं उठा रहा है. इसलिए मजबूर होकर मैं यह निर्णय ले रहा हूं.’

नई पार्टी की घोषणा न करने पर सपा के पूर्व विधायक व पूर्व मंत्री शारदा प्रताप शुक्ला भी मुलायम के खिलाफ मैदान में आ डटे हैं. शुक्ला ने कहा कि प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित करने का मुद्दा ही नए मोर्चे के गठन का था, लेकिन मुलायम ने वह कागज पढ़ा ही नहीं. मैंने उन्हें मंच पर याद भी दिलाया तो मुलायम ने यह कहकर टाल दिया कि यह वक्त सही नहीं है. मुलायम प्रेस कॉन्फ्रेंस के मंच से अखिलेश पर हमला करने का छद्म करते रहे, लेकिन असली कागज छुपाते रहे, जो प्रेस की निगाह में आ ही गया.

मुलायम की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद बनी स्थितियों पर शिवपाल यादव ने ‘चौथी दुनिया’ से इतना ही कहा, ‘नेता जी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में जो कुछ भी कहा, वह उनका निजी विचार है, नेता जी मेरे बड़े भाई भी हैं और मैं उन्हें अपना शुभेच्छु-दिग्दर्शक भी मानता हूं, लिहाजा उनके कहे पर मैं कोई टिप्पणी नहीं कर सकता. जहां तक राजनीतिक निर्णय का प्रसंग है, उसकी मैं अपने समर्थकों के साथ समीक्षा कर रहा हूं और शीघ्र ही उस अनुरूप फैसला करूंगा.’ आपको यह बता दें कि मुलायम की प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवपाल यादव की अनुपस्थिति चर्चा के केंद्र में रही. 23 सितम्बर को ही मुलायम ने लोहिया ट्रस्ट के सचिव पद से रामगोपाल यादव को हटाकर शिवपाल को सचिव बना दिया था. 24 सितम्बर को शिवपाल ने दो बार मुलायम सिंह से उनके घर जाकर मुलाकात की. इन दो दिनों में मुलायम और शिवपाल के बीच समाजवादी सेकुलर मोर्चा के गठन और उसके ऐलान की बात तय हो गई थी. दरअसल, इसी घोषणा के लिए प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई भी गई थी. प्रेस कॉन्फ्रेंस के ठीक पहले भी शिवपाल की मुलायम से बात हुई, लेकिन उस बात में ही शिवपाल को यह आभास हो गया कि मुलायम नई पार्टी की घोषणा नहीं करेंगे. इसके बाद ही शिवपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में नहीं जाने का फैसला किया. जिस प्रेस कॉन्फ्रेंस में शिवपाल का राजनीतिक भविष्य तय होना था, उसी प्रेस कॉन्फ्रेंस में मुलायम ने यह तय कर दिया कि बेटे के आगे भाई के राजनीतिक करियर से उन्हें कोई लेना-देना नहीं है. राजनीतिक गलियारे में शिवपाल के कभी बसपा में तो कभी जेडीयू में भी जाने की चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन शिवपाल समर्थकों को शिवपाल के नेतृत्व में नई पार्टी के अस्तित्व में आने की उम्मीद है.

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